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गोदावरी नदी

गंगा की तरह पूजनीय, गोदावरी बहती है श्रद्धा की धारा बनकर। जानिए क्यों इसके दर्शन, स्नान और तटों को माना जाता है मोक्षदायक।

गोदावरी नदी के बारे में

गोदावरी नदी भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है, जिसे 'दक्षिण गंगा' भी कहा जाता है। यह महाराष्ट्र के नासिक जिले से निकलती है और आंध्र प्रदेश से होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिलती है। गोदावरी नदी धार्मिक, सांस्कृतिक और कृषि दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

गोदावरी नदी

गोदावरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा कहा जाता है। यह नदी अनेकों भक्तों की श्रद्धा, आस्था और विश्वास का केंद्र रही है। यह नदी अपने उद्गम से लेकर सागर में विलीन होने तक कई तीर्थ स्थलों से होकर बहती है और प्रत्येक स्थान पर इसकी विशेष महिमा है। आइए इस दिव्य नदी के उद्गम, पौराणिक महत्व, धार्मिक आस्था और रोचक तथ्यों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

गोदावरी नदी: उत्पत्ति, इतिहास एवं पौराणिक मान्यताएं

गोदावरी नदी का जन्म स्वयं भगवान शिव के आशीर्वाद से हुआ है। यह पवित्र नदी महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर पर्वत से निकलती है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि गौतम अपने आश्रम में रहकर तपस्या और यज्ञ करते थे। उनकी सेवा और भक्ति से प्रसन्न होकर देवताओं ने वर्षा का आशीर्वाद दिया और उनके खेत हरे-भरे हो गए। इस समृद्धि को देखकर अन्य ऋषियों को ईर्ष्या हुई और उन्होंने छलपूर्वक उनके आश्रम में एक गाय भेजी। जब महर्षि गौतम खेतों में काम कर रहे थे, तो अनजाने में गाय को उनका स्पर्श हो गया और वह मृत्यु को प्राप्त हो गई।

इस पाप से मुक्ति पाने के लिए महर्षि गौतम ने भगवान शिव की घोर तपस्या की। भगवान शिव ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर गंगा को पृथ्वी पर अवतरित किया, जो गोदावरी के रूप में प्रवाहित हुई। इसी कारण गोदावरी को ‘गौतमी’ भी कहा जाता है। भक्तों का विश्वास है कि इस नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सारे पाप धुल जाते हैं।

गोदावरी नदी कहां से निकलती है

गोदावरी नदी का प्रवाह पवित्र तीर्थ यात्रा के समान है। यह महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से होकर प्रवाहित होती है और अंत में बंगाल की खाड़ी में समाहित हो जाती है। इसकी कुल लंबाई 1,465 किलोमीटर है, जो इसे भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी बनाती है।

गोदावरी नदी मार्ग

इसके मार्ग में कई प्रमुख तीर्थ स्थान आते हैं, जिनमें मुख्य रूप से ये स्थान सम्मिलित हैं:

त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र) – यह गोदावरी नदी का उद्गम स्थल है, जहां भगवान शिव का एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग मंदिर स्थित है।

नासिक (महाराष्ट्र) – यह स्थान गोदावरी कुंभ मेले के लिए प्रसिद्ध है, जो हर 12 वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है।

पैठण (महाराष्ट्र) – यह संत ज्ञानेश्वर और संत एकनाथ की भक्ति भूमि है, जहां उन्होंने आध्यात्मिक संदेशों का प्रचार किया।

नांदेड़ (महाराष्ट्र) – यह सिख धर्म के लिए बहुत पवित्र स्थान है, क्योंकि यहाँ गुरु गोविंद सिंह जी का अंतिम निवास स्थान स्थित है।

भद्राचलम (तेलंगाना) – इस स्थान पर भगवान श्रीराम का प्रसिद्ध मंदिर है, जो भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है।

राजमुंदरी (आंध्र प्रदेश) – यह स्थान गोदावरी नदी के सुंदर और भव्य रूप के लिए प्रसिद्ध है। यह सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है।

गोदावरी नदी का धार्मिक महत्व

गोदावरी नदी को 'दक्षिण गंगा' कहा जाता है, क्योंकि यह उतनी ही पवित्र मानी जाती है जितनी गंगा नदी।

गोदावरी कुंभ मेला: हर 12 वर्षों में नासिक में कुंभ मेले का आयोजन होता है। यह एक दिव्य अवसर होता है, जब लाखों श्रद्धालु गोदावरी में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए आते हैं।

रामायण से संबंध: मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान पंचवटी (नासिक) में गोदावरी नदी के तट पर निवास किया था। यहीं पर माता सीता का हरण हुआ था, जिससे यह स्थान विशेष धार्मिक महत्व रखता है।

पुष्करम महोत्सव: गोदावरी नदी के तट पर हर 12 वर्षों में पुष्करम महोत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर भक्तजन नदी में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं।

तीर्थ स्थलों का केंद्र: इस नदी के किनारे बसे अनेक तीर्थ स्थल इसे और भी पवित्र बनाते हैं।

ये सब इस बात का प्रमाण है कि गोदावरी केवल एक नदी नहीं, बल्कि स्वयं देवी के समान पूजनीय है।

गोदावरी नदी से जुड़े रोचक तथ्य

भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी – गोदावरी नदी 1,465 किलोमीटर लंबी है और गंगा के बाद भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी मानी जाती है।

विशाल जलग्रहण क्षेत्र – इसका जलग्रहण क्षेत्र 3,12,812 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 9.5% है।

पवित्र नाम ‘गौतमी’ – गोदावरी नदी को महर्षि गौतम की तपस्या के कारण ‘गौतमी’ नाम से भी जाना जाता है।

रामायण व महाभारत से जुड़ाव – रामायण में इसे भगवान राम के वनवास से जोड़ा जाता है, वहीं महाभारत में ये है कि पांडवों ने भी इस नदी के तट पर तपस्या की थी।

भक्ति व संतों का संगम – संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम और संत एकनाथ जैसे संतों ने इस नदी के किनारे आध्यात्मिक संदेशों का प्रचार किया।

कृषि और जीवन का आधार – गोदावरी नदी के पानी से महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के लाखों किसानों की फसलें लहलहाती हैं।

गोदावरी डेल्टा – यह भारत के सबसे बड़े डेल्टाओं में से एक है, जहाँ चावल की खेती व्यापक रूप से होती है।

सहायक नदियाँ – इसकी 12 प्रमुख सहायक नदियाँ हैं, जिनमें प्राणहिता, इंद्रावती, मंजीरा और सबरी प्रमुख हैं।

गोदावरी केवल एक नदी नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आस्था की गहरी जड़ें समेटे हुए है। यह नदी हमें सिखाती है कि जीवन प्रवाहमान है, और हमें भी इसकी तरह बिना रुके अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जो भी भक्त इस पवित्र नदी में स्नान करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।

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Published by Sri Mandir·April 14, 2025

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