दुर्गा चालीसा पाठ करने के फायदे | Durga Chalisa Padhne Ke Fayde

दुर्गा चालीसा पाठ करने के फायदे

जानें दुर्गा चालीसा के नियमित पाठ से प्राप्त होने वाले लाभ


दुर्गा चालीसा क्या है? (What Is Durga Chalisa)

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से मां दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां दुर्गा को आदिशक्ति भी कहा जाता है। मां दुर्गा के नौ रूप हैं, जिनकी पूजा अर्चना विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान की जाती है। माना जाता है कि दुर्गा चालीसा का जाप नियमित रूप से करने से देवी मां का आशीर्वाद जीवन भर मिलता रहता है। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से मां प्रसन्न होती हैं और मनोवांछित आशीर्वाद देती हैं। दुर्गा चालीसा के पाठ से जातक सकारात्मक विचारों से भर जाता है, जिससे मन शांत रहता है।

दुर्गा चालीसा किसने और क्यों लिखी ? (Who wrote Durga Chalisa and why?)

देवी-दास जी ने दुर्गा चालीसा की रचना की थी। देवी-दास जी के संदर्भ में ये बताया जाता है कि वो मां दुर्गा के सबसे बड़े भक्त थे और उन्होनें दुर्गा चालीसा में माँ दुर्गा के सभी रूपों के साथ उनकी महिमा का वर्णन विस्तार से किया है। कई पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि मां दुर्गा में ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों के गुण विद्यमान हैं और मां दुर्गा ही इस संसार की संचालक भी हैं।

दुर्गा चालीसा का महत्व (Importance of Durga Chalisa)

दुर्गा चालीसा का जाप नियमित रूप से करने से देवी का आशीर्वाद जीवन में विद्यमान रहता है। मां दुर्गा की पूजा चालीसा के बिना अधूरी मानी जाती है। अगर आप मां दुर्गा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो श्री दुर्गा चालीसा का पाठ रोजाना करें। जो व्यक्ति प्रतिदिन दुर्गा चालीसा का पाठ करता है वह अपनी सफलता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सक्षम होता है। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक, भौतिक और भावनात्मक खुशी मिलती है।

दुर्गा चालीसा कैसे पढ़ें? (How to Read Durga Chalisa?)

  • दुर्गा चालीसा का पाठ करने से पहले स्नान करके साफ़ सुथरे वस्त्र पहन लें।
  • इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा कर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।
  • फिर मां दुर्गा का ध्यान लगाएं और लाल फूल, धूप, दीप अर्पित करके पूजा करें।
  • इसके बाद मां का ध्यान लगाकर श्रृंगार का सामान चढ़ाएं।
  • फिर मां को फल और मिष्ठान का भोग लगाएं और दुर्गा चालीसा का पाठ शुरू करें।

दुर्गा चालीसा पढ़ने के 10 लाभ (Durga Chalisa Padhne Ke Fayde)

  • दुर्गा चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से जातक को मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  • दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से जातक अपने शत्रुओं के ऊपर आसानी से विजय प्राप्त करता है।
  • दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से जातक के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और उसके सभी कार्य सफल होते हैं।
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करने से जीवन में बुरी शक्तियों से निजात मिलती है और बुरी शक्तियों से परिवार का भी बचाव होता है।
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है और घर में लक्ष्मी जी का वास होता है।
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाले दुखों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
  • दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति का खोया हुआ सम्मान और संपत्ति प्राप्त होती है।
  • दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से मन से निराशा के भाव दूर हो जाते हैं।
  • दुर्गा चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं।
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करने से खोया हुआ सामाजिक सम्मान एक बार फिर से प्राप्त हो सकता है।

दुर्गा चालीसा पढ़ते समय न करें ये गलती (Don't do this while reading Durga Chalisa)

  • दुर्गा चालीसा पढ़ते समय तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए।
  • दुर्गा चालीसा पढ़ते समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • दुर्गा चालीसा पढ़ते समय सांसारिक मोहमाया से दूर रहना चाहिए।
  • दुर्गा चालीसा पढ़ते समय मन में किसी प्रकार के द्वेष की भावना नहीं होनी चाहिए।
  • दुर्गा चालीसा पढ़ते समय आस-पास गंदगी नहीं होनी चाहिए।

दुर्गा चालीसा हिंदी में (Durga Chalisa in hindi)

॥ चौपाई ॥

नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो अम्बे दुःख हरनी।

निराकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूँ लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लय कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा॥

धरा रूप नरसिंह को अम्बा। प्रगट भईं फाड़कर खम्बा॥

रक्षा कर प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर-खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजे॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगर कोटि में तुम्हीं विराजत। तिहुंलोक में डंका बाजत॥

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावै। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप को मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावे। मोह मदादिक सब विनशावै॥

शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला॥

जब लगि जियउं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥

दुर्गा चालीसा जो नित गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

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