माँ कालरात्रि के मंत्र | Maa Kaalratri Mantra
मां दुर्गा के नौ रूपों में सातवां स्वरूप मां कालरात्रि का है। मां दुर्गा के इस रूप की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है, इस दिन महासप्तमी भी कहा जाता है।
मां दुर्गा ने ये अवतार बुराई का नाश करने के लिए लिया था। मां ने इस अवतार में शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज जैसे दानवों का वध किया था।
मां दुर्गा के इस स्वरूप को सबसे शक्तिशाली माना गया है। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन मां का ये स्वरूप सदैव ही शुभ फल देने वाली है। मां कालरात्रि की उपासना से बुरे शक्तियों से छुटकारा मिलता है।
मां कालरात्रि के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र | Maa Kaalratri Beej Mantra
माँ कालरात्रि के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र में एक अद्भुत शक्ति और दिव्यता है। इस मंत्र का जाप जो भक्त करते हैं उनके लिए ये विशेष रूप से प्रभावशाली होता है, इस मंत्र के जाप से ही भक्त को नकारात्मक शक्तियों, भय, और बाधाओं से छुटकारा मिल जाता है। माँ कालरात्रि की पूजा देवी दुर्गा के सातवें रूप में की जाती है
मंत्र: क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:
अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है कि "मैं माँ काली को प्रणाम करता या करती हूँ, जो ज्ञान, सौभाग्य और शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं।" सच्चे मन से इस मंत्र का जाप किया जाये तो भक्तों को माँ काली की कृपा, ज्ञान, समृद्धि और सुरक्षा मिलती है
मां कालरात्रि का पूजन मंत्र | Maa Kaalratri Pujan Mantra
मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:
अर्थ: यह एक शक्तिशाली बीज मंत्र है जिसका जाप माँ कालरात्रि की उपासना के लिए किया जाता है इसका अर्थ है कि “मैं माँ कालरात्रि को प्रणाम करता या करती हूँ, जो ज्ञान, शक्ति, और प्रेम की अधिष्ठात्री देवी हैं, और जो सभी नकारात्मकताओं का नाश करती हैं।" इस मंत्र का जाप करने से भय, नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
अर्थ: इस श्लोक में देवी माँ कालरात्रि के भयानक और रौद्र रूप का वर्णन किया गया है, जिससे भक्तों का भय, अज्ञानता, और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। माँ का ये रूप उनके भक्तों के लिए सुरक्षा और साहस का प्रतीक है, जो जीवन में आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करने के लिए आवश्यक है।
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ: इस श्लोक के माध्यम से ये बताया गया है कि ये श्लोक देवी कालरात्रि को समर्पित है, जोकि अंधकार, भय, और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली शक्ति को दर्शाता है उसका प्रतीक हैं। भक्त सच्चे मन से देवी को नमन करते हैं और उनकी कृपा और सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं।
मंत्र जाप विधि | Mantra Jaap Vidhi
मां कालरात्रि के बीज मंत्र का जाप एक माला यानी 108 बार करना चाहिए। मां के पूजन मंत्र का जाप करने से साधक को भय से मुक्ति मिलता है। मंत्र जाप और पूजा के बाद आखिरी में मां को गुड़ का भोग लगा उस प्रसाद को ब्राह्मणों को दान कर देना चाहिए।
मां कालरात्रि अपने इस स्वरूप में चार भुजा धारण कर रखी हैं। जिसमें ऊपर की दाहिनी भुजा से मां भक्तों को वर प्रदान करती हैं और निचली दायीं भुजा से अभय देती हैं।
मां अपनी बायीं भुजाओं में खड्ग और कंटीला मूसल धारण कर रखी हैं। हालांकि, मां की कुछ प्रतिमाओं में उनके हाथों में खड्ग और कटोरी भी दिखता है।
मां कालरात्रि के बाल खुले हुए हैं। माता कालरात्रि का वाहन गर्दभ है। मां के इस स्वरूप के उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि से मुक्ति मिलती है।