नवरात्रि का आठवां दिन (Eighth Day of Navratri)
नवरात्रि में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का एक सुंदर समागम देखने को मिलता है। नवरात्रि की पूजा कई मायनों में काफी ख़ास होती है, इसमें किए जाने वाले हर कार्य, हर दिन का अपना महत्व होता है। नवरात्री के आठवे दिन का भी बहुत अधिक महत्व होता है, इसे अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो नवरात्री की नवमी को कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है लकिन कई जगहों पर नवरात्री के अष्टमी पर कन्या पूजा का विधान है। नवरात्री की अष्टमी माँ दुर्गा के आठवे स्वरूप माँ महागौरी को समर्पित है। आइए इस लेख में जानें नवरात्र के आठवे दिन का महत्व, पूजा विधि और इससे जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी।
नवरात्रि के आठवें दिन का महत्व (Importance of the Eight day of Navratri)
नौं दिनों के महाउत्सव का आठवां दिन माता के महागौरी स्वरूप को समर्पित है। जिसे अष्टमी या महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। माता का यह स्वरूप बहुत ही सौम्य और करुणामई है। ऐजो भी जातक देवी के इस स्वरूप की पूजा करता है, उसे जीवन में हो रहे सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। माता का यह सौम्य रूप है मनुष्य को अभय दान प्रदान करने वाला है। माता के इस स्वरूप की पूजा करने से सभी पाप, कष्ट, रोग और दुख मिट जाते हैं। जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं एवं सुख- समृद्धि प्राप्त होती है। मां महागौरी को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य देने वाली और चैतन्यमयी के नाम से भी पुकारा जाता है।
नवरात्रि के आठवें दिन का शुभ मुहूर्त (Auspicious time of Eight day of Navratri)
नवरात्र के आठवें दिन माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप माँ महागौरी की पूजा का बहुत महत्व है। इस वर्ष नवरात्रि का आठवां दिन 10 अक्टूबर 2024 को है।
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 10 अक्टूबर, गुरुवार 12:31 PM अष्टमी तिथि समापन11 अक्टूबर, शुक्रवार 12:06 PM
माँ महागौरी को क्या भोग लगाएं और उनका बीज मंत्र (What should be offered to Mata Mahagauri and her Beej Mantra)
आठवें दिन महागौरी को नारियल या उससे बनी मिठाइयों का भोग लगाएं, इससे मां खुश होती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। ऐसे में, आप माता के लिए घर पर नारियल के लड्डू बना सकते हैं।
नारियल लड्डू बनाने के लिए, कसे हुए नारियल गोले को हल्की आंच पर एक कढ़ाई में भून लें। इसके बाद, इसमें दूध और खोए मिलाकर फिर से अच्छे से भुनें। फिर ठंडा होने पर लड्डू बना लें और माता को भोग चढ़ा दें।
**माँ महागौरी का बीज मंत्र: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम: **
माँ महागौरी की पूजा विधि (Mata Mahagauri Puja Vidhi)
- अष्टमी के दिन सर्वप्रथम सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- चौकी को साफ करके, वहां गंगाजल का छिड़काव करें, चौकी पर आपने एक दिन पहले जो पुष्प चढ़ाए थे, उन्हें हटा दें।
- आपको बता दें, चूंकि चौकी की स्थापना प्रथम दिन ही की जाती है, इसलिए पूजन स्थल पर विसर्जन से पहले झाड़ू न लगाएं।
- इसके बाद आप पूजन स्थल पर आसन ग्रहण कर लें।
- अब माता की आराधना शुरू करें- सबसे पहले दीपक प्रज्वलित करें।
- अब ॐ गं गणपतये नमः का 11 बार जाप करके भगवान गणेश को नमन करें।
- इसके बाद ॐ महागौर्यै नमः मन्त्र के द्वारा देवी महागौरी का आह्वान करें।
- देवी जी के आह्वान के बाद, माता को नमन करके निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें और माँ महागौरी का ध्यान करें-
- वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
- सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
- पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
- वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
- पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
- मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
- प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
- कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥
