बलराम जी की पत्नी का नाम और उनकी कहानी के बारे में विस्तार से जानें।
भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी अपनी शक्ति, मर्यादा और धर्म के प्रति निष्ठा के लिए जाने जाते हैं, मगर क्या आप जानते हैं कि उनकी पत्नी का नाम क्या था? इस लेख में हम आपको बताएंगे बलराम जी के विवाह और उनके जीवन के इस खूबसूरत हिस्से की कहानियाँ, जो आपको पौराणिक कथाओं के करीब ले जाएंगी।
महाभारत और पुराणों में वर्णित बलराम जी का जीवन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के बड़े भाई और शेषनाग के अवतार माने जाते हैं। बलराम जी की पत्नी देवी रेवती के साथ उनका संबंध उनके जीवन का एक प्रमुख पक्ष है, जो न केवल रोचक है, बल्कि जीवन के गहरे संदेश भी देता है।
देवी रेवती, राजा रैवत की पुत्री थीं। रेवती अत्यंत सुंदर, गुणी और प्रभावशाली व्यक्तित्व वाली थीं। उनकी कथा विशेष रूप से समय और मानवता की सीमाओं से परे जाकर भगवान के प्रेम और आदर्शों को दर्शाती है। स्कंद पुराण और भागवत पुराण के अनुसार, राजा रैवत अपनी पुत्री के लिए योग्य वर की खोज में ब्रह्मलोक पहुंचे। वहां, ब्रह्माजी के समय की गणना के अनुसार कुछ ही पल बीते, लेकिन पृथ्वी पर कई युग बीत गए। जब वे वापस लौटे, तो पृथ्वी का वातावरण और लोग पूरी तरह बदल चुके थे।
राजा रैवत ने रेवती के विवाह के लिए बलराम जी को उपयुक्त वर पाया। हालांकि, रेवती बलराम जी से शारीरिक रूप से ऊंची थीं। यह उनकी कहानी का वह भाग है जो अद्वितीय और गहरे प्रतीकवाद से भरा है। कहा जाता है कि बलराम जी ने अपने हल से रेवती के कद को समायोजित किया, ताकि वे समान स्तर पर आ सकें। यह घटना दर्शाती है कि सच्चे संबंधों में बाहरी भौतिक मापदंड गौण होते हैं, और संबंध की नींव परस्पर समझ और सामंजस्य पर आधारित होती है।
रेवती और बलराम जी का विवाह एक आदर्श युगल का प्रतीक है। देवी रेवती, बलराम जी के साथ सहधर्मिणी के रूप में उनके हर कर्तव्य में सहयोगी रहीं। उनका चरित्र त्याग, धैर्य और निष्ठा का उदाहरण है। बलराम जी का शांत और धर्मशील स्वभाव, रेवती के गुणों के साथ सामंजस्य बनाकर उनके जीवन को पूर्णता प्रदान करता है।
देवी रेवती का जीवन यह संदेश देता है कि पारिवारिक जीवन में एक-दूसरे के गुणों को स्वीकारने और समझने का महत्व होता है। बलराम जी और रेवती का संबंध सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों की स्थापना करता है। उनकी कथा हमें सिखाती है कि सच्चे संबंध आत्मिक सामंजस्य और विश्वास पर आधारित होते हैं। यह युगल भारतीय संस्कृति और धर्म का एक आदर्श प्रस्तुत करता है, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
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