पितृ दोष
पितृ दोष तब होता है जब हमारे पूर्वज, विशेषकर जिनकी मृत्यु हो चुकी है, उनकी आत्मा को शांति या तृप्ति नहीं मिलती। यह दोष परिवार के लिए कई तरह की समस्याएँ खड़ी कर सकता है, जैसे स्वास्थ्य समस्याएँ, आर्थिक तंगी, वैवाहिक अड़चनें, आदि। इसलिए पितरों की प्रसन्नता के लिए कुछ विशेष उपाय करना आवश्यक होता है। आइए इन उपायों को विस्तार से जानते हैं।
पितृ दोष के उपाय | Pitru Dosha Ke Upay
पुण्यतिथि पर भोजन व दान
मृत व्यक्ति की मृत्यु की तिथि पर गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा देना चाहिए। इससे पितृ आत्माएं संतुष्ट होती हैं और परिवार में सुख-शांति का आगमन होता है।
पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाना
पीपल का वृक्ष हमारे शास्त्रों में देवताओं व पितरों का वास स्थल माना जाता है। दोपहर के समय पीपल के वृक्ष पर जल में पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल और काला तिल मिलाकर चढ़ाएं। इससे पितृ संतुष्ट होते हैं।
दक्षिण दिशा में अर्घ्य देना
जल में काला तिल मिलाकर उसे दक्षिण दिशा की ओर मुख कर अर्पित करना भी पितृ दोष शांति के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है। दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना जाता है, और इस दिशा में जल अर्पित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
निर्धन की सहायता
धार्मिक मान्यता के अनुसार पितरों की आत्मा को शांति तब भी शांति मिलती है, जब हम गरीबों, अनाथों और वृद्धों की सहायता करते हैं। इससे भी पितृ दोष को कम किया जा सकता है।
दीप प्रज्जवल व पाठ
शाम के समय घर में दीपक जलाना और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना बहुत ही फलदायी माना जाता है। नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र, रुद्र सूक्त, पितृ स्तोत्र या नवग्रह का पाठ करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
सोमवार को शिव उपासना
पितृ दोष से मुक्ति के लिए शिवजी की पूजा करना भी अत्यंत लाभकारी होता है। सोमवार के दिन सुबह स्नान करके शिव मंदिर जाएं और आक के 21 फूल, दही, बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवजी की पूजा करें। शिवजी को प्रसन्न करने से पितृ दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
निर्धन कन्या का विवाह कराना
किसी गरीब कन्या के विवाह में सहायता करना भी पितृ दोष से मुक्ति का एक महत्वपूर्ण उपाय है। यह न केवल सामाजिक रूप से एक महान कार्य है, बल्कि इससे पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।
गाय का दान करना
गाय का दान करना पितृ दोष निवारण का एक प्रमुख उपाय माना जाता है। गाय का दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर पितरों की कृपा बनी रहती है।
कपूर जलाना
कपूर जलाना भी पितृ दोष निवारण का एक सरल लेकिन प्रभावी उपाय है। प्रतिदिन सुबह और शाम घर में कपूर जलाने से पितृ दोष का से छुटकारा मिलता है।
लाल किताब में पितृ दोष के उपाय | Pitra Dosha Remedies in Laal Kitab
पूर्वजों का ऋण निवारण उपाय
कार्यों में रुकावट आना और रिश्तों में कड़वाहट आना पूर्वजों के ऋण के कारण हो सकता है। इसके निवारण के लिए अपने परिवार के साथ मंदिर में धन या अनाज का दान करें। इस दान से परिवार के सभी सदस्यों पर पितरों का आशीर्वाद होता है और अटके हुए कार्य भी बनने लगते हैं।
पितृ ऋण निवारण उपाय
यदि किसी की कुंडली में शुक्र, बुध या राहु दूसरे, पांचवें, नौवें या बारहवें भाव में हैं, तो यह पितृ ऋण का संकेत हो सकता है। ये दोष पूर्वजों के किसी मंदिर या देव स्थान के अपमान करने के कारण हो सकता है। इसे शांत करने के लिए परिवार के सभी सदस्यों से मुद्रा एकत्र कर गुरुवार को मंदिर में दान करें। इसके साथ ही पीपल के पेड़ को नियमित जल चढ़ाना अत्यंत लाभकारी होता है।
स्वयं का ऋण निवारण उपाय
यदि कुंडली में शुक्र, शनि, राहु या केतु पांचवें भाव में हों, तो जातक स्वयं के ऋण से पीड़ित माना जाता है। इसके निवारण के लिए सभी सगे-संबंधियों के सहयोग से बराबर-बराबर धन एकत्र कर यज्ञ का आयोजन करना चाहिए। यज्ञ से पवित्र अग्नि और मंत्रों की शक्ति से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