- प्रथम पूज्य गणेश जी और देवी माँ को कुमकुम का तिलक लगाएं।
- साथ ही, कलश, घट, चौकी को भी हल्दी-कुमकुम-अक्षत से तिलक करके नमन करें।
- इसके बाद धुप- सुगन्धि जलाकर माता को फूल-माला अर्पित करें। आपको बता दें कि माता के महागौरी स्वरूप को सफेद रंग अतिप्रिय है, इसलिए उन्हें सफेद कनेर के पुष्प अर्पित करें। पुष्प माला पहनाएं और संभव हो पाए तो सफेद रंग के वस्त्र भी अर्पित करें।
- नर्वाण मन्त्र ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाऐ विच्चे’ का यथाशक्ति अनुसार 11, 21, 51 या 108 बार जप करें।
- एक धुपदान में उपला जलाकर इस पर लोबान, गुग्गल, कर्पूर या घी डालकर माता को धुप दें, और इसके बाद इस धुप को पूरे घर में दिखाएँ। आपको बता दें कि कई साधक केवल अष्टमी या नवमी पर हवन करते हैं, वहीं कई साधक इस विधि से धुप जलाकर पूरे नौ दिनों तक साधना करते हैं। आप अपने घर की परंपरा या अपनी इच्छा के अनुसार यह क्रिया कर सकते हैं।
- आप भोग के रूप में ऋतु फल के साथ चावल की खीर का माता को अर्पित कर सकते हैं।
- अब आप दुर्गा सप्तशती का पाठ पढ़ें।
- इसके बाद देवी महागौरी जी की आरती गाएं।
माँ महागौरी की कथा (Story of Mata Mahagauri)
पहली कथा पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने कठिन तपस्या की थी, हजारों वर्षों तक माता ने अन्न जल ग्रहण नहीं किया था। जिससे माता का शरीर काला पड़ गया था। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें स्वीकार किया और माता के शरीर को गंगाजल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दिया। माता का स्वरूप गौरववर्ण हो गया। जिसके बाद माता पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया है। माता के इस स्वरूप की विधिवत पूजा अर्चना करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है तथा घर में सुख समृद्धि का वास होता है।
दूसरी कथा वहीं माता के इस स्वरूप को लेकर एक और पौराणिक कथा काफी प्रचलित है। कालरात्रि के रूप में सभी राक्षसों का वध करने के बाद भोलेनाथ ने देवी पार्वती को काली कहकर चिढ़ाया था। माता ने उत्तेजित होकर अपनी त्वचा को पाने के लिए कई दिनों तक ब्रह्मा जी की कड़ी तपस्या की, ब्रह्मा जी ने तपस्या से प्रसन्न होकर मां पार्वती को साक्षात दर्शन दिया और हिमालय के मानसरोवर में स्नान करने के लिए कहा। ब्रम्हा जी की सलाह पर मां पार्वती ने मानसरोवर में स्नान किया, स्नान करते ही माता का शरीर दूध की तरह सफेद हो गया। माता के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया।
माँ महागौरी की आरती (Aarti of Mata Mahagauri)
ॐ जय जय महागौरी मैया ॐ जय जय महागौरी निशदिन ध्यावत तुमको निशदिन ध्यावत तुमको ऋषि मुनि नर शिव जी ॐ जय जय महागौरी
ॐ जय जय महागौरी मैया ॐ जय जय महागौरी निशदिन ध्यावत तुमको निशदिन ध्यावत तुमको ऋषि मुनि नर शिव जी ॐ जय जय महागौरी
डमरू त्रिशूलधारिणी पापों का नाश करें मैया पापों का नाश करें वृषभ वाहन पे विराजे वृषभ वाहन पे विराजे माँ कल्याण करे ॐ जय जय महागौरी
श्वेत वस्त्र माता का छवि है मनभावन मैया छवि है मनभावन सांचे मन से पुकारो सांचे मन से पुकारो माँ देगी दर्शन ॐ जय जय महागौरी
गौर वर्ण मैया का साधक रहे प्रसन्न मैया साधक रहे प्रसन्न श्रद्धा पुष्प चढ़ाओ श्रद्धा पुष्प चढ़ाओ पावन कर लो मन ॐ जय जय महागौरी
अष्टमी नवराते में पूजा माँ की करो पूजा माँ की करो माँ विपदा है मिटाती माँ विपदा है मिटाती माँ का ध्यान धरो ॐ जय जय महागौरी
अवतार लियो दक्ष ग्रीह लीला निराली की मैया लीला निराली की शिव वैरागी खोये शिव वैरागी खोये मोहिनी थी डारी ॐ जय जय महागौरी
शरणागत की रक्षक मात भवानी तुम माता भवानी तुम सुन लो माता अरज तुम सुन लो माता अरज तुम द्वार आये तेरे हम ॐ जय जय महागौरी
मंदिर में माँ तेरे सदा ही सुख बरसे मैया सदा ही सुख बरसे अन्न धन सब माँ पावे अन्न धन सब माँ पावे अपूर्ण नर न रहे ॐ जय जय महागौरी
माँ महागौरी की आरती जो नर नित गावे मैया जो नर नित गावे भाव सिंधु से तरे वो भाव सिंधु से तरे वो व्याधि मिट जावे ॐ जय जय महागौरी
ॐ जय जय महागौरी मैया ॐ जय जय महागौरी निशदिन ध्यावत तुमको निशदिन ध्यावत तुमको ऋषि मुनि नर शिव जी ॐ जय जय महागौरी
ॐ जय जय महागौरी मैया ॐ जय जय महागौरी निशदिन ध्यावत तुमको निशदिन ध्यावत तुमको ऋषि मुनि नर शिव जी ॐ जय जय महागौरी