देवी पार्वती कौन हैं?
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देवी पार्वती कौन हैं?

देवी पार्वती का रहस्य क्या है? जानिए पार्वती जी की तपस्या, उनके रूप और भगवान शिव से उनके प्रेम के बारे में।

देवी पार्वती के बारे में

देवी पार्वती शक्ति और सौंदर्य की देवी हैं। वे भगवान शिव की पत्नी और भगवान गणेश तथा कार्तिकेय की माता हैं। उन्हें आदिशक्ति का स्वरूप माना जाता है, जो सृष्टि, पालन, और संहार का आधार हैं। देवी पार्वती को करुणा, प्रेम, और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। वे दुर्गा और काली के रूप में भी पूजी जाती हैं, जो बुराई का नाश करती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं।

देवी पार्वती

मां पार्वती, जिन्हें आदिशक्ति का अवतार माना जाता है, ने दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के रूप में पहले जन्म लिया। सती ने भगवान शिव से विवाह किया लेकिन अपने पिता दक्ष द्वारा शिव का अपमान सहन न कर पाने के कारण योगाग्नि में अपना शरीर त्याग दिया।

इसके बाद सती ने हिमालय और मैना के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने कठोर तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया और उनसे विवाह किया। इस विवाह से शिव और शक्ति का पुनर्मिलन हुआ, जिससे सृष्टि में संतुलन स्थापित हुआ। मां पार्वती का यह जन्म शिव-शक्ति के मिलन और सृष्टि की रक्षा का प्रतीक है।

माता पार्वती और भगवान शिव का संबंध

माता पार्वती और भगवान शिव का संबंध सृष्टि के सबसे गहन और पवित्र प्रेम का प्रतीक है। यह संबंध केवल पति-पत्नी के दायरे में सीमित नहीं है, बल्कि यह आदिशक्ति और आदिदेव के अद्वैत स्वरूप का दर्शन कराता है। मां पार्वती शिव की शक्ति हैं, और शिव उनके बिना निष्क्रिय। वे दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, जैसे पृथ्वी और आकाश, दिन और रात। उनकी कथा त्याग, तपस्या और असीम भक्ति की अद्भुत गाथा है। शिव का वैराग्य और पार्वती का अनुराग, सृष्टि के दो छोरों को जोड़ते हैं, जहां प्रेम अपने उच्चतम आदर्श को प्राप्त करता है।

माता पार्वती को पसन्न करने के उपाय

माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए भक्ति, साधना और श्रद्धा से किए गए सरल उपाय अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं। यहां कुछ उपाय दिए गए हैं:

दुर्गा सप्तशती और देवी महात्म्य का पाठ

माता पार्वती के शक्ति स्वरूप को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करें। इसे विशेष रूप से नवरात्रि के समय करना शुभ माना जाता है।

शिव-पार्वती की पूजा

शिव और पार्वती का संयुक्त रूप में पूजन करें। उन्हें बिल्व पत्र, धतूरा, हल्दी और लाल फूल अर्पित करें। इससे माता की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्र

माता के शक्ति स्वरूप को प्रसन्न करने के लिए इस महामंत्र का जाप करें। यह मंत्र विशेष रूप से ऊर्जा, शक्ति और मनोबल प्रदान करता है।

सुहाग सामग्री का दान

माता पार्वती को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। शुक्रवार या विशेष रूप से श्रावण मास में सुहाग सामग्री (सिंदूर, चूड़ी, बिंदी आदि) दान करें।

गौरी व्रत और पूजा

महिलाओं के लिए गौरी व्रत अत्यंत शुभ माना जाता है। कुंवारी कन्याएं योग्य वर प्राप्ति के लिए और विवाहित महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत रख सकती हैं।

चुनरी अर्पण

माता पार्वती को लाल या पीले रंग की चुनरी चढ़ाएं। इस दौरान उनके नाम का दीप जलाना अत्यंत शुभ होता है।

माँ को कथा सुनाएं

"शिव पार्वती विवाह" या "सती चरित्र" की कथा सुनना और सुनाना शुभफलदायक है। इससे माता प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।

