जगन्नाथ पुरी मंदिर के अनजाने रहस्य और उनकी पौराणिक कहानियां।
जगन्नाथ पुरी, जहां भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद मिलता है, वही स्थान आज भी कई रहस्यों को समेटे हुए है। क्या आप जानते हैं कि यहाँ के कुछ चमत्कारी घटनाएँ पूरी दुनिया को हैरान कर देती हैं? इस लेख में हम आपको बताएंगे जगन्नाथ पुरी के 10 रहस्यों के बारे में।
भारत के ओडिशा राज्य में स्थित भगवान जगन्नाथ का विशाल और भव्य मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर को इसलिए पूरी दुनिया में जाना जाता है क्योंकि यहाँ भगवान की मूर्ति लकड़ी की बनी हुई है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम एकसाथ विराजमान है। चलिए इस मंदिर के उन 10 रहस्यों के बारे में जानते हैं जिन्हें समझ पाना किसी आम इंसान के बस की बात नहीं है।
जगन्नाथ मंदिर के ऊपर लगा ध्वज हमेशा हवा की दिशा के उलट लहराता है। मतलब जब हवा एक ओर चल रही होती है, ध्वज दूसरी ओर झुकता है। यह बात वैज्ञानिक समझ से बाहर है और लोग इसे भगवान का चमत्कार मानते हैं।
मंदिर के सबसे ऊंचे हिस्से पर सुदर्शन चक्र लगा है। खास बात यह है कि आप इसे किसी भी दिशा से देखें, यह आपको ऐसा लगेगा कि चक्र आपको ही देख रहा है।
मंदिर के मुख्य द्वार से अंदर जाते ही समुद्र की लहरों की आवाज बंद हो जाती है। लेकिन जैसे ही आप मंदिर से बाहर आते हैं, लहरों की आवाज फिर से सुनाई देने लगती है।
दिन के किसी भी समय आप इस मंदिर को देखें, इसकी छाया जमीन पर नहीं पड़ती। यह इस मंदिर की वास्तुकला का एक रहस्य है। जिसे आज के बड़े-बड़े साइअन्टिस्ट भी नहीं समझ पाए हैं।
मंदिर के रसोईघर में मिट्टी के 7 बर्तन एक के ऊपर एक रखकर प्रसाद पकाया जाता है। सबसे ऊपर रखे बर्तन का भोजन पहले पकता है और फिर नीचे के बर्तनों का। यह बात समझ से बाहर है। क्योंकि सबसे पहले तो उस बर्तन के खाने को पकना चाहिए जो अग्नि के करीब हो लेकिन इस मंदिर में ऐसा नहीं होता है।
भगवान जगन्नाथ मंदिर में हर दिन लाखों लोग मंदिर का प्रसाद खाते हैं। लेकिन यह अद्भुत बात है कि प्रसाद कभी कम नहीं पड़ता और न ही ज्यादा बचता है। यह एक बड़ा रहस्य है। जबकि इसे किसी नाप के साथ बनाया भी नहीं जाता है। कई बार खास मौकों पर अचानक भीड़ बढ़ जाती है लेकिन कभी भी भक्तों के लिए प्रसाद की कमी नहीं होती है।
भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को हर साल रथों पर बिठाकर यात्रा करवाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि रथ खींचने में एक अदृश्य शक्ति भी मदद करती है।
भगवान जगन्नाथ की मूर्ति नीम की एक खास लकड़ी से बनाई जाती है जिसे "दर्शनिक दारु" कहते हैं। हर 12 से 19 साल में इन मूर्तियों को बदला जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह गुप्त रखी जाती है।
हमारी मान्यताओं में कहते हैं कि भगवान जगन्नाथ दिन में 56 प्रकार के भोजन यानि महाप्रसाद ग्रहण करते हैं। इस भोजन को बेहद पवित्र माना जाता है और इसे बनाने की प्रक्रिया भी रहस्यमय है। इसे बनाने की विधि बाहर किसी को भी नहीं पता है।
रथ यात्रा के दौरान ओडिशा के गजपति राजा स्वयं भगवान के रथ के आगे झाडू लगाते हैं। यह परंपरा भगवान के प्रति उनकी विनम्रता और सेवा का प्रतीक है।
Did you like this article?
बायीं आँख फड़कना: क्या यह शुभ है या अशुभ? जानें पुरुष और महिलाओं में इसके कारण, लक्षण और उपाय।
कलयुग की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है? जानिए शेष समय का रहस्य।
भगवद गीता में कुल कितने श्लोक हैं? जानिए श्लोकों की संख्या, अध्यायों का विभाजन और उनका अर्थ।