Poornima Shradh (पूर्णिमा श्राद्ध) Kya Hai, Date, Muhurat, Kaise Kare

पूर्णिमा श्राद्ध

पूर्वजों की आत्मा को शांति देने के लिए


पूर्णिमा श्राद्ध क्या होता है? | Poornima Shradh Kya Hai

पूर्णिमा श्राद्ध पक्ष की पहली तिथि है। मान्यता है कि इस दिन ही हमारे मृतक पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों के श्राद्ध व तर्पण से संतुष्ट होकर अश्विन अमावस्या को वापस पितृ लोक चले जाते हैं। हालांकि पूर्णिमा तिथि पर पूर्वजों के श्राद्ध से पहले ऋषियों के निमित्त तर्पण करने का विधान है, इसलिए पूर्णिमा तिथि पर किए गए श्राद्ध को ‘ऋषि तर्पण’ भी कहा जाता है। इसके अलावा इस दिन उन पूर्वजों के निमित्त भी श्राद्ध करने का विधान है, जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई थी।

पूर्णिमा श्राद्ध कब है? | Poornima Shradh Date & Muhurat

  • पूर्णिमा श्राद्ध 17 सितंबर 2024 मंगलवार को किया जाएगा।
  • पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को दिन में 11 बजकर 44 मिनट पर प्रारंभ होगी।
  • पूर्णिमा तिथि का समापन 18 सितंबर को सुबह 8 बजकर 04 मिनट पर होगा।

पूर्णिमा श्राद्ध के लिए कुछ विशेष मुहूर्त इस प्रकार हैं:-

  • कुतुप मुहूर्त दिन में 11 बजकर 28 मिनट से 12 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
  • रौहिण मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 01 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।
  • अपराह्न काल मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 06 मिनट से 03 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।

पूर्णिमा श्राद्ध कैसे करें? | Poornima Shradh Kaise Kare

  • पूर्णिमा तिथि पर अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध करने के लिए सबसे पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • इसके बाद दक्षिण दिशा में मुंह करके पितरों के नाम से तर्पण करें और उनकी आत्मा की संतुष्टि की कामना करें।
  • अब इलायची, शहद व केसर मिलाकर चावल की खीर तैयार कर लें।
  • इसके बाद गाय के गोबर का कंडा जलाएं और इस जलते हुए कंडे पर बनी हुई खीर से तीन पिंड बनाकर पितरों के निमित्त आहुति दें।
  • अब घर में बने हुए भोजन को सबसे पहले गाय, काले कुत्ते, कौवे, चींटी और भगवान को अर्पित करें। इसे पंचबलि कहा जाता है।
  • ध्यान रहे कि पंचबलि अर्पित करते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
  • इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी सामर्थ्य के अनुसार उन्हें दान-दक्षिणा दें।
  • जाने-अनजाने मृत पितरों के क्रिया कर्म में हुई भूल या उनके जीवित रहते हुए किए गए किसी अपमान को लेकर उनसे क्षमा प्रार्थना करें।
  • यदि आप इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति की सहायता कर सकें, तो इससे आपके पितरों की आत्मा को विशेष शांति मिलेगी और वे अपना आशीर्वाद सदा आपपर बनाए रखेंगे।

पूर्णिमा श्राद्ध का महत्व | Poornima Shradh Ka Mahatav

सनातन धर्म में श्राद्ध कर्म को पितृ कर्म या पितृ पूजा कहा गया है। भाद्रपद मास की पूर्णिमा पितरों के लिए श्राद्ध तर्पण आदि को समर्पित पितृपक्ष की पहली तिथि मानी जाती है, यानी इसी दिन से पितृपक्ष की शुरुआत होती है। मान्यता है कि पितृगण वर्ष भर इस विशेष अवधि की प्रतीक्षा करते हैं और पूर्णिमा के दिन वे पृथ्वी पर आते हैं।

ऐसे में उनके वंशजों द्वारा किए गए तर्पण पिंडदान व श्राद्ध से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने निमित्त किए गए इस धर्म-कर्म के बदले जातक को दीर्घायु, संतान सुख, धन धान्य, और नौकरी व्यापार जैसे जीवन के कई अहम क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने का आशीर्वाद देते हैं। जो लोग पितृ दोष से पीड़ित हैं, उन्हें भी पूर्णिमा पर अपने पितरों का श्राद्ध करने से इस दोष से मुक्ति मिलती है।

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