शनि भगवान की सवारी कौन है और इसका पौराणिक महत्व क्या है, जानें।
हिंदू धर्म में ज्यादातर भगावानों की सवारी एक या दो होती है, मगर क्या आपको पता है कि भगवान शनि कि कितनी सवारी हैं? भगवान शनि की एक, दो नहींं बल्कि 9 सवारियां हैं और उन सभी सवारियों की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। तो आइए इस आर्टिकल में भगवान शनि की 9 सवारियों को डिटेल में जानेंगे।
शास्त्रों में शनि देव को न्याय का देवता और कर्मफलदाता माना गया है। माना जाता है कि शनि देव कर्मों के अनुरूप ही भक्तों को फल देते हैं। क्या आप शनिदेव की सवारी के बारे में जानते हैं। अगर नहीं तो आइए जानते हैं। दरअसल, सबकी बिगड़ी बनाने वाले और कुंडली के दोषों को दूर करने वाले शनि देव का वाहन कौआ है, लेकिन मान्यता अनुसार शनि देव के एक नहीं बल्कि 9 अलग-अलग वाहन हैं।
मुख्य रूप से शनि देव को कौआ पर सवार देखा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, किसी कारणवश सूर्यदेव ने छाया और शनिदेव को मारने के लिए वन में आग लगाई, लेकिन छाया परछाई होने के कारण उस आग में से निकल गईं और शनिदेव आग में फंस गए। तभी एक कौवे ने शनिदेव को आग से बचाया। इसके बाद शनिदेव ने उस कौवे को अपना वाहन बना लिया। हालांकि, शनि देव का कौआ पर सवार होना अशुभ माना गया है। इससे घर-गृहस्थी की शांति भंग हो सकती है और भविष्य में कई तरह की परेशानियां भी आ सकती हैं।
शनिदेव की नौ सवारी हैं जिनमें हंस, सिंह, गधा, कुत्ता, हाथी, सियार, घोड़ा, भैंस और गिद्ध शामिल है, लेकिन इन वाहनों पर सवार होना साधक की कुंडली में शुभ औऱ अशुभ का संदेश देते हैं।
हंस: शनि देव का हंस पर सवार होना इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति के जीवन में शुभता और भाग्य में बढ़ोतरी होने वाली है।
सिंह: जब शनि देव सिंह पर सवार होते हैं तो इसे शुभ माना जाता है। इससे जातक को शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है।
गधा: शनि देव का गधा पर सवार होना अशुभ माना गया है। इसका मतलब यह है कि किसी लक्ष्य की प्राप्ति या सफलता के लिए व्यक्ति को खूब मेहनत करने की जरूरत है।
घोड़ा: घोड़ा भी शनि देव का वाहन है। घोड़े को शक्ति का प्रतीक माना गया है। घोड़े की सेवा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।
हाथी: शनि देव का हाथी पर सवार होना अशुभ माना गया है। यह इस बात को दर्शाता है कि व्यक्ति को अपने स्वभाव में विनम्रता लाने और शांत रहने की जरूरत है।
भैंस: यदि शनि देव भैंस पर सवार होते हैं, तो व्यक्ति को मिला-जुला परिणाम प्राप्त होता है।
सियार: यदि किसी जातक की कुंडली में शनि देव सियार पर सवार होते हैं, तो यह शुभ नहीं होता है। इसका अर्थ है कि व्यक्ति को दूसरों पर निर्भर रहना पड़ सकता है।
गिद्ध या कुत्ता: कुत्ते या गिद्ध पर शनि देव का सवार होना अच्छा संकेत नहीं होता है। इससे व्यक्ति को आर्थिक नुकसान और शारीरिक कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
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