माँ शैलपुत्री के मंत्र | Maa Shailputri Mantra
नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मां के सभी नौ स्वरूपों की पूजा के साथ सभी का अलग-अलग महत्व है। मां के अलग-अलग स्वरूपों का स्मरण करते हुए उन स्वरूपों को समर्पित विशेष मंत्रों का जप करने से साधक को जीवन में मनचाहे फल की प्राप्ति होती।
मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री हैं। मां शैलपुत्री के माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित है। मां के एक हाथ में त्रिशूल और एक हाथ में कमल है। मां के इस स्वरूप की सवारी नंदी हैं। मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा के लिए विशेष मंत्र के जप से मनचाहा वरदान मिलता है।
मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से मनुष्य को चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है।
मां शैलपुत्री के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र | Maa Shailputri Beej Mantra
देवी नवदुर्गा का प्रथम स्वरूप हैं मां शैलपुत्री, माँ शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री के रूप में भी जाना जाता है। माँ शैलपुत्री का बीज मंत्र उनकी शक्ति, पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है।
मंत्र: ह्रीं शिवायै नम:।
अर्थ: मैं मां पार्वती (शक्ति) को प्रणाम करता हूं, जो शक्ति, चेतना और शिव की दिव्य शक्ति का प्रतीक हैं।" यह मंत्र भक्ति, शक्ति, और शांति को प्रकट करता है और साधक को आंतरिक शुद्धि, आध्यात्मिक जागरूकता और मानसिक शांति प्रदान करता है।
मां शैलपुत्री के पूजन मंत्र | Maa Shailputri Pujan Mantra
मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।
अर्थ: "मैं मां शैलपुत्री को प्रणाम करता हूं, जो ज्ञान, शक्ति, प्रेम और चेतना की स्रोत हैं।" यह मंत्र भक्त को मां शैलपुत्री की कृपा, ज्ञान, आंतरिक शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति में सहायक होता है।
मां शैलपुत्री जाप विधि | Maa Shailputri Jaap Vidhi
मां शैलपुत्री की पूजा सिद्धि प्राप्ति के लिए की जाती है। प्रतिपदा के दिन ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:’ मंत्र का जाप करते हुए यज्ञ में घी की आहुति दें। यह जाप कम से कम 108 बार होना चाहिए। इससे कार्यों में सिद्धि के साथ सफलता मिलती है।
मां शैलपुत्री पूजन मंत्र
मंत्र: वंदे वाद्द्रिछतलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्।।
अर्थ: "मैं उन मां शैलपुत्री को नमन करता हूं, जो साधकों को सौभाग्य और लाभ प्रदान करती हैं, जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित है, जो वृषभ पर सवार हैं, त्रिशूल धारण करती हैं, और यशस्विनी रूप में प्रसिद्ध हैं।"
यह श्लोक मां शैलपुत्री के शौर्य, उनकी सौम्यता और आध्यात्मिक शक्ति का गुणगान करता है, जो उनकी कृपा से जीवन में सफलता और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं।
नवरात्रि में मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा के लिए अलग-अलग बीज मंत्र होते हैं। मान्यता है कि अगर साधक नवरात्रि के 9 दिनों तक शुद्ध मन से मां दुर्गा को समर्पित इन मंत्रों का जाप करता है तो उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।