होली भजन | होली के सबसे लोकप्रिय भजन
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होली भजन | होली के सबसे लोकप्रिय भजन

होली भजन और गीतों के माध्यम से होली के त्योहार को और भी भव्य बनाएं। यहां जानें होली भजन के बोल और उनकी महत्वता।

होली भजन के बारे में

होली के भजन भगवान कृष्ण और राधा की होली लीलाओं का सुंदर वर्णन करते हैं। ये भजन भक्तों के मन में भक्ति और प्रेम का संचार करते हैं। "आज ब्रज में होली रे रसिया", "रंग बरसे भीगे चुनर वाली" जैसे भजन बेहद लोकप्रिय हैं। इन भजनों से होली का आनंद दोगुना हो जाता है।

होली भजन

होली, रंगों और उल्लास का पर्व है। इस अवसर पर भजन और गीतों से उत्सव की रौनक को और बढ़ जाती है। यह त्योहार न केवल रंगों से मनाया जाता है, बल्कि इसमें भक्ति का भी गहरा जुड़ाव होता है। होली के अवसर पर, अक्सर लोग भगवान कृष्ण और राधा के भजन का गाते हैं, जो इस त्योहार को और भी खास बना देता है।

होली के भजनों में सबसे लोकप्रिय भजन वे हैं जो भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम और होली के खेल का वर्णन करते हैं। इन भजनों में, कृष्ण को एक नटखट और रंगीले भगवान के रूप में चित्रित किया गया है, जो गोपियों के साथ होली खेलते हैं। राधा और कृष्ण के होली के भजन प्रेम, भक्ति और आनंद का प्रतीक हैं। यहां हम इन्हीं सुन्दर भजनों में से कुछ विशेष भजन आपके लिए लेकर आये हैं।