एकनिष्ठ भक्ति और ध्यान

माता पार्वती को प्रसन्न करने का सबसे सरल मार्ग है उनके प्रति निष्ठा और प्रेम। मन से उनकी आराधना करें और कठिन परिस्थितियों में उनकी कृपा का स्मरण करें।

इन उपायों को श्रद्धा और समर्पण के साथ करने से माता पार्वती अपने भक्तों पर अवश्य कृपा करती हैं।

माता पार्वती से जुड़े 5 रहस्य:

शिव-पार्वती संवाद से "विज्ञान भैरव तंत्र" की उत्पत्ति

  • भगवान शिव ने माता पार्वती के प्रश्नों का उत्तर देते हुए ध्यान और तंत्र साधना के 112 तरीकों का वर्णन किया। इसमें शिव जी कहते हैं कि "शिव उवाच: ध्यानमात्रेण देवि परं सुखं लभ्यते।"

  • (हे देवी, केवल ध्यान से ही परम सुख प्राप्त किया जा सकता है।)

माता पार्वती का "त्रिपुर सुंदरी" रूप

  • त्रिपुर सुंदरी माता पार्वती का ऐसा रूप है जो तीनों लोकों को आकर्षित करता है। इस रूप में वे सृष्टि, पालन और संहार की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।

कौमारी रूप में स्कंद को शक्ति देना

  • जब असुर तारकासुर का वध करना था, तो माता पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को अपनी शक्ति देकर तैयार किया।

अर्धनारीश्वर रूप की कथा

  • माता पार्वती ने एक बार भगवान शिव से अनुरोध किया कि वे उन्हें अपने अस्तित्व में समाहित करें ताकि वे एक हो सकें। इस अनुरोध के परिणामस्वरूप "अर्धनारीश्वर" का रूप प्रकट हुआ, जिसमें आधा शरीर शिव का और आधा पार्वती का है। यह रूप सृष्टि के संतुलन का प्रतीक है।

कुंडलिनी शक्ति का आधार

  • माता पार्वती को कुंडलिनी शक्ति का उद्गम माना जाता है। कहा जाता है कि वे मानव शरीर के भीतर सुप्त ऊर्जा के रूप में निवास करती हैं और साधक की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती हैं।

माता पार्वती पूजा विधि

स्नान और शुद्धता:

  • पूजा करने से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें।

मूर्ति या चित्र स्थापना:

  • माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थान पर रखें। यदि शिव-पार्वती की संयुक्त मूर्ति हो, तो यह विशेष शुभ मानी जाती है।

कलश स्थापना:

  • एक कलश में जल भरकर उसके ऊपर नारियल रखें। इसे माता की शक्ति का प्रतीक मानकर पूजन करें।

पूजा सामग्री:

  • लाल और पीले फूल (गुलाब या कमल)
  • अक्षत (चावल)
  • कुमकुम, हल्दी, और चंदन
  • धूप और दीप
  • मिठाई (खीर, लड्डू, या गुड़)
  • पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, और चीनी)
  • नारियल

मंत्रों का उच्चारण:

"ऊँ पार्वत्यै नमः"

  • दुर्गा सप्तशती का पाठ या ललिता सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें।

अर्घ्य अर्पण:

  • माता को जल और पुष्प अर्पण करें। पंचामृत और मिठाई का भोग लगाएं।

आरती:

  • माता की आरती करें। दीपक और कपूर जलाकर माता का जयकारा लगाएं।

व्रत और ध्यान:

  • किसी विशेष कामना के लिए माता का व्रत रखें और उनकी कथा सुनें। ध्यान करें और उनके दिव्य रूप की कल्पना करें।

पूजा से मिलने वाले लाभ

वैवाहिक सुख:

  • माता पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सौहार्द, और संतुलन बना रहता है। कुंवारी कन्याएं योग्य वर प्राप्ति के लिए उनकी पूजा करती हैं।

आध्यात्मिक शक्ति:

  • माता पार्वती की पूजा से साधक को ध्यान, योग, और तंत्र साधना में सफलता प्राप्त होती है।

मनोकामना पूर्ति:

  • माता की कृपा से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
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Published by Sri Mandir·January 17, 2025

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