रावण के पिता और उनके परिवार के बारे में पौराणिक कथाएं।
भगवान राम और रावण की कहानियां तो हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं, मगर क्या आप जानते हैं कि रावण के पिता का नाम क्या था? आइए इस आर्टिकल में हम रावण के पिता के नाम को जानेंगे।
रावण के पिता एक महान ब्राह्मण ऋषि थे। उनका नाम महर्षि विश्रवा था। पूरे ब्रह्मांड में उनके जैसा कोई ज्ञानी नहीं था और वो अद्वितीय विद्वान थे। महर्षि विश्रवा महर्षि पुलस्त्य के पुत्र थे, जो सप्तर्षियों में से एक माने जाते हैं।
महर्षि विश्रवा ने दो शादियाँ की थीं। पहली शादी वरवर्णिनी जिसे इलविला भी कहते हैं से हुई, जो देव वंश से थीं। इससे उन्हें कुबेर नाम का बेटा मिला, जो बाद में धन के देवता और लंका के राजा बने। दूसरी शादी उन्होंने कैकसी से की, जो राक्षस कुल से थीं।
कैकसी अपने पिता सुमाली के कहने पर महर्षि विश्रवा के पास गईं, क्योंकि सुमाली चाहते थे कि उनके वंश में कोई महान और ताकतवर संतान पैदा हो। महर्षि विश्रवा के तप और तेज से प्रभावित होकर कैकसी ने उनसे शादी की। इस शादी से चार संतानें हुईं: रावण, कुंभकर्ण, विभीषण और शूर्पणखा।
महर्षि विश्रवा की चारों संतानों में रावण सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हुआ। रावण ने अपनी बुद्धि, ज्ञान और शक्ति के दम पर लंका पर राज किया और उसे सोने की नगरी बना दिया। रावण के स्वभाव में उसके माता-पिता दोनों के गुणों का मेल था। विश्रवा से रावण ने ज्ञान, वेदों का अध्ययन और तप की ताकत पाई, जबकि कैकसी से उसे राक्षसी स्वभाव और घमंड मिला।
महर्षि विश्रवा को वेदों और पौराणिक कथाओं में एक आदर्श ऋषि माना गया है। लेकिन उनके और रावण के बीच का रिश्ता हमेशा जटिल रहा। ऐसा कहा जाता है कि ऋषि विश्रवा ने कई बार रावण को उसके अहंकार और गलत रास्ते पर चलने से रोका, लेकिन रावण ने उनकी बात नहीं मानी। जिसका नतीजा यही हुआ कि आगे चलकर रावण ने सीता माता के अपहरण जैसा कुकर्म किया और भगवान राम ने रावण को उसके कर्मों की सजा दी।
महर्षि विश्रवा का जीवन तप, ज्ञान और अच्छे आचरण का उदाहरण है। उनकी सिखाई हुई बातें और उनके वंशजों की कहानियाँ भारतीय पौराणिक इतिहास का अहम हिस्सा हैं।
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