पितृ दोष कैसे लगता है? | Pitra Dosh Kaise Lagta Hai

पितृ दोष कैसे लगता है

जानिए पितृ दोष कैसे लगता है?


पितृ दोष कैसे लगता है (Pitra Dosh Kaise Lagta Hai)

पितृ दोष एक ज्योतिषीय अवधारणा है जो मानती है कि पूर्वजों के अपूर्ण कर्म या उनके प्रति असम्मान के कारण व्यक्ति के जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह माना जाता है कि पितृ दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि विवाह में बाधाएं, धन हानि, स्वास्थ्य समस्याएं और सामाजिक समस्याएं।

आइए जानते हैं पितृ दोष का कैसा पता लगता है...

पूर्वजों का अपूर्ण कर्म

यदि पूर्वजों के कुछ कर्म अधूरे रह गए हों, तो उनकी आत्मा शांति नहीं पाती और वंशजों को प्रभावित कर सकती है।

पूर्वजों का अपमान

यदि किसी ने जानबूझकर या अनजाने में अपने पूर्वजों का अपमान किया है, तो भी पितृ दोष लग सकता है।

श्राद्ध आदि कर्म न करना

पितृ पक्ष में श्राद्ध आदि कर्म न करने से भी पितृ दोष हो सकता है।

बार-बार समस्याएं

यदि व्यक्ति के जीवन में लगातार समस्याएं आ रही हैं, जैसे विवाह में बाधाएं, आर्थिक समस्याएं, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है।

पूर्वजों से जुड़े सपने

यदि व्यक्ति को बार-बार अपने पूर्वजों से जुड़े सपने आते हैं, तो यह भी पितृ दोष का संकेत हो सकता है।

परिवार में अशुभ घटनाएं

यदि परिवार में लगातार अशुभ घटनाएं हो रही हैं, तो यह भी पितृ दोष का संकेत हो सकता है।

कुंडली में ग्रहों की स्थिति

ज्योतिष के अनुसार, कुछ ग्रहों की विशेष स्थिति में भी पितृ दोष का संकेत मिल सकता है। यदि पितृ स्थान का स्वामी ग्रह कमजोर है या अशुभ ग्रहों के साथ युति में है तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है। यदि पितृ स्थान में शनि, राहु या केतु जैसे अशुभ ग्रह बैठे हैं तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है।

पितृ दोष के लक्षण (Pitra Dosh Ke Lakshan)

व्यक्तिगत जीवन में समस्याएं - विवाह में बाधाएं, दांपत्य जीवन में कलह, संतान प्राप्ति में कठिनाई आदि।

आर्थिक समस्याएं - धन हानि, व्यापार में नुकसान, गरीबी आदि।

स्वास्थ्य समस्याएं - बार-बार बीमार पड़ना, मानसिक तनाव आदि।

सामाजिक समस्याएं - समाज में अपमान, दोस्तों से दूर होना आदि।

पितृ दोष से मुक्ति के उपाय (Pitra Dosh Ke Upay)

श्राद्ध कर्म - पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करना सबसे महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है।

पितरों का तर्पण - नियमित रूप से पितरों का तर्पण करना।

दान - गरीबों को भोजन, वस्त्र आदि दान करना।

मंदिरों में पूजा - पितरों के नाम से मंदिरों में पूजा करना।

ज्योतिषीय उपाय - ज्योतिषी की सलाह से उपाय करना।

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