मातृ ऋण निवारण उपाय
यदि केतु चौथे भाव में स्थित हो, तो यह मातृ ऋण का संकेत है। इस ऋण को शांत करने के लिए सगे- संबंधियों से समान मात्रा में चांदी या चावल लेकर किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें। यह उपाय मातृ दोष को शांत करने में विशेष प्रभावी होता है।
पत्नी ऋण निवारण उपाय
कुंडली में जब सूर्य, चंद्र या राहु दूसरे या सातवें भाव में हों, तो यह पत्नी ऋण का संकेत देता है। इसके निवारण के लिए सभी सगे संबंधियों से धन एकत्रित कर 100 गायों को हरा चारा खिलाएं। इस उपाय से न केवल पत्नी से जुड़े दोष समाप्त होते हैं, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है।
संबंधी ऋण निवारण उपाय
कुंडली में बुध और केतु प्रथम अथवा आठवें भाव में हों, तो जातक पर संबंधी ऋण माना जाता है। इसके निवारण के लिए एकत्रित धन से दवाएं खरीदकर धर्मार्थ संस्थाओं में दान करें। यह उपाय पितृ दोष को समाप्त करता है।
पुत्री ऋण निवारण उपाय
यदि कुंडली में चंद्रमा तीसरे या छठे भाव में हो, तो जातक पुत्री ऋण से ग्रसित होता है। इस दोष को दूर करने के लिए पीले रंग की कौड़ियां एकत्र कर उन्हें जलाकर उनकी राख को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें। यह उपाय पुत्री दोष से मुक्ति दिलाता है और परिवार में कन्याओं का आशीर्वाद बना रहता है।
जालिमाना ऋण निवारण उपाय
सूर्य, चंद्रमा या मंगल दसवें और ग्यारहवें भाव में हों, तो जालिमाना ऋण लगता है। किसी व्यक्ति का मकान धोखे से ले लेना उसके एवज में उसकी कीमत ना अदा करना या हत्या कर उसकी संपत्ति छीन लेना जालिमाना ऋण का मुख्य कारण है। इसके निवारण के लिए 100 मछलियों या निर्धन लोगों को भोजन कराएं। इससे पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
अजन्मा ऋण निवारण उपाय
यदि कुंडली में सूर्य, शुक्र या मंगल बारहवें भाव में हों, तो अजन्मा ऋण का संकेत होता है। इसके निवारण के लिए एक-एक नारियल लेकर उन्हें किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें। यह उपाय पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है।
कुदरती ऋण निवारण उपाय
कुंडली में चंद्रमा और मंगल छठे भाव में हों, तो जातक कुदरती ऋण से पीड़ित होता है। इसे शांत करने के लिए सौ कुत्तों को मीठा दूध या खीर खिलाएं या विधवा महिलाओं की सहायता करें। यह उपाय कुदरती दोष को दूर करता है और जीवन में शांति एवं समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
अमावस्या पर पितृ दोष के उपाय | Remedies for Pitra Dosha on Amavasya
बेल के पत्ते चढ़ाएं
अमावस्या के दिन भगवान भोलेनाथ को बेल पत्र चढ़ाएं। ऐसा करने से भगवान शिव की कृपा से आप पर पितृ दोष का प्रभाव समाप्त हो
काला तिल का दान करें
अमावस्या के दिन काले तिल का दान करना चाहिए, इससे पूर्वजों की कृपा बनी रहती है।
पक्षियों के लिए रखें पानी
अमावस्या पर पक्षियों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था करें, आप चाहें तो छत पर एक मटके में भी पानी भरकर रख सकते हैं। इससे भी पितृ संतुष्ट होते हैं।
दूध व चावल का दान करें
अमावस्या के दिन आपको दूध और चावल का दान करना चाहिए, इससे जीवन में आर्थिक परेशानी से मुक्ति मिलती है, और नाराज़ पितृ प्रसन्न होते हैं।
पितरों के निमित्त पिंडदान करें
हिन्दू धर्म में पिंडदान का बहुत अधिक महत्व है। इसलिए अमावस्या तिथि पर पितरों के निमित्त पिंडदान, श्राद्ध व तर्पण अवश्य करें।
पितृ दोष के अचूक व आसान उपाय | Easy and Effective Remedies for Pitra Dosha
- अपने घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने दिवंगत पूर्वजों की तस्वीर लगाकर उस पर माल्यार्पण करें।
- माता-पिता का आदर-सत्कार करें।
- प्रत्येक संक्रांति, अमावस्या और रविवार के दिन सूर्यदेव को ताम्र पात्र में लाल चंदन, गंगाजल और शुद्ध जल मिलाकर बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्ध्य दें।
- पितरों की शांति के लिए गाय को चारा खिलाएं।
- कौओं, कुत्तों व भूखों को भोजन कराएं।
- पितृपक्ष में मांस मदिरा का सेवन न करें।
- प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करने से भी पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।