व्यापार वृद्धि पूजा क्या होती है ? (What is business growth worship)
एक खुशहाल जीवन में धन की बहुत बड़ी भूमिका रहती है। पैसा कमाने के लिए व्यक्ति नौकरी या फिर व्यापार करता है। सब कुछ ठीक चला तो जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है, लेकिन अगर व्यापार में घाटा या नुकसान हो जाए तो जीवन परेशानियों से घिर जाता है। ऐसे में व्यापार में उन्नति के लिए मां लक्ष्मी व कुबेर की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। इसके अतिरिक्त व्यापार में वृद्धि के लिए वास्तु शास्त्र में बताए गए व्यापार वृद्धि यंत्र को भी स्थापित कर उसकी पूजा की जाती है।
व्यापार वृद्धि पूजा के महत्व (Importance of business growth worship)
धन से व्यापार की सफलता व असफलता को आंका जाता है और धन की देवी होती हैं मां लक्ष्मी। जबकि कुबेर को धन का देवता कहा जाता है। माना जाता है कि लक्ष्मी और कुबेर यदि प्रसन्न हैं तो आपके घर या व्यापार में कभी धन की कमी नहीं होगी। इसलिए व्यापार वृद्धि पूजा में खासतौर पर मां लक्ष्मी व कुबेर की पूजा की जाती है। इससे न सिर्फ धन की प्राप्ति होती है बल्कि घर में सुख समृद्धि के साथ खुशहाली व शांति भी बनी रहती है। इसके अतिरिक्त व्यापार वृद्धि के लिए हनुमान जी, गणेश जी, लक्ष्मीनारायण व व्यापार वृद्धि यंत्र को भी पूजा जाता है।
वैसे तो सभी यंत्र सर्वोपरि व महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन व्यापार वृद्धि यंत्र को धनदाता व सर्वसिद्धिदाता माना जाता है। इसकी रचना भोजपत्र, तांबे, चांदी या सोने के पत्र पर की जाती है। इस यंत्र का लाभ पाने के लिए सबसे जरूरी होता है इसकी रचना शुभ समय पर हो। व्यापार वृद्धि यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करके रोजाना इसकी पूजा करनी चाहिए। इससे दरिद्रता दूर होती है और व्यापार में सफलता मिलती है। यंत्र की पूजा करते समय लक्ष्मी मंत्र का जप अवश्य करें। बताया जाता है कि इस यंत्र को धनतेरस के शुभ मुहूर्त में स्थापित करने से जल्द ही शुभ प्रभाव पड़ता है।
व्यापार वृद्धि के 10 उपाय (10 ways of business growth)
व्यापार वृद्धि यंत्र को अपनी दुकान या ऑफिस की पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करें और रोजना उसका पूजन करें।
धनतेरस के दिन दुकान, ऑफिस व घर पर लक्ष्मी जी का पाठ अवश्य करें।
दरवाजे की देहली को साफ सुथरा रखना चाहिए। देहली को गाय के गोबर से पवित्र करें।
गाय को प्रतिदिन रोटी व गुड़ जरूर खिलाएं। भोजन की पहली रोटी जो बने उसे गाय को खिलाएं, इससे लक्ष्मी माता प्रसन्न होती हैं।
शुक्रवार के दिन 5 कौड़ी, थोड़ा केसर व चांदी या तांबे का एक सिक्का लें और अष्टलक्ष्मी का नाम लेकर पूजन करें। इसके बाद सभी चीजों को लाल या पीले कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें। तिजोरी में हमेशा धन बना रहेगा।
शुक्रवार को अन्नदान और अमावस्या के दिन तिल दान करें।
शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष पर दीपक जलाकर पूजा करें, माना जाता है कि ऐसा करने से कभी भी घर में धन की कमी नहीं होती।
बुधवार के दिन गणेश भगवान की पूजा करें। गुड़ व चने का प्रसाद लगाएं। प्रसाद को कन्याओं में बांटें और खुद भी ग्रहण करें।
कमलगट्टे की माला से शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के बीज मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये नम: का जाप करें।
शुक्रवार के दिन या अमावस्या के दिन मां लक्ष्मी व भगवान नारायण का पूजन कर उनके चरणों में 108 कमल का पुष्प चढ़ाएं।
दुकान या ऑफिस में मनी प्लांट का पौधा अवश्य लगाएं।
व्यापार में रुकावट हो तो ये न करें
दुकान या ऑफिस का निर्माण करवाते समय वास्तुशास्त्र का ध्यान रखना कभी न भूलें।
दुकान का प्रवेश द्वार कभी भी दक्षिण दिशा में न रखें।
दुकान या ऑफिस में कभी भी सूर्य ढलने के बाद झाड़ू न लगाएं।
व्यापार में कभी व्यवहार न निभायें।
व्यापार में व्यक्ति को रखने से पहले उसकी काबलियत देखें न की उससे अपना रिश्ता।
व्यापार में चापलूसी करने वालों से दूर रहें।