होली भजन 1

आज बृज में होली रे रसिया।

होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥

अपने अपने घर से निकसी,

कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया।

कौन गावं के कुंवर कन्हिया,

कौन गावं राधा गोरी रे रसिया।

नन्द गावं के कुंवर कन्हिया,

बरसाने की राधा गोरी रे रसिया।

कौन वरण के कुंवर कन्हिया,

कौन वरण राधा गोरी रे रसिया।

श्याम वरण के कुंवर कन्हिया प्यारे,

गौर वरण राधा गोरी रे रसिया।

इत ते आए कुंवर कन्हिया,

उत ते राधा गोरी रे रसिया।

कौन के हाथ कनक पिचकारी,

कौन के हाथ कमोरी रे रसिया।

कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी,

राधा के हाथ कमोरी रे रसिया।

उडत गुलाल लाल भए बादल,

मारत भर भर झोरी रे रसिया।

अबीर गुलाल के बादल छाए,

धूम मचाई रे सब मिल सखिया।

चन्द्र सखी भज बाल कृष्ण छवि,

चिर जीवो यह जोड़ी रे रसिया।

होली भजन 2

लाल मेरे लाल की, मैं जित देखु उत लाल,

लाली देखन मैं चली, मैं भी हो गयी लाल,

नैनों से बाते करें नंदलाल,

मुस्का के राधा रानी करती सवाल,

नैनों से बाते करें नंदलाल,

मुस्का के राधा रानी करती सवाल,

आज नहीं मन में है कोई मलाल,

बरसा बरसाने में जैसे गुलाल,

धूम धड़ाका खूब मची है ,

मस्त मगन हर टोली टोली,

बरसाने की होली,

होली रे होली,

बरसाने की होली,

राधा कृष्ण ने मिलकर खेली,

बरसाने की होली,

राधा कृष्ण ने मिलकर खेली,

बरसाने की होली,

संग किशन के बाल सखा हैं,

संग किशन के बाल सखा हैं,

सखियन संग राधा टोली,

होली रे होली,

बरसाने की होली।

होली भजन 3

होली आई बड़ी सुहानी, सब ने घोर लई रोली,

प्यारे वृन्दावन की कुञ्ज गली में मच गई है होरी,

यहां वृन्दावन की होरी भी, दुनिया मे चर्चा भारी है,

बाँके बिहारी के संग खेले होली श्यामा प्यारी है,

खेले श्यामा प्यारी है… खेले श्यामा प्यारी है…

ऐसी मारी भर पिचकारी, भीगी राधे के चोली,

प्यारे वृन्दावन की कुञ्ज गली में मच गई है होरी,

होली का हल्ला सुन करके, आगई सखिया सारी है,

हाँ… आगई सखिया सारी है,

संखिया को देख के राधा ने झट पकड़े कृष्ण मुरारी है,

झट पकड़े कृष्ण मुरारी है….

पकड़ के ऐसी सकल बिगाड़ी, मुख पे रंग दी नी रो री,

प्यारे वृन्दावन की कुञ्ज गली में मच गई है होरी,

छीना झपटी में राधा ने कान्हा की मुरली छीन लई,

सखियन ने पकड़ के बैठा लियो,

फिर मार लाठ की ख़ूब देई,

सखी भाग ना जाये जेदारी को, फिर राधा यूं बोली,

प्यारे वृन्दावन की कुञ्ज गली में मच गई है होरी,

मत देख रविन्द्र ग्वालन कु संग दौड़े दौड़े आये है,

भर भर के झोली बेरोली फिर जमके रंग उड़ाए है,

ऐसी सज गई ब्रिज की नगरी, रंगों की रंगोली,

प्यारे वृन्दावन की कुञ्ज गली में मच गई है होरी,

होली आई बड़ी सुहानी, सब ने घोर लई रोली,

प्यारे वृन्दावन की कुञ्ज गली में मच गई है होरी

होली भजन 4

मैं तो तुम संग होली खेलूंगी मैं तो तुम संग,

ओ बारे रसिया हा बारे रसिया,

मैं तो तुम संग होली खेलूंगी मैं तो तुम संग॥

सास ननंद से नहीं डरूंगी,

सैया के बोल सब सह लूंगी मैं तो तुम संग,

मैं तो तुम संग होली खेलूंगी मैं तो तुम संग॥

ना चाहिए हमें महल अटारी,

टूटी झोपड़िया में रह लूंगी मैं तो तुम संग,

मैं तो तुम संग होली खेलूंगी मैं तो तुम संग॥

ना चाहिए हमें खीर रावड़ी,

खट्टी छाछ ही पी लूगी मैं तो तुम संग,

मैं तो तुम संग होली खेलूंगी मैं तो तुम संग॥

चंद्र सखी तो रमण तुम्ही संग,

दिल की बतियां कह दूंगी मैं तो तुम संग,

मैं तो तुम संग होली खेलूंगी मैं तो तुम संग॥

होली भजन 5

श्याम मेरी चुनर पे रंग मत डाल,

विनती करूं पैया पडु तोरे बार-बार,

भर पिचकारी कान्हा सन्मुख ना मारो,

अबीर गुलाल मेरे मुख पे ना डारो,

आज आई आई करके मैं सोलह श्रृंगार, विनती करूं पैया पडु….

बीच बजरिया ना रोको मुरारी,

जाने दो श्याम मत आवो अगाड़ी,

पकड़ो ना बहिया जी पराई हू नार, विनती करूं पैया पडु…

संग सहेली सब हांसी करेगी,

सास ननंद की मोहे डांट पड़ेगी,

झगडेंगे सैया जी घर पे हमार, विनती करूं पैया पडु….

मंत्री कहे विनती अब सुन लो हमारी,

भक्त दयाल रहे शरण तुम्हारी,

श्याम तेरे चरणों में जाऊं बलिहार, विनती करूं पैया पडु …

होली के ये भजन हमें यह याद दिलाते हैं कि जीवन में रंग, भक्ति और श्रृंगार कितने महत्वपूर्ण हैं। श्री मंदिर की ओर से आप सभी को होली की अनंत शुभकामनाएं!

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Published by Sri Mandir·March 25, 2025

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