जानें शिव चालीसा के पाठ का महत्व और लाभ कि इसे कैसे सही विधि से पढ़ना है।
व्यक्ति के जीवन में शिव चालीसा का बहुत महत्व है। शिव चालीसा के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। वेदों के अनुसार भक्त शिव चालीसा का अनुसरण अपने जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए करता है। शिव चालीसा के माध्यम से आप भी अपने दुखों को दूर करके शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान
जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।
जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।
संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।
ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
श्री मंदिर साहित्य में पाएं सभी मंगलमय चालीसा का संग्रह।
शिव चालीसा का पाठ करने से कई अद्भुत लाभ होते हैं। मान्यता है कि इससे व्यक्ति को मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इस चालीसा को पढ़ने से मन की इच्छा के अनुरूप फल की प्राप्ति होती है। वहीं, जो लोग स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रस्त होते हैं उन्हें भी शिव चालीसा का पाठ करने से राहत मिलती है। इस चालीसा के पाठ से भोलेनाथ की कृपा भी मिलती है और बिगड़े कार्य बन जाते हैं।
शिव चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इसलिए सोमवार को शिव चालीसा का पाठ करना सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि और अन्य विशेष तिथियों में भी शिव चालीसा का पाठ करना प्रभावी होता है।
जी हां, शिव चालीसा का पाठ रोज़ किया जा सकता है। सही तरीके से उच्चारण करते हुए रोजाना शिव चालीसा का पाठ करने से भक्तों के सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा, यह पाठ घर में भूत-प्रेत और अन्य नकारात्मक ऊर्जा को भी नष्ट करता है, जिससे घर में सुख और समृद्धि का वास होता है।
शिव चालीसा का पाठ करने के पूर्व सबसे पहले एक दीपक जलाना चाहिए। फिर तांबे के लोटे में साफ जल और गंगा जल मिलाकर रखें। इसके बाद भगवान शिव की पूजा करें और प्रसाद के रूप में घी, दही, चावल और पुष्प अर्पित करें। वहीं, शिव चालीसा का पाठ करने से पहले भगवान गणेश का श्लोक "ॐ गं गणपतये नमः" का जप करना चाहिए।
शिव चालीसा का पाठ सुबह करना अच्छा माना जाता है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। हालांकि, रात में भी शिव चालीसा का पाठ किया जा सकता है। विशेष रूप से यदि समय की कमी हो।
हां, शिव चालीसा का पाठ करने से ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। इससे जीवन के संकट, दुर्योग और ग्रह दोषों का प्रभाव कम होता है। शिव चालीसा मानसिक शांति, समृद्धि और सुख भी प्रदान करता है।
शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र दोनों भगवान शिव से जुड़ी महत्वपूर्ण उपासना विधियाँ हैं, लेकिन इनका उद्देश्य और प्रभाव अलग है। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव के महामृत्युंजय स्वरूप की स्तुति करता है, जिसका जाप करने से व्यक्ति को लंबी उम्र, रोगों से मुक्ति और जीवनदान मिलता है। वहीं, शिव चालीसा भगवान शिव की स्तुति में लिखी 40 चौपाइयों का संग्रह है, जिसे नियमित रूप से पढ़ने से व्यक्ति सभी प्रकार के भय, रोग और दुखों से मुक्त हो जाता है।
Did you like this article?
Hanuman Chalisa: हनुमान चालीसा का पाठ करने से दूर होंगी सभी बाधाएं और मिलेगा प्रभु हनुमान का आशीर्वाद। पढ़ें पूरी हनुमान चालीसा हिंदी में और जानें इसके लाभ
Saraswati Chalisa: माँ सरस्वती की स्तुति का एक विशेष पाठ। इसके पाठ से प्राप्त करें ज्ञान, बुद्धि और समर्पण। अपने जीवन में सकारात्मकता और सफलता के लिए इसे नियमित रूप से पढ़ें।
Durga Chalisa: माँ दुर्गा की महिमा का वर्णन करने वाला विशेष स्तोत्र। जानें दुर्गा चालीसा के पाठ के लाभ और इसे कैसे सही विधि से पढ़ना है। दुर्गा माता की कृपा से प्राप्त करें शक्ति, शांति और समृद्धि।