चामुण्डा देवी चालीसा
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चामुण्डा देवी चालीसा

यह चालीसा समर्पण, साहस, और बलिदान की भावना को बढ़ाती है, जिससे भक्तों में आत्मविश्वास और संकल्प की वृद्धि होती है।

चामुण्डा देवी चालीसा के बारे में

चामुण्डा देवी के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। मां की कृपा उसके पूरे कुल पर होती है। उसके चेहरे पर खुशी और संतोष नजर आता है। वो सफलता के पथ पर आगे बढ़ता है। माँ चामुण्डा देवी चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। चामुण्डा देवी की कृपा से सिद्धि-बुद्धि,धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है।

चामुण्डा देवी चालीसा दोहा

नीलवरण माँ कालिका रहती सदा प्रचंड।

दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुष्ट को दंड॥

मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत।

मेरी भी पीड़ा हरो हो जो कर्म पुनीत॥

चामुण्डा देवी चालीसा चौपाई

नमस्कार चामुंडा माता।

तीनो लोक मई मई विख्याता॥

हिमाल्या मई पवितरा धाम है ।

महाशक्ति तुमको प्रणाम है॥

मार्कंडिए ऋषि ने धीयया ।

कैसे प्रगती भेद बताया॥

सूभ निसुभ दो डेतिए बलसाली ।

तीनो लोक जो कर दिए खाली॥

वायु अग्नि याँ कुबेर संग ।

सूर्या चंद्रा वरुण हुए तंग॥

अपमानित चर्नो मई आए ।

गिरिराज हिमआलये को लाए॥

भद्रा-रॉंद्र्रा निट्टया धीयया ।

चेतन शक्ति करके बुलाया॥

क्रोधित होकर काली आई ।

जिसने अपनी लीला दिखाई॥

चंदड़ मूंदड़ ओर सुंभ पतए ।

कामुक वेरी लड़ने आए॥

पहले सुग्गृीव दूत को मारा ।

भगा चंदड़ भी मारा मारा॥

अरबो सैनिक लेकर आया ।

द्रहूँ लॉकंगन क्रोध दिखाया॥

जैसे ही दुस्त ललकारा ।

हा उ सबद्ड गुंजा के मार॥

सेना ने मचाई भगदड़ ।

फादा सिंग ने आया जो बाद॥

हत्टिया करने चंदड़-मूंदड़ आए ।

मदिरा पीकेर के घुर्रई॥

चतुरंगी सेना संग लाए ।

उचे उचे सीविएर गिराई॥

तुमने क्रोधित रूप निकाला ।

प्रगती डाल गले मूंद माला॥

चर्म की सॅडी चीते वाली ।

हड्डी ढ़ाचा था बलसाली॥

विकराल मुखी आँखे दिखलाई ।

जिसे देख सृष्टि घबराई॥

चंदड़ मूंदड़ ने चकरा चलाया ।

ले तलवार हू साबद गूंजाया॥

पपियो का कर दिया निस्तरा ।

चंदड़ मूंदड़ दोनो को मार॥

हाथ मई मस्तक ले मुस्काई ।

पापी सेना फिर घबराई॥

सरस्वती मा तुम्हे पुकारा ।

पड़ा चामुंडा नाम तिहर॥

चंदड़ मूंदड़ की मिरतट्यु सुनकर ।

कालक मौर्या आए रात पर॥

अरब खराब युध के पाठ पर ।

झोक दिए सब चामुंडा पर॥

उगर्र चंडिका प्रगती आकर ।

गीडदीयो की वाडी भरकर॥

काली ख़टवांग घुसो से मारा ।

ब्रह्माड्ड ने फेकि जल धारा॥

माहेश्वरी ने त्रिशूल चलाया ।

मा वेश्दवी कक्करा घुमाया॥

कार्तिके के शक्ति आई ।

नार्सिंघई दित्तियो पे छाई॥

चुन चुन सिंग सभी को खाया ।

हर दानव घायल घबराया॥

रक्टतबीज माया फेलाई ।

शक्ति उसने नई दिखाई॥

रक्त्त गिरा जब धरती ऊपर ।

नया डेतिए प्रगता था वही पर॥

चाँदी मा अब शूल घुमाया ।

मारा उसको लहू चूसाया॥

सूभ निसुभ अब डोडे आए ।

सततर सेना भरकर लाए॥

वज्रपात संग सूल चलाया ।

सभी देवता कुछ घबराई॥

ललकारा फिर घुसा मारा ।

ले त्रिशूल किया निस्तरा॥

सुभ निसुभ धरती पर सोए ।

डेतिए सभी देखकर रोए॥

कहमुंडा मा धृम बचाया ।

अपना शुभ मंदिर बनवाया॥

सभी देवता आके मानते ।

हनुमत भेराव चवर दुलते॥

आसवीं चेट नवराततरे अओ ।

धवजा नारियल भेंट चाड़ौ॥

वांडर नदी सनन करऔ ।

चामुंडा मा तुमको पियौ॥

चामुण्डा देवी चालीसा दोहा

शरणागत को शक्ति दो हे जग की आधार।

‘ओम’ ये नैया डोलती कर दो भाव से पार॥

श्री मंदिर साहित्य में पाएं सभी मंगलमय चालीसा का संग्रह।

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Published by Sri Mandir·December 4, 2022

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