इस चालीसा के नियमित पाठ से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
माँ दुर्गा के अनेकों रूप हैं, जिनमें से एक रूप विंध्यवासिनी माता का है। देवी को यह नाम उन्हें विंध्य पर्वत से मिला हुआ है। माता विंध्यवासिनी के इस रूप का शाब्दिक अर्थ है विंध्य में निवास करने वाली। शास्त्रों के अनुसार जहां-जहां पर माता सती के अंग गिरे थे वहां-वहां पर शक्तिपीठ स्थापित हो गए थे। विंध्य पर्वत वह जगह है जहाँ पर देवी ने अपने जन्म के बाद यहाँ निवास करना चुना था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माँ के इस रूप की पूजा करने से क्या लाभ होते है और उनकी आरती व चालीसा पढ़ने से क्या होता है? तो आइए इस लेख में जानते हैं कि श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा (Shri Vindheshwari Chalisa) पढ़ने के क्या लाभ है?
नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब ।
सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥
जय जय जय विन्ध्याचल रानी।
आदिशक्ति जगविदित भवानी ॥
सिंहवाहिनी जै जगमाता ।
जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता ॥
कष्ट निवारण जै जगदेवी ।
जै जै सन्त असुर सुर सेवी ॥
महिमा अमित अपार तुम्हारी ।
शेष सहस मुख वर्णत हारी ॥
दीनन को दु:ख हरत भवानी ।
नहिं देखो तुम सम कोउ दानी ॥
सब कर मनसा पुरवत माता ।
महिमा अमित जगत विख्याता ॥
जो जन ध्यान तुम्हारो लावै ।
सो तुरतहि वांछित फल पावै ॥
तुम्हीं वैष्णवी तुम्हीं रुद्रानी ।
तुम्हीं शारदा अरु ब्रह्मानी ॥
रमा राधिका श्यामा काली ।
तुम्हीं मातु सन्तन प्रतिपाली ॥
उमा माध्वी चण्डी ज्वाला ।
वेगि मोहि पर होहु दयाला ॥ 10
तुम्हीं हिंगलाज महारानी ।
तुम्हीं शीतला अरु विज्ञानी ॥
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता ।
तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता ॥
तुम्हीं जाह्नवी अरु रुद्रानी ।
हे मावती अम्ब निर्वानी ॥
अष्टभुजी वाराहिनि देवा ।
करत विष्णु शिव जाकर सेवा ॥
चौंसट्ठी देवी कल्यानी ।
गौरि मंगला सब गुनखानी ॥
पाटन मुम्बादन्त कुमारी ।
भाद्रिकालि सुनि विनय हमारी ॥
बज्रधारिणी शोक नाशिनी ।
आयु रक्षिनी विन्ध्यवासिनी ॥
जया और विजया वैताली ।
मातु सुगन्धा अरु विकराली ॥
नाम अनन्त तुम्हारि भवानी ।
वरनै किमि मानुष अज्ञानी ॥
जापर कृपा मातु तब होई ।
जो वह करै चाहे मन जोई ॥ 20
कृपा करहु मोपर महारानी ।
सिद्ध करहु अम्बे मम बानी ॥
जो नर धरै मातु कर ध्याना ।
ताकर सदा होय कल्याना ॥
विपति ताहि सपनेहु नाहिं आवै ।
जो देवीकर जाप करावै ॥
जो नर कहँ ऋण होय अपारा ।
सो नर पाठ करै शत बारा ॥
निश्चय ऋण मोचन होई जाई ।
जो नर पाठ करै चित लाई ॥
अस्तुति जो नर पढ़े पढ़अवे ।
या जग में सो बहु सुख पावे ॥
जाको व्याधि सतावे भाई ।
जाप करत सब दूर पराई ॥
जो नर अति बन्दी महँ होई ।
बार हजार पाठ करि सोई ॥
निश्चय बन्दी ते छुट जाई ।
सत्य वचन मम मानहु भाई ॥
जापर जो कछु संकट होई ।
निश्चय देविहिं सुमिरै सोई ॥ 30
जा कहँ पुत्र होय नहिं भाई ।
सो नर या विधि करे उपाई ॥
पाँच वर्ष जो पाठ करावै ।
नौरातन महँ विप्र जिमावै ॥
निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी ।
पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी ॥
ध्वजा नारियल आन चढ़ावै ।
विधि समेत पूजन करवावै ॥
नित प्रति पाठ करै मन लाई ।
प्रेम सहित नहिं आन उपाई ॥
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा ।
रंक पढ़त होवे अवनीसा ॥
यह जन अचरज मानहु भाई ।
कृपा दृश्टि जापर होइ जाई ॥
जै जै जै जग मातु भवानी ।
कृपा करहु मोहि निज जन जानी ॥ 40
हिंदू धर्म में चालीसा पाठ का विशेष महत्व है और जब बात माँ विंध्यवासिनी की होती है, तो उनकी महिमा का गुणगान करने वाली विंध्येश्वरी चालीसा अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। यह पाठ भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है और जीवन की कठिनाइयों को दूर करने में सहायक होता है। माँ विंध्यवासिनी, जो आदिशक्ति का अवतार मानी जाती हैं, संकटहारी और मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी हैं। विंध्याचल में विराजमान इस देवी का चालीसा पाठ न केवल भक्तों को मानसिक शांति देता है, बल्कि उनके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का मार्ग भी प्रशस्त करता है। आइए जानते हैं कि विंध्येश्वरी चालीसा का पाठ करने के लाभ, इसके नियम, और इससे जुड़े विशेष महत्व क्या हैं।
