क्या ॐ नमः शिवाय का जाप बदल सकता है भाग्य? जानिए इस शिव मंत्र का महत्व, अर्थ, जाप संख्या और चमत्कारी लाभ।
ॐ नमः शिवाय भगवान शिव का सबसे पवित्र मंत्र है, जिसे जपने से मन को गहरी शांति और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है। इस आर्टिकल में आप जानेंगे इस मंत्र का सही अर्थ, इसके जाप से मिलने वाले फायदे और इसे कैसे, कब जपना चाहिए ताकि भगवान शिव की कृपा आपके जीवन में भी बरसे।
"ॐ नमः शिवाय" एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है, जो हिन्दू धर्म में भगवान शिव को समर्पित है। यह मंत्र शैव धर्म में सबसे महत्वपूर्ण मंत्रों में से एक माना जाता है। इसे पंचाक्षरी मंत्र भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें पाँच अक्षर होते हैं: न, म, शि, वा, य।
"ॐ नमः शिवाय" में निहित पंचाक्षर "न", "म", "शि", "वा", "य" केवल ध्वनियाँ नहीं हैं, बल्कि ये गहरे आध्यात्मिक अर्थ भी समेटे हुए हैं। ये पंचाक्षर प्रकृति के पाँच तत्वों के प्रतीक हैं।
"न" पृथ्वी,
"म" जल,
"शि" अग्नि,
"वा" वायु,
और "य" आकाश को दर्शाता है।
भगवान शिव इन पाँचों तत्वों के स्वामी हैं। "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते समय हम इन तत्वों को संतुलित करते हैं और अपने भीतर की ऊर्जा को शुद्ध करते हैं। "ॐ नमः शिवाय" का नियमित जाप एक वरदान के समान है। जो लोग प्रतिदिन इसका जाप करते हैं, वे इसके अद्भुत परिणामों का अनुभव करते हैं।
ॐ – ब्रह्मांड की मूल ध्वनि, जो सब कुछ में व्याप्त है।
नमः – नमन या प्रणाम
शिवाय – शिव को, अर्थात परम शांति और कल्याण के स्रोत को। पूरा मंत्र का अर्थ होता है: - मैं भगवान शिव को नमस्कार करता हूँ या मैं अपने अहंकार को त्यागकर शिव में समर्पित करता हूँ।
भगवान शिव का दिन सोमवार माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि सोमवार के दिन श्रद्धा और भक्ति से शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाया जाए, और रुद्राक्ष की माला से "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का 108 बार जाप किया जाए, तो भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों में मंत्रों को अत्यंत शक्तिशाली और चमत्कारी बताया गया है। शिवपुराण में "ॐ नमः शिवाय" को ऐसा मंत्र बताया गया है, जिसके नियमित जाप से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और आत्मा को शांति मिलती है।
शिवपुराण में वर्णन है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा- “कलियुग में जब अधर्म और पाप बढ़ जाएंगे, तब कौन-सा ऐसा मंत्र होगा जो समस्त पापों का नाश कर सके?” इस पर भगवान शिव ने उत्तर दिया - "प्रलय काल में जब समस्त सृष्टि लीन हो गई थी, तब मेरी आज्ञा से सभी वेद और शास्त्र पंचाक्षर में विलीन हो गए थे। यह वही महामंत्र है जिसे मैंने अपने पाँच मुखों से ब्रह्मा को प्रदान किया था।"
इस प्रकार, "ॐ नमः शिवाय" न केवल एक मंत्र है, बल्कि शिव का स्वयं का स्वरूप है जिनसे सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और संहार सभी जुड़े हैं।
"ॐ नमः शिवाय" मंत्र एक सरल लेकिन अत्यंत चमत्कारी आध्यात्मिक साधना है। यह शिवभक्तों के मन को शांत और निर्मल करता है। श्रद्धा और विश्वास के साथ नियमित जप से मन को शांति, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। यह मंत्र नकारात्मक सोच, डर, अहंकार, लालच और नफरत जैसे विकारों को दूर कर आत्मा की शुद्धि करता है। जब आत्मा शुद्ध होती है, तो मोक्ष यानी जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप किसी भी संख्या में किया जा सकता है, लेकिन शास्त्रों और परंपरागत मान्यताओं के अनुसार कुछ विशेष जप संख्याएँ अधिक फलदायी और प्रभावशाली मानी जाती है।
सामान्य जप संख्या: 108 बार जप करना सबसे प्रचलित और सामान्य माना जाता है, जिसे अक्सर रुद्राक्ष की माला से किया जाता है, क्योंकि उसमें 108 मनके (मोती) होते हैं। दैनिक पूजा या विशेष पर्वों के अवसर पर 11, 21, 51 या 108 बार "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ और फलदायक माना गया है।
उपवास या सोमवार व्रत के समय: 108 बार या 1008 बार "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। जहाँ 108 बार का जाप रोज़ाना की साधना के लिए उपयुक्त होता है, वहीं 1008 बार का जाप विशेष व्रत, पूजा, सोमवार के दिन या कठिन मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु किया जाता है।
गहन साधना के लिए: "ॐ नमः शिवाय" मंत्र की गहन साधना के लिए जप को माला के अनुसार भी किया जाता है। जैसे - 11 माला का जप करने पर कुल 1188 बार मंत्र का उच्चारण होता है , 21 माला से 2268 बार, 51 माला से 5508 बार, और 108 माला से 11664 बार मंत्र का जप होता है। यह विधि उन साधकों के लिए उपयुक्त होती है जो गहन तप, अनुष्ठान या विशेष साधना के माध्यम से आध्यात्मिक प्रगति करना चाहते हैं।
"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जप न केवल शब्दों का दोहराव है, बल्कि यह आत्मा को शिव से जोड़ने की एक प्रक्रिया है। यदि इसे श्रद्धा, नियम और ध्यान के साथ किया जाए, तो यह जीवन में शांति, शक्ति और मोक्ष की ओर मार्ग प्रशस्त करता है। यह मंत्र इतना शक्तिशाली और ऊर्जा से भरपूर है कि इसके जप मात्र से ही जीव के सभी दुख दूर हो जाते हैं और उसकी मनोकामनाएँ पूर्ण होने लगती हैं।
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