जगन्नाथ मंदिर का रहस्य क्या है?
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जगन्नाथ मंदिर का रहस्य क्या है?

जगन्नाथ मंदिर से जुड़े रहस्यों को जानिए! इस प्राचीन मंदिर की अनोखी परंपराएं, धार्मिक महत्व और पौराणिक मान्यताओं की पूरी जानकारी प्राप्त करें।

जगन्नाथ मंदिर से जुड़े रहस्यों के बारे में

जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कई अद्भुत और रहस्यमय तथ्य हैं, जिन्हें समझ पाना विज्ञान के लिए भी चुनौती है। इस लेख में हम ऐसे ही रहस्यों के बारे में जानेंगे, जैसे मंदिर के ध्वज का हमेशा हवा के विपरीत लहराना, महाप्रसाद से जुड़ा चमत्कार और सुदर्शन चक्र का अनोखा रहस्य।

जगन्नाथ मंदिर का रहस्य

पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह कई अनसुलझे रहस्यों और चमत्कारों के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के अवतार भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा विराजमान हैं। यहाँ की रथ यात्रा अपने आप में विशे, महत्व रखती है। इस यात्रा के प्रति लोगों की आस्था अविस्मरणीय प्रतीत होती है। लेकिन क्या आप इस मंदिर के कई रहस्यमयी और चमत्कारी घटनाओं के बारे में जानते हैं जो घटित होती हैं। अगल नहीं तो आइए जानते हैं जगन्नाथ मंदिर के इन अनोखे रहस्यों के बारे में।

नहीं बदलता मूर्तियों का आकार

काष्ट (लकड़ी) की मूर्तियों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है जगन्नाथ मंदिर में प्रत्येक 12 वर्षों में एक बार मंदिर में स्थित भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ बदली जाती हैं। इस प्रक्रिया को "नबकलेबारा" कहा जाता है, जिसमें पुरानी मूर्तियों को हटाकर नई मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि मूर्तियाँ बदलते समय मंदिर और पूरे शहर की बिजली काट दी जाती है, ताकि ब्रह्म पदार्थ को सुरक्षित रूप से नई मूर्तियों में स्थानांतरित किया जा सके। यह पदार्थ हृदय के समान एक धड़कती हुई वस्तु मानी जाती है। इसके अलावा नई मूर्तियाँ आकार, रूप और रंग में बिल्कुल पुरानी मूर्तियों के समान होती हैं।

हवा की विपरित दिशा में फहराता ध्वज

जगन्नाथ मंदिर का ध्वज हमेशा हवा की विपरीत दिशा में फहराता है। यह एक रहस्यमय घटना है जिसका कोई स्पष्ट वैज्ञानिक स्पष्टीकरण नहीं है।

झंडा बदलने की रस्म

हर दिन एक पुजारी बिना किसी सुरक्षा उपकरण के मंदिर के शिखर पर चढ़कर झंडा बदलता है। यह रस्म मंदिर की स्थापना के समय से चली आ रही है। अगर यह अनुष्ठान एक दिन भी नहीं होता, तो मंदिर अगले 18 वर्षों तक बंद हो जाता है।

नहीं पता स्थापित सुदर्शन चक्र का रहस्य

मंदिर के शिखर पर स्थित नील चक्र (सुदर्शन चक्र) का रहस्य भी अनोखा है। इसे कहीं से भी देखा जाए, चक्र हमेशा सामने ही दिखाई देता है। यह चक्र 36 फीट का है और आठ धातुओं से बना है। इसे मंदिर के ऊँचे शिखर पर कैसे स्थापित किया गया, यह सवाल भी आज तक अनुत्तरित है।

समुद्र की शांत लहरें

मंदिर के पास समुद्र की लहरें हमेशा शांत रहती हैं, चाहे तूफान हो या तेज हवाएं। मंदिर के सिंहद्वार से प्रवेश करते ही समुद्र की लहरों की आवाज पूरी तरह से बंद हो जाती है। जब भक्त मंदिर से बाहर निकलते हैं, तो यह आवाज फिर से सुनाई देने लगती है। इसे देवी सुभद्रा की इच्छा के रूप में माना जाता है।

उलटी समुद्री हवा

पुरी में हवा की प्रवृत्ति विरोधाभासी है। दिन के समय हवा ज़मीन से समुद्र की ओर चलती है और शाम को इसके विपरीत होता है।

चुनिंदा पुजारी देखते हैं रसोईघर

मान्यता अनुसार जगन्नाथ मंदिर में एक रसोईघर है जोकि अदृश्य है। इस रसोई घर में महाप्रसाद को तैयार किया जाता है। वहीं, इस रसोई को कुछ ही पुजारी देख सकते हैं।

चमत्कारी बर्तन में पका हुआ महाप्रसाद

मंदिर का प्रसाद, जिसे महाप्रसाद कहा जाता है, हर दिन दोपहर में पकाया जाता है। यहाँ यह चमत्कार होता है कि पहले वह बर्तन पकता है जो सबसे ऊपर रखा जाता है, जबकि आमतौर पर नीचे रखा बर्तन पहले पकता है। यह एक रहस्यमय घटना है, जिसे कोई स्पष्ट रूप से नहीं समझ पाया है।

तीसरी सीढ़ी से जुड़ा रहस्य

जगन्नाथ मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते हुए नीचे से तीसरी सीढ़ी पर यमशिला उपस्थित है। माना जाता है कि मंदिर में दर्शन करने के लिए प्रवेश समय सीढ़ी पर अपने पैर रखना चाहिए जबकि दर्शन करके वापस आते वक्त उस शिला पर बिल्कुल भी पैर नहीं रखना चाहिए। इस शिला की पहचान काले रंग की है जिसमें बाकी सीढ़ियों से इसका रंग बिल्कुल अलग है।

गुंबद के ऊपर नहीं उड़ते पक्षी

यह भी एक चमत्कारी रहस्य है कि जगन्नाथ मंदिर के गुंबद के ऊपर कभी कोई पक्षी उड़ता हुआ नहीं देखा गया। न ही वहाँ पर कोई पक्षी आराम करता है, न ही कोई विमान उड़ता है। इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं है। इसके अलावा इस मंदिर की कई और रहस्मयी घटनाएं हैं जैसे मंदिर की किसी तरह की परछाई का न बनना यानि दिन का कोई भी समय हो, आसमान में सूरज कहीं से भी चमक रहा हो, मंदिर की कोई छाया नहीं पड़ती। इसके अलावा मोक्ष प्राप्ति के लिए अंतिम संस्कार करते हुए भी उसकी किसी तरह की दुर्गंध का न आना आदि।

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Published by Sri Mandir·April 3, 2025

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