वृंदावन में घूमने की जगह
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वृंदावन में घूमने की जगह

क्या आप वृंदावन की यात्रा की योजना बना रहे हैं? जानिए उन पवित्र स्थलों और प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में, जहां हर भक्त को एक बार ज़रूर जाना चाहिए।

वृंदावन में घूमने के बारे में

क्या आप जानते हैं वृंदावन की गलियों में बसा है राधा-कृष्ण का अनमोल संसार? इस पवित्र नगरी में हर मोड़ पर भक्ति और प्रेम की खुशबू है। इस लेख के माध्यम से जानते हैं वृंदावन में घूमने के अद्भुत स्थलों के बारे में...

वृंदावन

जहाँ हर साँस में राधे नाम बसता है — चलिए चलते हैं वृंदावन की आध्यात्मिक गलियों में

"वृंदावन" - एक ऐसा नगर नहीं, एक भाव है। जहाँ हवाओं में बाँसुरी की धुन है, वृक्षों में रास की स्मृति, और प्रत्येक कण में श्रीकृष्ण का वास है। यह वही भूमि है जहाँ राधा-कृष्ण का प्रेम अमर हुआ, जहाँ गोपियाँ रास में लीन हुईं, और जहाँ हर मंदिर एक दिव्य कथा सुनाता है।

वृंदावन के मंदिर केवल ईंट-पत्थर की इमारतें नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और अध्यात्म की जीवंत प्रतीक हैं। इन मंदिरों में दर्शन मात्र से ही मन को शांति, आत्मा को सुकून और जीवन को एक नई दिशा मिलती है।

आइए, इस लेख के माध्यम से जानें वृंदावन के उन प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में, जो हर भक्त के हृदय में विशेष स्थान रखते हैं।

बांके बिहारी मंदिर

स्थान: वृंदावन, उत्तर प्रदेश विशेषता: श्रीकृष्ण के ‘बंसी बजैया’ स्वरूप को समर्पित

बांके बिहारी मंदिर वृंदावन का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। यहां श्रीकृष्ण को नटखट बालक रूप में पूजा जाता है। मंदिर में भक्तों को दर्शन के लिए एक-एक झलक दी जाती है, क्योंकि मान्यता है कि भगवान अपने भक्तों के साथ ‘नेत्र संपर्क’ में रहते हैं और दर्शन से मोहित होकर उनके साथ चल सकते हैं।

प्रेम मंदिर

स्थान: वृंदावन विशेषता: राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम को समर्पित भव्य मंदिर

प्रेम मंदिर इस्कॉन से संबंधित जगद्गुरु कृपालु जी महाराज द्वारा निर्मित है। इस मंदिर में राधा-कृष्ण की लीला झांकियां, सुंदर प्रकाश व्यवस्था और सफेद संगमरमर से बनी भव्यता भक्तों को आध्यात्मिक आनंद से भर देती है।

इस्कॉन मंदिर (श्रीकृष्ण बलराम मंदिर)

स्थान: वृंदावन विशेषता: गौड़ीय वैष्णव परंपरा का प्रमुख केंद्र

इस्कॉन मंदिर में श्रीकृष्ण, बलराम और राधारानी की आराधना की जाती है। यह मंदिर विदेशियों में भी अत्यंत लोकप्रिय है और यहां प्रतिदिन कीर्तन, प्रवचन और भजन संध्या होती है। यहां की गऊशाला भी प्रसिद्ध है।

रंगनाथजी मंदिर

स्थान: वृंदावन विशेषता: दक्षिण भारतीय स्थापत्य में बना विष्णु मंदिर

यह मंदिर भगवान रंगनाथ (विष्णु) को समर्पित है और इसकी वास्तुकला पूरी तरह से दक्षिण भारतीय शैली में है। मंदिर परिसर में लक्ष्मीजी, गरुड़जी और भगवान वेंकटेश्वर के भी मंदिर हैं।

मदन मोहन मंदिर

स्थान: काली घाट, वृंदावन विशेषता: वृंदावन के सबसे पुराने मंदिरों में से एक

मदन मोहन मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के मदनमोहन रूप को समर्पित है। यह मंदिर ऊंचे टीले पर स्थित है और माना जाता है कि चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी श्री सनातन गोस्वामी ने इसकी स्थापना की थी।

