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माँ स्कंदमाता (Maa Skandmata)

माँ की आराधना से हर मनोकामना पूर्ण होती है।

माँ स्कंदमाता के बारे में

माँ दुर्गा के पांचवे शक्ति स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है, और चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन, देवी जी के इसी स्वरूप को समर्पित है। आइए जानते हैं कि माँ स्कंदमाता की पूजा के बारे में।

माँ स्कंदमाता की पूजा?

भगवान कार्तिकेय का एक नाम स्कन्द भी है, और इनकी माता के रूप में देवी के स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। देवी स्कन्दमाता का वाहन सिंह है। उनकी गोद में भगवान कार्तिकेय विराजमान है। माता का यह अवतार चतुर्भुजा अर्थात चार भुजाओं वाला है। अपने ऊपर के दो हाथों में माता ने कमल का फूल धारण किया हुआ है। एक हाथ से उन्होंने भगवान कार्तिकेय को संभाला हुआ है, और शेष एक हाथ अभय मुद्रा में है, जिससे माँ अपने सभी भक्तगणों को अभय का आशीष दे रही हैं।

माँ स्कंदमाता की पूजा से होने वाले लाभ

  • चैत्र नवरात्र के पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा करने से साधकों को भगवान कार्तिकेय के समान तेजस्वी संतान प्राप्त होती है। माँ स्कंदमाता बहुत करुणामयी हैं, और वे अपने भक्तों से हुई हर त्रुटि के लिए उन्हें क्षमादान देती हैं। माँ की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद स्वतः ही साधकों को मिल जाता है।
  • माँ स्कंदमाता को लाल रंग अतिप्रिय है। और इस बार चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा के लिए शुभ रंग हरा है।

माँ स्कंदमाता की पूजा कैसे करें?

  • सर्वप्रथम सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • चौकी को साफ करके, वहां गंगाजल का छिड़काव करें, चौकी पर आपने एक दिन पहले जो पुष्प चढ़ाए थे, उन्हें हटा दें।
  • आपको बता दें, चूंकि चौकी की स्थापना प्रथम दिन ही की जाती है, इसलिए पूजन स्थल पर विसर्जन से पहले झाड़ू न लगाएं।
  • इसके बाद आप पूजन स्थल पर आसन ग्रहण कर लें।
  • इसके बाद माता की आराधना शुरू करें- सबसे पहले दीपक प्रज्वलित करें।
  • अब ॐ गं गणपतये नमः का 11 बार जाप करके भगवान गणेश को नमन करें।
  • इसके बाद अब ॐ देवी स्कंदमातायै नमः॥ मन्त्र के द्वारा माँ स्कंदमाता का आह्वान करें।
  • साथ ही माता को नमन करके निम्नलिखित मन्त्र के साथ माँ स्कंदमाता का ध्यान करें।
  • प्रथम पूज्य गणेश जी और देवी माँ को कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • कलश, घट, चौकी को भी हल्दी-कुमकुम-अक्षत से तिलक करके नमन करें।
  • इसके बाद धुप- सुगन्धि जलाकर माता जी को फूल-माला अर्पित करें। आप देवी जी को लाल और पीले पुष्प अर्पित कर सकते हैं।
  • नर्वाण मन्त्र ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाऐ विच्चे’ का यथाशक्ति अनुसार 11, 21, 51 या 108 बार जप करें।
  • एक धुपदान में उपला जलाकर इस पर लोबान, गुग्गल, कर्पूर या घी डालकर माता को धुप दें, और इसके बाद इस धुप को पूरे घर में दिखाएँ। आपको बता दें कि कई साधक केवल अष्टमी या नवमी पर हवन करते हैं, वहीं कई साधक इस विधि से धुप जलाकर पूरे नौ दिनों तक साधना करते हैं। आप अपने घर की परंपरा या अपनी इच्छा के अनुसार यह क्रिया कर सकते हैं।
  • अब भोग के रूप में मिठाई या फल माता को अर्पित करें।
  • इसके बाद माँ स्कंदमाता की आरती गाएं।
  • आप श्रीमंदिर पर भी माँ स्कंदमाता के दर्शन कर सकते हैं। साथ ही माता की आरती का लाभ भी ले सकते हैं।

माँ स्कंदमाता मंत्र (Maa Skandmata Mantra)

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वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्॥ धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पञ्चम दुर्गा त्रिनेत्राम्। अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥ पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्। मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल धारिणीम्॥ प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् पीन पयोधराम्। कमनीयां लावण्यां चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥

स्कंदमाता देवी की आरती (Maa Skandmata Aarti)

जय तेरी हो स्कन्द माता। पांचवां नाम तुम्हारा आता॥

सबके मन की जानन हारी। जग जननी सबकी महतारी॥

तेरी जोत जलाता रहूं मैं। हरदम तुझे ध्याता रहूं मै॥

कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा॥

कही पहाड़ों पर है डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा॥

हर मन्दिर में तेरे नजारे। गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥

भक्ति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥

इन्द्र आदि देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए। तू ही खण्ड हाथ उठाए॥

दासों को सदा बचाने आयी। भक्त की आस पुजाने आयी॥

अब माँ दुर्गा की आरती करें।

इस तरह आपकी पूजा का समापन करें सबको प्रसाद वितरित करके स्वयं प्रसाद ग्रहण करें।

तो यह थी पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की विधि। शारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा के साथ ही माता के नौ रूपों को उनके दिन के अनुसार पूजने से माता आपकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। और पूरे वर्ष आपको माँ आदिशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

श्रीमंदिर पर आपके लिए नवरात्र के नौ दिनों की पूजा विधि उपलब्ध है। इन्हें जानने के लिए जुड़े रहिये श्रीमंदिर से। जय माता की!

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Published by Sri Mandir·September 19, 2025

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