शनि भगवान की पत्नी और उनके रिश्ते के बारे में जानिए।
शनि देव, जिन्हें कर्मफलदाता के रूप में जाना जाता है, सूर्य और छाया के पुत्र हैं। शनि देव का विवाह चित्ररथ नामक गंधर्व की कन्या ध्वजिनी से हुआ था। आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कुछ रोचक बातों के बारे में...
शनि देव, जिन्हें कर्मफलदाता के रूप में जाना जाता है, सूर्य और छाया के पुत्र हैं। शनि देव का विवाह चित्ररथ नामक गंधर्व की कन्या ध्वजिनी से हुआ था। यह विवाह उनकी तपस्या और धर्मपरायणता के कारण हुआ। उनकी पत्नी अत्यंत रूपवती, साध्वी और पवित्र स्वभाव की थीं। शनि भगवान अपनी कठोर तपस्या और कर्म में इतने लीन रहते थे कि उनका अधिकांश समय ध्यान और पूजा में व्यतीत होता था। उनकी पत्नी ने सोचा कि वे उनसे कभी बात नहीं करते और उनकी उपेक्षा करते हैं। एक दिन, उन्होंने शनि देव के ध्यान से बाहर आने की प्रतीक्षा करते हुए उनके समीप जाकर उन्हें संबोधित किया, लेकिन शनि देव अपने ध्यान में इतने मग्न थे कि उन्होंने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया।
इससे आहत होकर उनकी पत्नी ने क्रोध में उन्हें शाप दे दिया, "आप जिसकी ओर देखेंगे, वह नष्ट हो जाएगा।" जब शनि भगवान का ध्यान टूटा, तो उन्होंने अपनी पत्नी से इस कठोर शाप का कारण पूछा। उन्होंने बताया कि उनकी उपेक्षा के कारण ही उन्होंने ऐसा कहा।
शनि देव ने विनम्रता से अपनी पत्नी को समझाया कि उनका ध्यान और साधना केवल संसार के कल्याण के लिए है, न कि किसी को कष्ट देने के लिए। परंतु शाप वापस लेना असंभव था। इस शाप के कारण शनि देव की दृष्टि को अशुभ माना जाने लगा। यही कारण है कि उनकी दृष्टि सीधी किसी पर नहीं पड़ती।
इसके बाद शनि देव ने अपनी पत्नी को क्षमा किया और अपना धर्म निभाते रहे। उनकी पत्नी को भी अपने कृत्य पर पछतावा हुआ और उन्होंने शनि देव से क्षमा मांगी। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि किसी भी निर्णय में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए और किसी के उद्देश्य को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
शनि देव की पत्नी से संबंधित यह कथा हमें धैर्य, समर्पण और समझ का महत्व सिखाती है। शनि देव अपने अनुशासन, कर्म और न्यायप्रियता के लिए पूजनीय हैं, और उनकी पत्नी के साथ यह प्रसंग उनके व्यक्तित्व के एक अलग पहलू को उजागर करता है।
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