शाहजी मंदिर

स्थान: वृंदावन विशेषता: संगमरमर के 12 विशाल स्तंभ और भव्य नक्काशी

शाहजी मंदिर अपनी स्थापत्य कला और श्वेत संगमरमर की 12 विशाल घुमावदार स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में राधा-कृष्ण की सुंदर मूर्तियां स्थापित हैं और यहां की छत एवं दीवारों की भव्य सजावट देखने योग्य है।

निधिवन

स्थान: वृंदावन विशेषता: रासलीला की रहस्यमयी भूमि

निधिवन कोई साधारण मंदिर नहीं, बल्कि एक रहस्यमयी स्थल है। मान्यता है कि यहां रात्रि में स्वयं श्रीकृष्ण राधा जी और गोपियों संग रासलीला करते हैं। सूर्यास्त के बाद इस क्षेत्र में किसी को भी ठहरने की अनुमति नहीं है।

सीता राम मंदिर (श्रीरामानंदाचार्य पीठ)

स्थान: वृंदावन विशेषता: श्रीराम, सीता और हनुमान को समर्पित मंदिर

इस मंदिर में भगवान श्रीराम, माता सीता और हनुमानजी की पूजा होती है। यहां रामानंद संप्रदाय के साधु रहते हैं और राम नाम संकीर्तन के साथ भक्ति का वातावरण बना रहता है।

गोपेश्वर महादेव मंदिर

स्थान: वृंदावन विशेषता: श्रीकृष्ण की रासलीला में सम्मिलित होने के लिए शिवजी ने लिया गोपी रूप

इस मंदिर में शिवजी की पूजा गोपेश्वर रूप में होती है। मान्यता है कि रासलीला में शामिल होने के लिए शिवजी ने गोपी रूप धारण किया था। यह मंदिर रासलीला की आध्यात्मिक गहराई को दर्शाता है।

कृष्ण बलराम जन्मभूमि मंदिर (गोकुल)

स्थान: वृंदावन के निकट विशेषता: भगवान श्रीकृष्ण और बलराम के बचपन की लीला स्थली

यह मंदिर उस स्थान के निकट है जहां श्रीकृष्ण और बलराम ने अपने बाल्यकाल की लीलाएं रची थीं। यहां बालकृष्ण के रूप को देखकर भक्त भाव-विभोर हो जाते हैं।

जुगल किशोर मंदिर (काली घाट)

स्थान: काली घाट, वृंदावन विशेषता: मुग़ल काल में निर्मित प्राचीन मंदिर

यह मंदिर अकबर के समय का है और इसे काली घाट पर बनाया गया था, जहां श्रीकृष्ण ने कालिया नाग का दमन किया था। जुगल किशोर मंदिर ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

गोवर्धन पर्वत

स्थान: गोवर्धन, वृंदावन से लगभग 22 किमी दूर विशेषता: भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उठाया गया दिव्य पर्वत

गोवर्धन पर्वत भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा अत्यंत पवित्र स्थान है। मान्यता है कि इंद्र के क्रोध से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने इस पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर सात दिनों तक उठाए रखा था। इस चमत्कारी घटना के स्मरण में आज भी श्रद्धालु 'गोवर्धन परिक्रमा' करते हैं, जिसकी कुल लंबाई लगभग 21 किलोमीटर है। यह स्थल न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि श्रद्धा, विश्वास और ईश्वर की अपार शक्ति का जीवंत प्रतीक भी है।

जुड़े रहें श्री मंदिर के साथ

वृंदावन की भूमि केवल तीर्थ नहीं, एक चेतना है — जहाँ हर मंदिर राधा-कृष्ण की अमर लीलाओं की गूंज करता है। यहाँ की गलियों में भटकते हुए भी मन स्थिर हो जाता है, और मंदिरों के घंटों की ध्वनि आत्मा को गहराई से झंकृत कर देती है।

प्रेम, भक्ति और ईश्वर के साक्षात्कार की इस नगरी में हर मंदिर एक द्वार है—आध्यात्मिक जागरण का, आत्मिक शांति का और प्रभु प्रेम की उस ऊँचाई का, जहाँ सांसारिक बंधनों का कोई मोल नहीं रह जाता।

अगर आपने जीवन में कभी यह इच्छा की है कि प्रभु को केवल पूजें नहीं, बल्कि महसूस भी करें—तो वृंदावन आपको बुला रहा है। ऐसी ही धार्मिक जानकारी के लिए आप श्री मंदिर के साथ जुड़े रहें। हम आपके लिए ऐसे रोचक व ज्ञानवर्धक लेख लाते रहेंगे।

राधे राधे!

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Published by Sri Mandir·April 22, 2025

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