सूर्यदेव आरती | Suryadev Ji Ki Aarti
रविवार के दिन सुबह स्नान के बाद साफ जल में लाल चंदन, लाल फूल, अक्षत और दूर्वा मिलाकर सूर्य देव को जल अर्पित कर उनकी आरती करें। ऐसा करने से भी सूर्य मजबूत होता है।
ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर होता है, उसे जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं, यदि उनकी आराधना और आरती के द्वारा उन्हें प्रसन्न किया जाए तो वे जातक को इच्छित वरदान प्रदान करते हैं।
सूर्यदेव जी की आरती | Suryadev Aarti
जय जय कश्यप-नन्दन,
ॐ जय अदिति नन्दन।
जय जय कश्यप-नन्दन,
ॐ जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन - तिमिर - निकंदन,
भक्त-हृदय-चन्दन॥
त्रिभुवन - तिमिर - निकंदन,
भक्त-हृदय-चन्दन॥
जय जय कश्यप-नन्दन,
ॐ जय अदिति नन्दन।
जय जय कश्यप-नन्दन,
ॐ जय अदिति नन्दन।
सप्त-अश्वरथ राजित,
एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी,
मानस-मल-हारी॥
सुर - मुनि - भूसुर - वन्दित,
विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर,
दिव्य किरण माली॥
जय जय कश्यप-नन्दन,
ॐ जय अदिति नन्दन।
जय जय कश्यप-नन्दन,
ॐ जय अदिति नन्दन।
सकल - सुकर्म - प्रसविता,
सविता शुभकारी।
विश्व-विलोचन मोचन,
भव-बन्धन भारी॥
कमल-समूह विकासक,
नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति
मनसिज-संतापा॥
जय जय कश्यप-नन्दन,
ॐ जय अदिति नन्दन।
जय जय कश्यप-नन्दन,
ॐ जय अदिति नन्दन।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर,
भू-पीड़ा-हारी।
वृष्टि विमोचन संतत,
परहित व्रतधारी॥
सूर्यदेव करुणाकर,
अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान-मोह सब,
तत्त्वज्ञान दीजै॥
जय जय कश्यप-नन्दन,
ॐ जय अदिति नन्दन।
जय जय कश्यप-नन्दन,
ॐ जय अदिति नन्दन।
जय जय कश्यप-नन्दन,
ॐ जय अदिति नन्दन।
जय जय कश्यप-नन्दन,
ॐ जय अदिति नन्दन।
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