भगवान गणेश कौन हैं?
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भगवान गणेश कौन हैं?

भगवान गणेश का रहस्य क्या है? जानिए गणेश जी की पूजा विधि, उनका प्रसिद्ध आकार और उनकी शक्तियों के बारे में। भगवान गणेश की महिमा को समझें और हर बाधा को दूर करने का मार्ग जानें।

भगवान गणेश के बारे में

भगवान गणेश, हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता के रूप में पूजित हैं। वे ज्ञान, समृद्धि, और शुभता के देवता हैं। उनकी सवारी मूषक है, और उन्हें गजमुख (हाथी के मुख वाले) देवता के रूप में जाना जाता है। भगवान गणेश चार भुजाओं में पाश, अंकुश, मोदक और अभय मुद्रा धारण करते हैं। हर शुभ कार्य से पहले उनकी पूजा की जाती है, जिससे विघ्नों का नाश हो और कार्य सफल हो।

भगवान गणेश

भगवान गणेश का हिंदू धर्म में स्थान सर्वोपरि है क्योंकि इनकी पूजा के बिना कोई पूजा, कोई अनुष्ठान और कोई कार्य सफल नहीं माना जाता। हैरानी की बात तो यह है कि अपने जन्म के पहले से ही गणेश प्रथम पूज्य थे, इसीलिए शिव पार्वती विवाह में गणेश पूजा हुई। ऋग्वेद से लेकर पुराणों तक, भगवान गणेश का उल्लेख हमें उनके अनन्य महत्त्व का आभास कराता है।

भगवान गणेश का स्वरूप

गणेश का विशाल मस्तक (हाथी का सिर):

  • गणेश का सिर हाथी का है, जो बुद्धि, विवेक और स्मरणशक्ति का प्रतीक है।
  • मुद्गल पुराण में वर्णन है कि यह सिर अनंत ज्ञान का प्रतीक है।

छोटा मुख:

  • उनका मुख छोटा है, जो यह सिखाता है कि मनुष्य को अधिक बोलने के बजाय अधिक सुनना और चिंतन करना चाहिए।

विशाल कान:

  • गणेश के बड़े कान सीखने और सुनने की क्षमता का प्रतीक हैं।

छोटे नेत्र:

  • छोटी आँखें ध्यान, एकाग्रता और सूक्ष्म दृष्टि का प्रतीक हैं।

सूंड:

हाथी की सूंड, जो अत्यंत लचीली और शक्तिशाली होती है, यह बताती है कि जीवन में लचीलेपन और दृढ़ता का संतुलन आवश्यक है।

दांत:

  • गणेश के एक दांत टूटे होने का वर्णन है, जिसे "एकदंत" कहा जाता है।
  • महाभारत में वर्णित है कि महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखने के लिए गणेश को चुना, और उन्होंने अपने एक दांत को लेखन हेतु उपयोग किया। यह त्याग और ज्ञान की प्रतीकात्मकता को दर्शाता है।

चार भुजाएं:

  • गणेश की चार भुजाएँ चार दिशाओं और मानव जीवन के चार पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) का प्रतिनिधित्व करती हैं।

मोदक (लड्डू):

  • गणेश पुराण में मोदक को आत्मिक सुख और पूर्णता का प्रतीक बताया गया है।

चूहा (वाहन):

  • गणेश का वाहन मूषक (चूहा) है, जो इच्छाशक्ति और नियंत्रण का प्रतीक है।
  • शिव पुराण में वर्णन है कि चूहा हमारी कामनाओं और इच्छाओं का प्रतीक है, जिन्हें सही दिशा में नियंत्रित करना आवश्यक है।

त्रिशूल और अंकुश:

  • गणेश के हाथों में अंकुश और पाश दर्शाते हैं कि जीवन में अनुशासन और नियंत्रण से ही बाधाओं का नाश होता है।

भगवान गणेश से जुड़ी पौराणिक कथाएं

बहुत कम लोग जानते हैं कि गणेश जी ने अधर्म को नष्ट करने के लिए विभिन्न अवतार लिए हैं। इन अवतारों के माध्यम से उन्होंने आठ प्रमुख दोषों—काम, क्रोध, मद, लोभ, ईर्ष्या, मोह, अहंकार, और अज्ञान—का नाश किया। इन अवतारों की कथाएं संक्षेप में इस प्रकार हैं :

वक्रतुंड:

गणेश जी ने इस रूप में राक्षस मत्सरासुर और उसके दो पुत्रों, सुंदरप्रिय और विषयप्रिय, का संहार किया। इन राक्षसों का आतंक देवताओं पर था, और गणेश जी ने वक्रतुंड रूप में उनका विनाश किया।

एकदंत:

इस रूप में गणेश जी ने मदासुर का वध किया, जो महर्षि च्यवन के तपोबल से उत्पन्न हुआ था और देवताओं को परेशान कर रहा था।

महोदर:

गणेश जी ने मोहासुर का नाश किया, जो दैत्य गुरु शुक्राचार्य द्वारा देवताओं के खिलाफ खड़ा किया गया था। गणेश जी ने महोदर रूप में अवतार लेकर मोहासुर को पराजित किया।

विकट:

गणेश जी ने विकट रूप में अवतार लेकर कामासुर को हराया, जो भगवान विष्णु के कारण उत्पन्न हुआ था और देवताओं पर अत्याचार कर रहा था।

गजानन:

गणेश जी ने गजानन रूप में लोभासुर का वध किया, जो कुबेर के द्वारा उत्पन्न हुआ था और शिव के वरदान से दैत्य बना था।

लंबोदर:

गणेश जी ने लंबोदर रूप में अवतार लेकर क्रोधासुर को रोका, जो ब्रह्माण्ड विजय का वरदान लेकर देवताओं को भयभीत कर रहा था।

विघ्नराज:

गणेश जी ने विघ्नेश्वर रूप में ममासुर का विनाश किया, जो देवी पार्वती से उत्पन्न हुआ और शम्बरासुर से शिक्षा प्राप्त कर अत्याचार करने लगा था।

धूम्रवर्ण:

गणेश जी ने धूम्रवर्ण रूप में अहम (अहंतासुर) को हराया, जो सूर्यदेव की छींक से उत्पन्न हुआ था और अत्याचार फैला रहा था।

भगवान गणेश की पूजा का महत्व

भगवान गणेश की पूजा का ज्योतिष में विशेष महत्व है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और समृद्धि के दाता माना जाता है। उनके पूजन से व्यक्ति को कई ज्योतिषीय लाभ मिलते हैं। आइए जानें इन लाभों के बारे में:

विघ्नों का नाश:

गणेश जी की पूजा से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की विघ्न-बाधाओं का नाश होता है।

बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि:

गणेश जी को बुद्धि, ज्ञान और विद्या का देवता माना जाता है। उनके पूजन से व्यक्ति की मानसिक क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे पढ़ाई, करियर, और जीवन के अन्य पहलुओं में सफलता मिलती है।

समृद्धि का आगमन:

गणेश जी की पूजा से धन, समृद्धि और वैभव का वास होता है। ज्योतिष अनुसार, गणेश पूजा से धन से संबंधित ग्रहों का सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है।

व्यक्तिगत जीवन में शांति:

गणेश पूजा से मानसिक शांति और जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।

राहु-केतु के दुष्प्रभाव का शमन:

जिन व्यक्तियों की कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक नहीं होती, उनके लिए गणेश पूजा से इन ग्रहों के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है।

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Published by Sri Mandir·January 16, 2025

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