निशिता काल हिंदू धर्म में धार्मिक व तांत्रिक साधना के लिए एक विशेष और पवित्र समय माना जाता है। मान्यता है रात्रि के इस शांत वातावरण में सभी शक्तियां आपकी साधना से शीघ्र प्रसन्न होती हैं, जिससे साधक की सभी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं। आपको बता दें कि निशिता काल में भगवान शिव व अन्य दैवीय शक्तियों की उपासना की जाती है।
आइए जानते हैं कि निशिता काल पूजा क्या है, इसे कैसे किया जाता है, और इसके क्या लाभ होते हैं।
निशिता काल पूजा क्या है? (Nishita Kaal Puja Kya Hai)
निशिता काल, पूजा का वो समय है जब रात्रि अपने मध्य में होती है, और इस काल की अवधि लगभग एक घंटे से भी कम होती है। इसे रात का आठवां मुहूर्त कहा जाता है, जिसे विशेष ज्योतिषीय गणनाओं के बाद ही निर्धारित किया जाता है। पंचांग निर्माताओं और ज्योतिषियों के लिए यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसके आधार पर त्योहारों और शुभ दिनों का निर्धारण किया जाता है।
शिवरात्रि जैसे पर्व के लिए निशिता काल का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इसी समय भगवान शिव ने पृथ्वी पर शिवलिंग के रूप में प्रकट होकर संसार का उद्धार किया था। इस समय की गई पूजा अत्यंत फलदायी होती है और शिव भक्तों के लिए इसे सबसे शुभ समय माना जाता है। शिव मंदिरों में भी इसी समय शिवलिंग की पूजा की जाती है, जो शिवरात्रि की रात का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
निशिता काल पूजा विधि (Nishita Kaal Puja Vidhi)
शुद्धि और स्नान: पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थल तैयार करें: घर के पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र कर लें, और वहां पूजा की वेदी बनाएं। इसके बाद भगवान शिव या अपने इष्टदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
धूप-दीप जलाएं: पूजा स्थल पर स्थापित दैवीय शक्ति के सन्मुख धूप-दीप जलाएं।
मंत्र जप करें: भगवान शिव की उपासना के लिए पंचाक्षरी मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें। अन्य शक्ति की साधना के लिए उनके दिव्य मंत्रों का जाप करें।
**प्रसाद बांटें: ** अंत में दैवीय शक्ति से अपनी मनोकामना पूर्ति का निवेदन करें, और पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बांटें।
करें विशेष साधना: यदि आप निशिता काल में कोई विशेष धार्मिक या तांत्रिक साधना करना चाहते हैं, तो किसी तंत्र विद्या के जानकार के मार्गदर्शन में ये सिद्धि करें।
निशिता काल पूजा के फायदे (Nishita Kaal Puja Ke Fayde)
**मनोकामना पूर्ति: **निशिता काल में की गई पूजा से आपकी सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। यह समय दैवीय शक्तियों को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा समय होता है।
सुख-शांति की प्राप्ति: निशिता काल के शांत और दिव्य समय में की गई पूजा से साधक को मानसिक और आध्यात्मिक शांति की अनुभूति होती है।
**नकारात्मक ऊर्जा का नाश: **निशिता काल पूजा से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
**साधनाओं में सफलता: तांत्रिक साधनाओं और मंत्र सिद्धि के लिए यह समय अत्यंत लाभकारी होता है। इस समय की गई साधनाओं से सफलता निश्चित होती है। ** आध्यात्मिक उन्नति: निशिता काल पूजा से साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है और ईश्वर से उसका जुड़ाव और गहरा होता है।
FAQs
Q1. निशिता काल मुहूर्त क्या होता है?
**Ans: **निशिता काल वह समय है जो रात के मध्य में आता है। यह समय एक घंटे से भी कम होता है और इसे तांत्रिक साधनाओं और शिव जी व अन्य दैवीय शक्तियों की विशेष पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
Q2. निशिता काल पूजा कैसे करें?
Ans: निशिता काल पूजा को विधिपूर्वक करने के लिए पहले स्नान करें, पूजा स्थल को शुद्ध करें, भगवान शिव की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और मंत्रों का जाप करें। अंत में प्रसाद बांटें और भगवान से अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करें।
Q3. निशीथ काल का मतलब क्या होता है?
Ans: निशीथ काल का मतलब रात का वो मध्य समय होता है, जब पूरा वातावरण शांत और सुकून भरा होता है। यह समय तांत्रिक साधनाओं और मंत्र सिद्धि के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
Q4. निशीथ काल में क्या करना चाहिए?
Ans: निशीथ काल में पूजा, ध्यान, और मंत्र जाप करना चाहिए। इस समय की गई पूजा विशेष फलदायी होती है।
Q5. महानिशीथ काल क्या होता है?
Ans: दीपावली की रात को महानिशीथ काल भी कहा जाता है। इस रात महालक्ष्मी जी की उपासना के साथ-साथ काली मां की साधना का भी विधान है। अतः ये समय साधकों व तांत्रिकों के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है।