जानें माँ महागौरी के पूजन विधि और मंत्र के लाभ।
महागौरी, माँ दुर्गा का 8वां स्वरूप है। मां महागौरी को माता पार्वती का ही एक रूप कहा जाता है। इसके पीछे कहा जाता है कि माता पार्वती की तपस्या के कारण ही उन्हें महागौरी अवतार प्राप्त हुआ था। माँ महागौरी का ध्यान, स्मरण और पूजन भक्तों के लिए बहुत ही कल्याणकारी होता है। माँ के इस स्वरूप की कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मां महागौरी की पूजा से साधक की सभी काम सफल होते हैं। आइए जानते हैं मां महागौरी के मंत्रों के बारे में।
मां महागौरी के स्वयं सिद्ध बीज मंत्रों का जाप बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है। इन मंत्रों के जाप से साधक को आत्मिक शुद्धि, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है। ये बीज मंत्र भले छोटे लेकिन गहन प्रभाव वाले होते हैं, इन मंत्रों में आध्यात्मिक उन्नति करने और देवी की कृपा प्राप्त करने की शक्ति होती है।
मंत्र: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
अर्थ: साधारण शब्दों में इस मंत्र का अर्थ समझें तो इस पूरे मंत्र का सार यह है कि साधक देवी को सच्चे मन से प्रणाम करते हुए उनसे प्रेम, शक्ति, और आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना कर रहा है, जिसके माध्यम से वह सभी इच्छाएं पूरी करें और जीवन में समृद्धि व शांति प्रदान करें।
मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:
अर्थ: इस मंत्र का अर्थ समझा जाये तो इस मंत्र के द्वारा साधक महागौरी को पूरी आस्था और मन से प्रणाम करते हुए उनसे ज्ञान, शक्ति, और आशीर्वाद की प्रार्थना कर रहा है, ताकि वह सभी बाधाओं को दूर करें और साधक के जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्रदान करें।
सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ: इस श्लोक का अर्थ है कि माँ गौरी सभी जीवों में' या 'सभी प्राणियों में' हर जगह विद्यमान हैं ये श्लोक माँ गौरी की सार्वभौमिक उपस्थिति और उनकी आराधना का को दर्शाता है। इस श्लोक के माध्यम से साधक माँ गौरी से आशीर्वाद और कृपा की प्रार्थना करता है।
मां महागौरी को समर्पित इन मंत्रों का 108 बार जाप करना चाहिए। मां की विधिवत पूजा के बाद इन मंत्रों का जाप करें। मंत्र के माध्यम से माँ महागौरी की स्तुति करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है।
माँ दुर्गा की आठवीं शक्ति को मां महागौरी कहते हैं। मां का ये स्वरूप अत्यंत सौम्य, बेहद सरस, सुलभ और मनमोहक है।
इस स्वरूप में मां के वस्त्र और आभूषण आदि भी सफेद हैं। इस स्वरूप में माँ के चार हाथ हैं। जिसमें दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल धारण की हुईं हैं।
बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है।
माँ महागौरी की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते हैं। जिससे मन और शरीर शुद्ध हो जाता है। माँ महागौरी भक्तों को सद्मार्ग की ओर ले जाती हैं। इनकी पूजा से सभी अपवित्र और अनैतिक विचार नष्ट हो जाते हैं।
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