एकादशी श्राद्ध क्या होता है? | Ekadashi Shradh Kya Hai
पुराणों में कहा गया है कि मनुष्य की मृत्यु के बाद भी उसकी आत्मा अजर-अमर रहती है, यानी कि व्यक्ति के शरीर के नष्ट होने बाद भी आत्मा का अस्तित्व समाप्त नहीं होता। हमारे पूर्वजों की आत्माएं न जाने किस-किस रूप में भटक रही होंगी, हम यह तो नहीं जान सकते, लेकिन हमारा कर्तव्य है कि हम अपने पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए उन्हें जल व भोजन अर्पित करें। पितृ पक्ष एक ऐसी ही अवधि है, जब हमारे पितृ पृथ्वी पर आते हैं और हमारे द्वारा दिया गया जल भोजन आदि ग्रहण कर हमें आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष का ‘एकादशी श्राद्ध’ उन पितरों को समर्पित है, जिनकी मृत्यु एकादशी तिथि पर हुई हो। पितृपक्ष में आने वाली एकादशी को ‘इंदिरा एकादशी’ भी कहते हैं।
एकादशी श्राद्ध कब है? | Ekadashi Shradh Date & Muhurat
- एकादशी श्राद्ध 27 सितंबर, शुक्रवार को किया जाएगा।
- एकादशी तिथि 27 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 20 मिनट पर प्रारंभ होगी।
- एकादशी तिथि का समापन 28 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर होगा।
- कुतुप मुहूर्त दिन में 11 बजकर 25 मिनट से दोपहर 12 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।
- रौहिण मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक रहेगा।
- अपराह्न काल मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 01 मिनट से 03 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।
एकादशी श्राद्ध कैसे करें? | Ekadashi Shradh Kaise Kare
- श्राद्ध करने वाले जातक पहले स्वयं स्नान करके शुद्ध हो जाएं, उसके बाद श्राद्ध कर्म करने वाले स्थान को भी शुद्ध कर लें।
- इसके बाद किसी विद्वान पंडित के मार्गदर्शन में अपने पितरों के निमित्त पिंडदान तर्पण आदि करें
- अब पितरों की पसंद का भोजन बनाकर उसमें से गाय, कौवा, चींटी, कुत्ते जैसे जीवों के लिए एक-एक अंश निकालें।
- इस दौरान पितरों का आह्वान कर उनसे भोजन ग्रहण करने की प्रार्थना करें।
- इसके बाद ब्राह्मण को भी भोजन कराएं। श्राद्ध के अवसर पर यदि दामाद, भतीजा या भांजा भी भोजन करें, तो इससे पितृ विशेष प्रसन्न होते हैं।
- एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की उपासना करने का भी विधान है। मान्यता है कि इस दिन जो जातक व्रत रखते हैं, उनके सात पीढ़ी तक के पितृ मोक्ष प्राप्त करते हैं।
- जो जातक इंदिरा एकादशी व्रत का पुण्य अपने पितरों को समर्पित करना चाहते हैं, वे व्रत के दौरान ही इसका संकल्प लें, और भगवान विष्णु से अपने पितरों के उद्धार की कामना करें।
- एकादशी तिथि पर श्राद्ध- पूजा के बाद दूध, घी, दही और अन्न का दान करने का भी विशेष महत्व है।
एकादशी श्राद्ध का महत्व | Ekadashi Shradh Ka Mahatav
जिन पितरों का स्वर्गवास एकादशी तिथि पर हुआ है उनके लिए एकादशी श्राद्ध का विशेष महत्व है। पितृपक्ष की यह तिथि इसलिए भी विशेष मानी जाती है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु को समर्पित व्रत रखने का विधान है, जिसे इंदिरा एकादशी व्रत कहा जाता है।
मान्यता है कि जो लोग इस दिन अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं और भगवान विष्णु की उपासना कर उनके मोक्ष की प्रार्थना करते हैं, उनके पितरों की आत्मा जीवन-मरण के चक्र से मुक्त होकर बैकुंठ धाम जाती है। पुराणों में यह भी वर्णन मिलता है, कि जिन पितरों का एकादशी तिथि पर श्राद्ध होता है, उन्हें यमलोक की यातनाएं नहीं सहन करनी पड़ती हैं।