धनवन्तरी मंत्र | Dhanvantari Mantra | सर्व रोग नाशक धन्वंतरि मंत्र |

धनवन्तरी मंत्र

जानें इस मंत्र का अर्थ और लाभ, जिससे आप स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त कर सकें।


धन्वंतरि मंत्र (Dhanvantari Mantra)

सनातन धर्म में धनवंतरि देव को भगवान विष्णु का अंश अवतार माना गया है। धनतेरस के दिन भगवान विष्णु के 12वें अवतार धनवंतरि की पूजा का विधान है। धनतेरस यानी की कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि के ही दिन भगवान धनवंतरि का जन्‍म हुआ था। धार्मिक ग्रंथों में मिलने वाली पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान धनवंतरि को आयुर्वेद का प्रणेता और चिकित्सा क्षेत्र देवताओं के वैद्य के रूप में जाना जाता है। भगवान धन्वंतरि को आरोग्यता प्रदान करने वाले देवता कहा गया है।

धन्वंतरि जी की कहानी

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। वह समुद्र से अमृत का कलश लेकर निकले थे जिसके लिए देवों और असुरों में संग्राम हुआ था। समुद्र मंथन की इस कथा का उल्‍लेख श्रीमद्भागवत पुराण, महाभारत, विष्णु पुराण, अग्नि पुराण आदि पुराणों में मिलता है। एक अन्‍य कथा के अनुसार काशी के राजवंश में धन्व नाम के एक राजा ने उपासना करके अज्ज देव को प्रसन्न किया और उन्हें वरदान स्वरूप धन्वंतरि नामक पुत्र मिला। इसका उल्लेख ब्रह्म पुराण और विष्णु पुराण में मिलता है। यह समुद्र मंधन से उत्पन्न धन्वंतरि का दूसरा जन्म था। धन्व काशी नगरी के संस्थापक काश के पुत्र थे।

भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है। उन्होंने विश्वभर की वनस्पतियों पर अध्ययन कर उसके अच्छे और बुरे प्रभाव-गुण को प्रकट किया। भगवान धन्वंतरि ने कई ग्रंथ लिखे, उनमें से ही एक है धनवंतरि संहिता जो आयुर्वेद का मूल ग्रंथ है। आयुर्वेद के आदि आचार्य सुश्रुत मुनि ने भगवान धनवंतरि से ही इस चिकित्साशास्त्र का ज्ञान प्राप्त किया था।

दुनिया का पहला सुख एक स्वस्थ शरीर है। इसी कामना के साथ धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है। भगवान धनवंतरि चार भुजाधारी हैं। इनके एक हाथ में आयुर्वेद ग्रंथ, एक हाथ में औषधि कलश, एक हाथ में जड़ी बूटी और एक हाथ में शंख होता है। ये प्राणियों पर कृपा कर उन्हें आरोग्य प्रदान करते हैं। इसलिए धनतेरस पर धन प्राप्ति की कामना के साथ स्वास्थ्य धन प्राप्ति के लिए भी भगवान धनवंतरि की आराधना की जाती है।

धन्वंतरि जी के मंत्र और उनके अर्थ

  • ॐ धन्वन्तरये नमः॥

अर्थ - भगवान धन्वंतरि मेरा प्रणाम स्वीकार करें और मुझे आरोग्यता प्रदान करें।

  • ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय सर्वभयविनाशाय सर्वरोगनिवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूपाय श्रीधन्वन्तरीस्वरूपाय श्रीश्रीश्री औषधचक्राय नारायणाय नमः॥ ॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय सर्व आमय विनाशनाय त्रिलोकनाथाय श्रीमहाविष्णुवे नम:

अर्थ - अमृत कलश लिये सुदर्शन वासुदेव धन्वन्तरी आप सभी रोगों का नाश करते हैं आप तीनों लोकों के स्वामी हैं आपको नमन।

  • “नमनि धन्वंतरी आदि देवं, सुरसुर वंदीथम पद पद्मम, लोके जरा रुग्भयमृत्यु नशकम, दाताराम ईशम विविदौषधिनाम“

अर्थ - हे भगवान, मैं तेरे सम्मुख नतमस्तक हूं। आप देवताओं और राक्षसों दोनों के द्वारा पूजे जाते हैं। आपकी दिव्य शक्तियां इस दुनिया के लोगों को आशीर्वाद देती हैं और उन्हें कष्टों, बीमारियों, बुढ़ापे और मृत्यु के भय से बाहर लाती हैं। हे प्रभु, मुझे अपनी दवाएं और आशीर्वाद भरपूर मात्रा में दें ताकि मानवता के सामने आने वाली बीमारी को दूर किया जा सके।

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतराय अमृता–कलशा ह..

अर्थ - धन्वंतरि भगवान मैं आपको नमन करता हूं आप अपने चारों हाथों से मुझे आशीर्वाद दें और मेरा कल्याण करें।

  • “ओम तत् पुरुषाय विद्महे अमृता कलश हस्तय धीमहि तन्नो धन्वंतरिप्रचोदयात।“

अर्थ - मैं भगवान धन्वंतरि का ध्यान करता हूं जो सर्वोच्च हैं और हाथों में अमर अमृत का एक बर्तन रखते हैं। प्रभु अज्ञान के अंधकार को दूर करें और मेरे हृदय में ज्ञान का दीपक जलाएं।

धन्वंतरि मंत्र का जाप कैसे करें

  • धन्वंतरि मंत्र का जाप उगते सूर्य के समय करना चाहिए।
  • सबसे पहले स्नान करके साफ वस्त्र पहन लें और घर में पूजा स्थल पर धन्वंतरि भगवान की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
  • कुश के आसान पर बैठ कर ज़मीन पर खील या चावल रखकर उसके ऊपर घी का दीपक जलाएं।
  • फिर एक कलश में शुद्ध जल लेकर सभी देवताओं को आचमन कराएं।
  • इसके बाद रोली, कुमकुम, हल्दी, इत्र, अक्षत, पान, पुष्प, मिष्ठान, फल, दक्षिणा अर्पित करें।
  • धन्वंतरि भगवान को आभूषण अर्पित करें।
  • पूजा के दौरान 'ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः' मंत्र का उच्चारण भी करते रहें।
  • धन्वंतरि भगवान का ध्यान लगाने के बाद धन्वंतरि मंत्र का जाप शुरू करें।

धन्वंतरि के मंत्र जाप करने के लाभ

  • धन्वंतरि मंत्र का जाप करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
  • धन्वंतरि मंत्र का जाप करने से परिवार में दीर्घायु एवं आरोग्यता बनी रहती है।
  • धन्वंतरि मंत्र का जाप करने से जातक के जीवन शक्ति और ऊर्जा के स्तर में सुधार होता है।
  • धन्वंतरि मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार के मानसिक भय और सभी प्रकार के कष्टों का अंत होता है।
  • धन्वंतरि मंत्र का जाप करने से मोक्ष की प्राप्ति है।
  • धन्वंतरि मंत्र का जाप करने से असाध्य से असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं।

धन्वंतरि मंत्र के जाप में किन बातों का रखें ख्याल

  • स्नान करके ही धन्वंतरि मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • धन्वंतरि मंत्र का जाप करते समय तन के साथ मन भी साफ रखना चाहिए और किसी के प्रति मन में बुरी भावना नहीं रखनी चाहिए।
  • धन्वंतरि मंत्र का जाप करते समय तामसिक भोजन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • धन्वंतरि मंत्र का जाप करते समय ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • धन्वंतरि मंत्र का जाप करते समय छल कपट और झूठ बोलने से बचाना चाहिए।

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