पृथ्वी मंत्र | Dharti Mata Mantra | Prithvi Pujan Mantra

पृथ्वी मंत्र

जानें धरती माता पूजा मंत्र के अर्थ, लाभ, और सही विधि जिससे माता पृथ्वी की कृपा प्राप्त हो।


पृथ्वी मंत्र (Prithvi Mantra)

‘पृथ्वी’ संस्कृत नाम है और सनातन धर्म में पृथ्वी को मां के रूप में पूजा जाता है। पृथ्वी मां का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है, जहां उन्हें द्यौष्पितृ (आकाश देवता) की पत्नी बताया गया है। ऋग्वेद में पृथ्वी और आकाश को मुख्य रूप से द्वैत में 'द्यावापृथिवी' के रूप में संबोधित किया गया है। ऋग्वेद, अग्नि, इन्द्र और उषस इन्हीं की सन्तति है। मां पृथ्वी का सबसे शक्तिशाली मंत्र ‘पृथ्वी गायत्री मंत्र’ है।

हिन्दू धर्म में धरती माता को पूजना आवश्यक माना जाता है। जन्म से लेकर मृत्यु तक, कृषि से लेकर भवन निर्माण तक पृथ्वी मां की आराधना सभी शुभ-अशुभ कार्यों में की जाती है। शास्त्रों और पुराणों में पृथ्वी माता के व्रत व पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। पृथ्वी मां का व्रत और पूजन करते समय उनकी कहानी सुनी जाती है। पौराणिक मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से पृथ्वी मंत्र का जाप करता है उसके जीवन में हमेशा खुशहाली रहती है, सारे विघ्न बाधाएं खत्म हो जाते हैं।

पृथ्वी मंत्र का महत्व

हमारी सनातन संस्कृति में सुबह उठते ही धरती को दाएं हाथ से स्पर्श कर हथेली को माथे से लगाने की परंपरा है। हमारे ऋषि-मुनियों ने इस रीति को विधान बनाकर धार्मिक रूप इसलिए दिया ताकि हम धरती माता के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट कर सकें, उन्हें सम्मान दे सकें। हमारा शरीर भी भूमि तत्वों से बना है। धरती हमारे लिए मातृ स्वरूपा है। जो भी हम इसमें बोते हैं, उसे ही पल्लवित-पोषित करके हमें पुनः दे देती है। अन्न, जल, औषधियां, फल-फूल, वस्त्र एवं आश्रय आदि सब हमने धरती मां सी ही मिलता है। इसलिए हम सब धरती माता के ऋणी हैं।

पृथ्वी जी के शक्तिशाली मंत्र (powerful Prithvi Mantra)

ॐ पृथ्वीदेव्यै विद्महे सहस्रमूर्तयै धीमहि तन्नो पृथ्वी: प्रचोदयात् || अर्थ - हे मां पृथ्वी मेरा नमन स्वीकार करें और मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करें।

ॐ पृथ्वीदैव्यै विद्महे धराभूर्तये धीमहि तन्नः पृथ्वी प्रचोदयात्। अर्थ - पंच तत्वों में से एक हे मां पृथ्वी मैं आपको नमन करता हूँ मेरे कष्टों का अंत कर मुझे आशीर्वाद दें।

ॐ समुद्र वसने देवी पर्वतस्तन मंडिते | विष्णुपत्नीं नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व में || अर्थ - समुद्र रुपी वस्त्र धारण करने वाली पर्वत रुपी स्तनों से मंडित हे माता पृथ्वी! आप मुझे पाद स्पर्श के लिए क्षमा करें और अपना आशीर्वाद प्रदान करें।

पृथ्वी मंत्र के जाप के लाभ

  • कोई पूजा-अनुष्ठान शुरू करने से पहले पृथ्वी मंत्र के माध्यम से धरती मां की आराधना की जाती है, जिससे पृथ्वी मां प्रसन्न होकर सभी कार्य सफल होने का आशीर्वाद देती हैं। उनके आशीर्वाद से अनुष्ठान में कोई विघ्न-बाधा नहीं आती।
  • किसान अपनी फसल की बोआई से पहले धरती मां की आराधना करते हैं और उनके आशीर्वाद से ही किसानों की फसल की अच्छी पैदावार होती है, जिससे वो आर्थिक रूप से मजबूत होते हैन और जीवन में खुशहाली आती है।
  • कोई भी मकान, दुकान, इमारत बनने से नींव पूजन के रूप में धरती मां की पूजा की जाती है और धरती मां की आराधना की जाती है कि ताकि इमारत बनने में कोई समस्या न आए, जब इमारत बन जाती है तब भी धरती मां की पूजा अर्चना की जाती है जिससे इमारत सालों साल मजबूती से खड़ा रहे और मां की आशीर्वाद से ऐसा संभव भी होता है।
  • पृथ्वी मंत्र के जाप करने से व्यक्ति के अंदर अहंकार की भावना जन्म नहीं ले पाती, व्यक्ति धरती मां से जुड़ा रहता है और अपने सबके साथ सद्भाव से रहता है।
  • पृथ्वी मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और वो अपने फैसले मजबूती से ले पाता है।
  • पृथ्वी मंत्र का नियमित जाप करने से असाध्य रोगों और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

पृथ्वी मंत्र का जाप कैसे करें ?

  • पृथ्वी मंत्र का जाप शुरू करने से पहले साफ-सुथरे कपड़े पहन लें।
  • जिस स्थान पर बैठ कर मंत्र का जाप करना है उसे अच्छी तरह से साफ कर लें।
  • मंत्र का जाप शुरू करने से पहले गौरी गणेश और नौ ग्रहों की स्थापना कर उनकी आराधना करें और उनका आह्वान करें कि वे सभी पूजा में शामिल होकर इसे सफल बनाएं।
  • इसके बाद कलश की स्थापना करें और पृथ्वी मां का आह्वान करें।
  • मंत्र का जाप शुरू करने से पहले धरती मां को धूप-दीप दिखाएं।
  • पृथ्वी माता को 5 फल, पंचामृत और पंच मेवा का भोग लगाएं।
  • पृथ्वी माता को वस्त्र,आभूषण और श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
  • पृथ्वी माता की आराधना करें उनसे अपनी मनोकामना मांगे और प्रणाम करें।
  • अब पृथ्वी मंत्र का जाप शुरू करें।

पृथ्वी मंत्र का जाप करते समय क्या न करें

  • हमेशा स्नान करके और साफ वस्त्र पहन कर ही पृथ्वी मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • पृथ्वी मंत्र का जाप करते समय तामसिक भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए।
  • पृथ्वी मंत्र का जाप करते समय किसी के लिए बुरे ख्याल नहीं रखना चाहिए।
  • पृथ्वी मंत्र का जाप करते समय पशु, पौधे और किसी भी प्रकृति से जुड़े किसी भी जीव को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
  • पृथ्वी मंत्र का जाप करते समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • पृथ्वी मंत्र का जाप करते समय मंत्रों का उच्चारण शुद्ध रूप से करना चाहिए।
  • कोशिश करनी चाहिए कि मंत्रों का जाप करने तक अन्न न ग्रहण करें।
  • मंत्रों का जाप ज़मीन पर बैठ कर ही करना चाहिए।
  • पृथ्वी मंत्र का जाप करते समय किसी के लिए अप्रिय शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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