जानिए 108 राधारानी के दिव्य नाम, जो प्रेम, भक्ति और आत्मिक शांति का अनुभव कराते हैं और जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हैं
108 राधारानी के नाम और मंत्र का जाप प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिक आनंद का स्रोत है। यह मंत्र मन को शांति, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। राधारानी के नामों का स्मरण भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है, जिससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। नियमित जाप से व्यक्ति के दिल में प्रेम और करुणा का संचार होता है, जिससे जीवन और भी सुंदर बनता है।
राधारानी, जिन्हें राधिका, श्री राधा और राधे के नाम से भी पूजा जाता है, प्रेम और भक्ति का सर्वोत्तम प्रतीक हैं। श्री कृष्ण के संपूर्ण जीवन का अभिन्न अंग है राधा। हिन्दू पुराणों के अनुसार इन्हें माता लक्ष्मी का अवतार भी माना गया है, इसलिए माता राधारानी के 108 नामों का जाप करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। राधा जी के नामों में उनका रूप, सौंदर्य और उनकी दिव्यता निहित है। उनके इन नामों का जाप करने से व्यक्ति को आत्मविश्वास, सुंदरता और आकर्षण की प्राप्ति होती है। यह भक्तों को भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा की ओर ले जाता है, साथ ही व्यक्ति को आध्यात्म के उच्चतम स्तर पर पहुंचने में भी मदद करता है, जिससे उनकी अध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
राधारानी का 108 नामावली का जाप करने के लिए किसी स्वच्छ और शांत स्थान को चुनें। स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें, एवं अपने मन को शांत तथा एकाग्र करके जाप आरम्भ करें।
S.No | मंत्र |
1 | ॐ राधिकायै नमः। |
2 | ॐ सुन्दर्यै नमः। |
3 | ॐ गोप्यै नमः। |
4 | ॐ कृष्णसङ्गमकारिण्यै नमः। |
5 | ॐ चञ्चलाक्ष्यै नमः। |
6 | ॐ कुरङ्गाक्ष्यै नमः। |
7 | ॐ गान्धर्यै नमः। |
8 | ॐ वृषभानुजायै नमः। |
9 | ॐ वीणापाण्यै नमः। |
10 | ॐ स्मितमुख्यै नमः। |
11 | ॐ रक्ताशोकलतालयायै नमः। |
12 | ॐ गोवर्धनचर्यै नमः। |
13 | ॐ अष्टादशाक्षरफलायै नमः। |
14 | ॐ गोपीवेषमनोहरायै नमः। |
15 | ॐ चन्द्रावलीसपत्न्यै नमः। |
16 | ॐ दर्पणास्यायै नमः। |
17 | ॐ कलावत्यै नमः। |
18 | ॐ कृपावत्यै नमः। |
19 | ॐ सुप्रतीकायै नमः। |
20 | ॐ तरुण्यै नमः। |
21 | ॐ हृदयङ्गमायै नमः। |
22 | ॐ कृष्णप्रियायै नमः। |
23 | ॐ कृष्णसख्यै नमः। |
24 | ॐ विपरीतरतिप्रियायै नमः। |
25 | ॐ प्रवीणायै नमः। |
