कृष्णा के पुत्रों के नाम क्या थे? जानिए श्री कृष्ण के परिवार के रहस्यों को!
भगवान कृष्ण से जुड़ी अनगिनत कहानियां आपको पता होंगी। पर क्या आप भगवान कृष्ण के पुत्रों के बारे में जानते हैं। चलिए इस आर्टिकल में हम आपको भगवान कृष्ण के पुत्रों के नाम और उनकी रोचक कहानियों के बारे में बताएंगे।
भगवान कृष्ण की 16108 पटरानियों के बारे में तो सभी जानते है लेकिन शायद ही कोई इनके सभी पुत्रों के बारे में जानता हो। श्री कृष्ण की 16108 पटरानियों में से 8 उनकी अष्टभार्या थी। जिनसे उन्होंने विधिवत विवाह रचाया था। उन्होंने अपनी सभी पत्नियों को प्रेम और आदर-सम्मान दिया लेकिन संतान प्राप्ति का सुख नहीं दिया। श्री कृष्ण ने सिर्फ अपनी अष्टभार्या को संतान प्राप्ति का सुख दिया था। उन्हें अपनी आठ पत्नियों से 80 पुत्रों की प्राप्त हुई थी। सभी पत्नियों के करीब 10 पुत्र थे।
राधा के बाद कृष्ण के जीवन में रुक्मणी, उनकी पहली पत्नी उनके सबसे करीब थी। राधा-कृष्ण की तरह की कृष्ण और रुक्मणी की प्रेम कहानी भी बहुत प्रसिद्ध है। विदर्भ नरेश भीष्मक की पुत्री थी। उनके भाई रुक्मी ने उनकी शादी जबरदस्ती शिशुपाल के साथ करवानी चाही तब रुक्मणी ने श्री कृष्ण को अपनी पूरी व्यथा सुनाई और फिर कृष्ण ने उन्हें शिशुपाल से बचाकर उनसे विवाह रचाया। रुक्मणी बचपन से ही कृष्ण से ही विवाह करना चाहती थी। पति के रूप में उन्हें पाकर वो बहुत खुश थी। इसके बाद रुक्मणी ने 10 पुत्रों को जन्म दिया जिनके नाम प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, पराक्रमी चारुदेह, सुचारु, चारुगुप्त, भद्रचारु, चारुचन्द्र, विचारु, और चारु थे।
सत्यभामा यदु वंश के सतजित की पुत्री और श्री कृष्ण की दूसरी पत्नी थी। इन्हें पृथ्वी का अवतार भी माना जाता है। सत्यभामा ने स्वयंवर में श्रीकृष्ण को चुना। इनसे श्री कृष्ण को 10 पुत्र हुए जिनका नाम भानु, सुभानु, स्वर्भानु, प्रभानु, भानुमान, चन्द्रभानु, बृहद्भानु, अतिभानु, श्रीभानु, और प्रतिभानु था।
ये रामायण कर पात्र जाम्बवन की पुत्री थी। स्यमंतक मणि के लिए श्रीकृष्ण और जाम्बवन के बीच 28 दिनों तक युद्ध हुआ। जब जाम्बवन ने श्रीकृष्ण की दिव्यता को पहचाना, तो उन्होंने अपनी पुत्री जाम्बवती का विवाह श्रीकृष्ण से कर दिया। जिसके बाद जाम्बवती ने साम्ब, सुमित्र, पुरुजित, शतजित, सहस्रजित, विजय, चित्रकेतु, वसुमान, द्रविड़, और क्रतु को जन्म दिया था।
नागनजिती कोसल राज्य के राजा नगनजित की पुत्री और श्री कृष्ण की चौथी पत्नी थी। इनसे श्री कृष्ण को वीर, चन्द्र, अश्वसेन, चित्रुग, वेगवान, वृष, आम, शंकु, वसु, और परम तेजस्वी कुंती जैसे 10 संतानों की प्राप्ति हुई थी।
कालिंदी सूर्यदेव की पुत्री थी जिन्होंने श्री कृष्ण से विवाह करने के लिए वर्षों यमुना के तट पर तपस्या की थी। कृष्ण से विवाह के बाद इन्होंने श्रुत, कवि, वृष, वीर, सुबाहु, भद्र, शान्ति, दर्श, पूर्णमास, और सोमक नाम के 10 पुत्रों को जन्म दिया था।
मित्रविंदा अवंती के राजा की पुत्री और श्रीकृष्ण की चचेरी बहन जिन्हें उन्होंने स्वयंवर में जीता था। इनसे श्री कृष्ण को वृक, हर्ष, अनिल, गृध्र, वर्धन, आनन्द, महाश, पावन, वहि, और क्षुधि की प्राप्ति हुए।
ये कैकय वंश की राजकुमारी थी। जिन्होंने श्री कृष्ण से विवाह के पश्चात संग्रामजित, बृहत्सेन, शूर, प्रहरण, अरिजीत, जय, सुभद्र, वाम, आयु, और सत्यक को जन्म दिया।
लक्ष्मणा ने श्री कृष्ण के पुत्र प्रघोष, गात्रवान, सिंह, बल, प्रबल, ऊर्ध्वग, महाशक्ति, सह, ओज, और पराजित को जन्म दिया था।
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