विंध्येश्वरी चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मबल और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है। यह पाठ जीवन में सुख-समृद्धि लाने में सहायक होता है और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करने के लिए माता विंध्यवासिनी की कृपा प्राप्त होती है।
विंध्येश्वरी चालीसा का पाठ मंगलवार और शुक्रवार को करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके माता के समक्ष दीप जलाकर पाठ करने से अधिक लाभ मिलता है। नवरात्रि, पूर्णिमा, और अष्टमी तिथि पर इस पाठ का विशेष महत्व होता है।
इस चालीसा में माता विंध्यवासिनी के अनेक रूपों का वर्णन किया गया है, जैसे महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती। माता की कृपा से भक्तों को शक्ति, धन और ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसमें माता की करुणा, रक्षा, और संकट हरने वाली शक्तियों का विस्तार से उल्लेख किया गया है।
इस चालीसा का पाठ करने से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें और स्वच्छ मन से पाठ करें। पाठ के दौरान ध्यान एकाग्र रखें और माता विंध्यवासिनी के प्रति श्रद्धा भाव बनाए रखें। पाठ के समय दीपक जलाएं और हो सके तो पुष्प अर्पित करें। पूर्ण निष्ठा और नियमपूर्वक पाठ करने से इसका अधिक प्रभाव होता है।
हाँ, नवरात्रि के दौरान विंध्येश्वरी चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस समय देवी शक्ति अधिक जाग्रत रहती हैं और भक्तों की प्रार्थनाएँ जल्दी स्वीकार होती हैं। नवरात्रि में इस पाठ को करने से घर में सुख-शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है।
विंध्येश्वरी चालीसा विशेष रूप से माता विंध्यवासिनी की महिमा का गुणगान करता है, जबकि दुर्गा चालीसा नवदुर्गा के समस्त रूपों की वंदना करता है। दोनों चालीसाएँ देवी की शक्ति का बखान करती हैं, लेकिन विंध्येश्वरी चालीसा मुख्य रूप से विंध्याचल में स्थित माता विंध्यवासिनी की कृपा प्राप्ति के लिए पाठ किया जाता है।
क्या आप माँ विंध्येश्वरी की कृपा प्राप्त कर अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि पाना चाहते हैं? यहाँ आपको श्री विंध्येश्वरी चालीसा का शुद्ध और स्पष्ट पाठ मिलेगा, जिसे आप बिना किसी बाधा के पढ़ सकते हैं और आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
PDF डाउनलोड करें: ऊपर दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें और श्री विंध्येश्वरी चालीसा को अपने मोबाइल या कंप्यूटर में सेव करें।
पेज को बुकमार्क करें: इस पेज को सेव कर लें ताकि जब भी माँ विंध्यवासिनी की उपासना करनी हो, आपको चालीसा तुरंत मिल जाए।
बिना किसी विज्ञापन के शुद्ध पाठ: यहाँ आपको संपूर्ण विंध्येश्वरी चालीसा स्पष्ट और सुव्यवस्थित रूप में मिलेगी, जिसे पढ़ने में कोई परेशानी नहीं होगी।
माँ विंध्येश्वरी की कृपा से आपके जीवन में शक्ति, सौभाग्य और समृद्धि बनी रहे! जय माँ विंध्यवासिनी!
Did you like this article?
शिव चालीसा: जानें शिव चालीसा के पाठ का महत्व, इसके लाभ और कैसे इसे सही विधि से पढ़ना है। भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए इसे नियमित रूप से पढ़ें।
Hanuman Chalisa: हनुमान चालीसा का पाठ करने से दूर होंगी सभी बाधाएं और मिलेगा प्रभु हनुमान का आशीर्वाद। पढ़ें पूरी हनुमान चालीसा हिंदी में और जानें इसके लाभ
Saraswati Chalisa: माँ सरस्वती की स्तुति का एक विशेष पाठ। इसके पाठ से प्राप्त करें ज्ञान, बुद्धि और समर्पण। अपने जीवन में सकारात्मकता और सफलता के लिए इसे नियमित रूप से पढ़ें।