ब्रह्मा जी की पत्नी और उनकी बेटी का पौराणिक विवरण जानें।
ब्रह्मा जी की पत्नी का नाम सरस्वती देवी है, जो ज्ञान, विद्या और संगीत की देवी मानी जाती हैं। उन्हें ब्रह्मा जी की शक्ति और सृष्टि रचना में सहायक माना जाता है। इस लेख के माध्यम से आप ब्रह्मा जी की पत्नी और उनकी बेटी के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे
सनातन धर्म के ग्रंथों में दो अलग-अलग मां सरस्वती का उल्लेख मिलता है। पहली सरस्वती देवी को अपरा विद्या की अधिष्ठात्री माना जाता है, जो ब्रह्मा जी की पत्नी थीं। दूसरी सरस्वती, ब्रह्मा जी की पुत्री मानी जाती हैं, जिनका विवाह भगवान विष्णु से हुआ था। मध्यकाल में इन दोनों स्वरूपों को एक मान लेने के कारण भ्रम उत्पन्न हो गया।
"सरस्वती" शब्द विद्या और ज्ञान की देवी को दर्शाता है, जिसका दो रूपों में वर्णन किया गया है—अपरा विद्या और परा विद्या। अपरा विद्या ब्रह्मा जी से उत्पन्न मानी जाती है, जबकि परा विद्या ईश्वर से प्रकट होती है। इस आधार पर, ब्रह्मा जी की पत्नी परा विद्या स्वरूपा सरस्वती हैं, जबकि उनकी पुत्री विष्णु जी की अर्धांगिनी बनीं।
यह मान्यता कि ब्रह्मा जी की पूजा इसलिए नहीं होती क्योंकि उन्होंने अपनी पुत्री से विवाह किया, पूरी तरह से गलत है। असल में, इसका वास्तविक कारण उनसे जुड़ी एक अन्य घटना में निहित है।
पुष्कर में यज्ञ के दौरान, सावित्री देवी की अनुपस्थिति में ब्रह्मा जी ने यज्ञ संपन्न करने के लिए गायत्री देवी से विवाह किया। इससे क्रोधित होकर सावित्री देवी ने ब्रह्मा जी को शाप दे दिया कि उनकी पूजा नहीं होगी। इस घटना का मां सरस्वती से कोई संबंध नहीं है, लेकिन समय के साथ दोनों कथाओं को जोड़कर एक गलत धारणा बना दी गई।
मध्यकाल और ब्रिटिश शासन के दौरान विभिन्न ग्रंथों में परिवर्तन किए गए, जिससे कुछ पुराण कथाएँ गलत ढंग से प्रचारित हो गईं। मत्स्य पुराण और सरस्वती पुराण में सरस्वती के जन्म और ब्रह्मा जी से विवाह का उल्लेख प्रतीकात्मक रूप में किया गया है।
यह कथा सृष्टि के प्रथम मानव "मनु" की उत्पत्ति से संबंधित है, लेकिन सरस्वती के दो रूपों को मिलाने से भ्रम उत्पन्न हुआ। इसलिए, हमें इन कथाओं को प्रतीकात्मक रूप से समझना चाहिए, न कि उनका शाब्दिक अर्थ निकालना चाहिए।
ब्रह्मा जी की पूजा न होने का कारण उनकी पुत्री से विवाह नहीं, बल्कि सावित्री देवी के शाप और अन्य घटनाओं से जुड़ा हुआ है। अतः समाज में व्याप्त इन भ्रांतियों को दूर कर सत्य को प्रचारित करने की आवश्यकता है।
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