क्या आप जानते हैं वरुण देव की आरती पढ़ने से जीवन में कैसे आता है संतुलन और सुख-शांति? अभी जानें आरती का चमत्कारी प्रभाव
वरुण देव की आरती जल के देवता वरुण की स्तुति के लिए गाई जाती है। यह आरती जीवन में शांति, शुद्धता और संतुलन लाने में सहायक मानी जाती है। इसका पाठ जलदोष निवारण में लाभकारी होता है।
रत्नाकर तले शोभित रत्न सिंहासन,
विभावरी तव लोक पावन मनभावन।
वैदूर्य सम कान्ति, कौशेय धारण,
मूंगा मणि आविष्ट, कर केयुर स्थापित, कुंडल कानन।
जय देव, जय देव, जय जय जलदाता, श्री वरुण जलदाता।
अदिति कश्यप नंदन, चर्षणीनाथा।। जय देव, जय देव।
राजा हरिश्चंद्र के तुम ही फलदायक,
श्रुतायुध वरदायक, तुम जल के नायक।
अरिनाशक, जगपालक, शुन:शेपोद्धारक,
सहस्र हय ऋिचीक दिए कृपाकारक। १। जय देव....
शंख कमल शोभित तुम पाश रखिया,
राजत माथे चंदन कंंठ हार कंचनिया।
तक्षक, कम्बल,वासुकि, सेवा है करिया,
दास श्रीनाथ का आरती लिखिया। २। जय देव....
जय देव, जय देव, जय जय जलदाता,
श्री वरुण जलदाता।
अदिति कश्यप नंदन, चर्षणीनाथा।।
जय देव, जय देव।
Did you like this article?
नाग पंचमी पर आरती से पूरी होती है पूजा। जानें नाग देवता की पारंपरिक आरती, इसके शब्द, महत्व और आरती करने की सही विधि।
श्री बालाजी की आरती भगवान विष्णु के अवतार वेंकटेश्वर स्वामी की पूजा का प्रमुख हिस्सा है। यह आरती श्रद्धालुओं को भगवान बालाजी की कृपा प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है।
धर्मराज जी की आरती भगवान धर्मराज को समर्पित है, जिन्हें न्याय का देवता माना जाता है। धर्मराज की आरती से भक्तों को अपने जीवन में न्याय, सत्य और धर्म का पालन करने की प्रेरणा मिलती है।