नवरात्रि का तीसरा दिन
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नवरात्रि का तीसरा दिन

इस विशेष दिन पर देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण उपायों के बारे में जानें।

नवरात्रि के तीसरे दिन के बारे में

वर्ष के कुछ ऐसे विशेष दिन हैं, जो पूर्णतः माँ आदिशक्ति को समर्पित हैं, जैसे कि प्रत्येक अष्टमी, नवमी, प्रत्येक शुक्रवार, चैत्र, माघ, आषाढ़ और अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक नौ दिन। इन नौं दिनों माता के विभिन्न रूपों की पूजा का विधान हैं। माता का तीसरा दिन मां के चंद्रघंटा स्वरुप को समर्पित है इस दिन इस रूप में माता की आराधना की जाती है। आइए, जानते हैं नवरात्र के तीसरे दिन का महत्व, पूजा विधि और इससे जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी।

नवरात्रि के तीसरे दिन का महत्व

“पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥”

माँ दुर्गा के तीसरे शक्ति स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है, और शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन अर्थात 05 अक्टूबर, शनिवार को देवी जी के इस स्वरूप की साधना की जाएगी।

माता का यह रूप स्वर्णिम और अलौकिक है। दस भुजाओं वाली देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर मुकुट सुशोभित है। जिसमें घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है। यही कारण है कि माता के इस स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से पुकारा जाता है। मां चंद्रघंटा अपनों भक्तों की रक्षा हेतु सदैव तत्पर रहती हैं। मां सभी पीड़ाओं को दूर करने के लिए जानी जाती है।

नवरात्रि के तीसरे दिन का शुभ मुहूर्त

नवरात्र के तीसरे दिन माँ दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा का बहुत महत्व है। इस वर्ष नवरात्रि का तीसरा दिन 05 अक्टूबर 2024, शनिवार को है।

तृतीया तिथि प्रारंभ: 05 अक्टूबर, शनिवार 05:30 AM तृतीया तिथि समापन 06 अक्टूबर, रविवार 07:49 AM

माँ चंद्रघंटा की पूजा सामग्री और विधि

  • तीसरे दिन की पूजन सामग्री में माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर, पुष्प, मिठाई, लाल कलावा या मौली, दीपक, घी या तेल, धूप, नारियल, अक्षत (साबुत), कुमकुम, माला, (यदि आपके पास माँ चंद्रघंटा व माँ के अन्य रूपों की तस्वीर उपलब्ध नही हो तो आप माँ दुर्गा की ऐसी तस्वीर ले सकते हैं, जिसमें माता के नौ स्वरूप दिखाई दें। अगर वह भी संभव न हों तो माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर भी उपयुक्त है। क्योंकि माँ दुर्गा में ही उनका हर स्वरूप निहित है)
  • सर्वप्रथम सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • चौकी को साफ करके, वहां गंगाजल का छिड़काव करें, चौकी पर आपने एक दिन पहले जो पुष्प चढ़ाए थे, उन्हें हटा दें।
  • आपको बता दें, चूंकि चौकी की स्थापना प्रथम दिन ही की जाती है, इसलिए पूजन स्थल पर विसर्जन से पहले झाड़ू न लगाएं।
  • इसके बाद आप पूजन स्थल पर आसन ग्रहण कर लें।
  • इसके बाद माता की आराधना शुरू करें- सबसे पहले दीपक प्रज्वलित करें।
  • अब ॐ गं गणपतये नमः का 11 बार जाप करके भगवान गणेश को नमन करें।
  • इसके बाद अब ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥ मन्त्र के द्वारा माँ चंद्रघंटा का आह्वान करें।
  • प्रथम पूज्य गणेश जी और देवी माँ को कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • कलश, घट, चौकी को भी हल्दी-कुमकुम-अक्षत से तिलक करके नमन करें।
  • इसके बाद धुप- सुगन्धि जलाकर माता जी को फूल-माला अर्पित करें। आप देवी जी को लाल और पीले पुष्प अर्पित कर सकते हैं।
  • नर्वाण मन्त्र ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाऐ विच्चे’ का यथाशक्ति अनुसार 11, 21, 51 या 108 बार जप करें।
  • एक धुपदान में उपला जलाकर इस पर लोबान, गुग्गल, कर्पूर या घी डालकर माता को धुप दें, और इसके बाद इस धुप को पूरे घर में दिखाएँ। आपको बता दें कि कई साधक केवल अष्टमी या नवमी पर हवन करते हैं, वहीं कई साधक इस विधि से धुप जलाकर पूरे नौ दिनों तक साधना करते हैं। आप अपने घर की परंपरा या अपनी इच्छा के अनुसार यह क्रिया कर सकते हैं।
  • अब भोग के रूप में मिठाई या फल माता को अर्पित करें।
  • इसके बाद माँ चंद्रघंटा की आरती गाएं।

माँ चंद्रघंटा को क्या भोग लगाएं?