26 | ॐ सुरतप्रीतायै नमः। |
27 | ॐ चन्द्रास्यायै नमः। |
28 | ॐ चारुविग्रहायै नमः। |
29 | ॐ केकराक्ष्यै नमः। |
30 | ॐ हरे:कान्तायै नमः। |
31 | ॐ महालक्ष्म्यै नमः। |
32 | ॐ सुकेलिन्यै नमः। |
33 | ॐ सङ्केतवटसंस्थानायै नमः। |
34 | ॐ कमनीयायै नमः। |
35 | ॐ कामिन्यै नमः। |
36 | ॐ वृषभानुसुतायै नमः। |
37 | ॐ राधायै नमः। |
38 | ॐ किशोर्यै नमः। |
39 | ॐ ललितायै नमः। |
40 | ॐ लतायै नमः। |
41 | ॐ विघुद्वल्ल्यै नमः। |
42 | ॐ काञ्चनाभायै नमः। |
43 | ॐ कुमार्यै नमः। |
44 | ॐ मुग्धवेशिन्यै नमः। |
45 | ॐ केशिन्यै नमः। |
46 | ॐ केशवसख्यै नमः। |
47 | ॐ नवनीतैकविक्रयायै नमः। |
48 | ॐ षोडशाब्दायै नमः। |
49 | ॐ कलापूर्णायै नमः। |
50 | ॐ जारिण्यै नमः। |
51 | ॐ जारसङ्गिन्यै नमः। |
52 | ॐ हर्षिण्यै नमः। |
53 | ॐ वर्षिण्यै नमः। |
54 | ॐ वीरायै नमः। |
55 | ॐ धीरायै नमः। |
56 | ॐ धारायै नमः। |
57 | ॐ धरायै नमः। |
58 | ॐ धृत्यै नमः। |
59 | ॐ यौवनस्थायै नमः। |
60 | ॐ वनस्थायै नमः। |
61 | ॐ मधुरायै नमः। |
62 | ॐ मधुराकृत्यै नमः। |
63 | ॐ वृषभानुपुरावासायै नमः। |
64 | ॐ मानलीलाविशारदायै नमः। |
65 | ॐ दानलीलायै नमः। |
66 | ॐ दानदात्र्यै नमः। |
67 | ॐ दण्डहस्तायै नमः। |
68 | ॐ भ्रुवोन्नतायै नमः। |
69 | ॐ सुस्तन्यै नमः। |
70 | ॐ मधुरास्यायै नमः। |
71 | ॐ बिम्बोष्ठ्यै नमः। |
72 | ॐ पञ्चमस्वरायै नमः। |
73 | ॐ सङ्गीतकुशलायै नमः। |
74 | ॐ सेव्यायै नमः। |
75 | ॐ कृष्णवश्यत्वकारिण्यै नमः। |
76 | ॐ तारिण्यै नमः। |
77 | ॐ हारिण्यै नमः। |
78 | ॐ ह्रीलायै नमः। |
79 | ॐ शीलायै नमः। |
80 | ॐ लीलायै नमः। |
81 | ॐ ललामिकायै नमः। |
82 | ॐ गोपाल्यै नमः। |
83 | ॐ दधिविक्रेत्र्यै नमः। |
84 | ॐ प्रौढायै नमः। |
85 | ॐ मुग्धायै नमः। |
86 | ॐ मध्यकायै नमः। |
87 | ॐ स्वाधीनपतिकायै नमः। |
88 | ॐ खण्डितायै नमः। |
89 | ॐ अभिसारिकायै नमः। |
90 | ॐ रसिकायै नमः। |
91 | ॐ रसिनायै नमः। |
92 | ॐ रस्यायै नमः। |
93 | ॐ रसशास्त्रैकशेवध्यै नमः। |
94 | ॐ पालिकायै नमः। |
95 | ॐ लालिकायै नमः। |
96 | ॐ लज्जायै नमः। |
97 | ॐ लालसायै नमः। |
98 | ॐ ललनामण्यै नमः। |
99 | ॐ बहुरूपायै नमः। |
100 | ॐ सुरूपायै नमः। |
101 | ॐ सुप्रसन्नायै नमः। |
102 | ॐ महामत्यै नमः। |
103 | ॐ मरालगमनायै नमः। |
104 | ॐ मत्तायै नमः। |
105 | ॐ मन्त्रिण्यै नमः। |
106 | ॐ मन्त्रनायिकायै नमः। |
107 | ॐ मन्त्रराजैकसंसेव्यायै नमः। |
108 | ॐ मन्त्रराजैकसिद्धिदायै नमः। |
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