नवरात्रि का तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा का होता है, जिनको दूध से बनी मिठाई और खीर अत्यधिक प्रिय है। इस दिन, दूध से बनी चीज़ का भोग लगाकर ब्राह्मणों को दान करने से सभी प्रकार के दुख और पीड़ा दूर हो जाती है। ऐसे में, आप भोग में मखाने की खीर बनाएं।

मखाने की खीर बनाने के लिए, सबसे पहले एक पैन में मखाने को भून लें और ठंडा हो जाने पर, उसे बारीक पीस लें। इसके बाद, एक पैन में दूध, मखाना, चीनी, मेवे और इलायची पाउडर डाल कर उसे अच्छे से मिला दें और धीमी आंच पर पकाएं। इस तरह, आपकी मखाने की खीर तैयार है।

मां चन्द्रघण्टा का बीज मंत्र : ऐं श्रीं शक्तयै नम:।

माँ चंद्रघंटा की पूजा से होने वाले लाभ

शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक के समस्त पाप और बाधाओं का नाश होता है। माँ का यह रूप सुख-शांति प्रदान करने वाला है, तथा इनकी साधना करने से साधक को सभी तरह के रोग और दोषों से मुक्ति मिलती है। माँ चंद्रघंटा को लाल रंग अतिप्रिय है। और इस बार शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा के लिए शुभ रंग नीला है।

माँ चंद्रघंटा की कथा

पौराणिक कथा के मुताबिक, माता दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार तब लिया था जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था। उस समय महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से चल रहा था। महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन प्राप्त करना चाहता था। वह स्वर्ग लोक पर राज करने की इच्छा पूरी करने के लिए यह युद्ध कर रहा था। जब देवताओं को उसकी इस इच्छा का पता चला तो वे परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने पहुंचे। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुन क्रोध प्रकट किया और क्रोध आने पर उन तीनों के मुख से ऊर्जा निकली। यह ऊर्जा दसों दिशाओं में व्याप्त होने लगी। तभी वहां एक कन्या उत्पन्न हुई। तब शंकर भगवान ने देवी को अपना त्रिशूल भेंट किया। भगवान विष्णु ने भी उनको चक्र प्रदान किया। इसी तरह से सभी देवता ने माता को अस्त्र-शस्त्र देकर सजा दिया। इंद्र ने भी अपना वज्र एवं ऐरावत हाथी माता को भेंट किया। सूर्य ने अपना तेज, तलवार और सवारी के लिए शेर प्रदान किया। तब देवी सभी शास्त्रों को लेकर महिषासुर से युद्ध करने के लिए युद्ध भूमि में आ गई। उनका यह विशाल का रूप देखकर महिषासुर भय से कांप उठा। तब महिषासुर ने अपनी सेना को मां चंद्रघंटा के पर हमला करने को कहा। तब देवी ने अपने अस्त्र-शस्त्र से असुरों की सेनाओं को भर में नष्ट कर दिया। इस तरह से मां चंद्रघंटा ने असुरों का वध करके देवताओं को अभयदान देते हुए अंतर्ध्यान हो गई।

माँ चंद्रघंटा की आरती

ॐ जय चंद्रघंटा माँ मैया जय चंद्रघंटा माँ सर्वजगत की स्वामिनी सर्वजगत की स्वामिनी कृपा सदा करना ॐ जय चंद्रघंटा माँ

अर्ध-चंद्रमा माथे पर रूप अति सुन्दर मैया रूप अति सुन्दर गृह गृह तुम्हारी पूजा गृह गृह तुम्हारी पूजा पूजत नारी नर ॐ जय चंद्रघंटा माँ

तृतीय नव रातों में माँ का ध्यान करो मैया माँ का ध्यान करो माँ से ममता पाओ माँ से ममता पाओ जय जयकारा करो ॐ जय चंद्रघंटा माँ

दस भुज धारिणी मैया असुरों का नाश करे मैया असुरों का नाश करे मोक्ष भक्त को दे माँ मोक्ष भक्त को दे माँ विपदा नित माँ हरे ॐ जय चंद्रघंटा माँ

खड्ग खप्पर धारिणी जगजननी है माँ जगजननी है माँ दिव्य करे साधक को दिव्य करे साधक को देती माँ करुणा ॐ जय चंद्रघंटा माँ

कल्याणकारिणी मैया दुखों का नाश करे मैया दुखों का नाश करे मंगल मंगल नित हो मंगल मंगल नित हो माँ की जो पूजा करे ॐ जय चंद्रघंटा माँ

अनुपम रूप माँ धर्म सदा ही बढे मैया धर्म सदा ही बढे काज सफल करो माता काज सफल करो माता द्वारे तेरे खड़े ॐ जय चंद्रघंटा माँ

श्रद्धा पुष्प माता को नित अर्पण करो मैया नित अर्पण करो माँ के ध्यान में रमकर माँ के ध्यान में रमकर जीवन सफल करो ॐ जय चंद्रघंटा माँ

चंद्रघंटा माता की आरती नित गाओ आरती नित गाओ कामना पूरी होगी कामना पूरी होगी माँ की शरण आओ ॐ जय चंद्रघंटा माँ

ॐ जय चंद्रघंटा माँ मैया जय चंद्रघंटा माँ सर्वजगत की स्वामिनी सर्वजगत की स्वामिनी कृपा सदा करना ॐ जय चंद्रघंटा माँ

ॐ जय चंद्रघंटा माँ मैया जय चंद्रघंटा माँ सर्वजगत की स्वामिनी सर्वजगत की स्वामिनी कृपा सदा करना ॐ जय चंद्रघंटा माँ

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Published by Sri Mandir·March 11, 2025

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