सुंदरकांड का लगातार 100 दिन पाठ करने के लाभ
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सुंदरकांड का लगातार 100 दिन पाठ करने के लाभ

सुंदरकांड का नियमित 100 दिन तक पाठ करने से मिलने वाले आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक लाभों के बारे में जानें।

सुंदरकांड का लगातार पाठ करने के बारे में

सुंदरकांड का लगातार पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह हनुमान जी की भक्ति और शक्ति से जुड़ा है, जिससे जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। माना जाता है कि नियमित सुंदरकांड पाठ करने से नकारात्मक शक्तियां समाप्त होती हैं, रोग-शोक दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

क्या है सुंदरकांड

गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस का पांचवा अध्याय सुन्दरकांड है। इस अध्याय को सुंदर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें हनुमानजी के पराक्रम, इनकी असीम भक्ति, और लंका दहन का वर्णन है। इसी अध्याय में वे माता सीता से अशोक वाटिका में भेंट करते हैं, जो अत्यंत सुंदर प्रसंग है। यह अध्याय जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार करता है, और भगवान श्रीराम और हनुमानजी की महिमा को प्रस्तुत करता है।

सुंदरकांड पाठ के लाभ

  • सुंदरकांड में हनुमानजी की भक्ति, साहस, और सेवाभाव का वर्णन है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ लगातार 100 दिन तक पढ़ने से आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक स्तर पर सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और हनुमानजी की अनन्य कृपा प्राप्त होती है।।
  • सुंदरकांड भगवान श्रीराम की लीलाओं का बखान करता है, जो आत्मा को शुद्ध और मन को शांत करता है। साथ ही यह आपमें पवित्रता और ज्ञान का संचार करता है।
  • हमारे शास्त्रों में सुंदरकांड को संकटों को दूर करने और जीवन में शांति लाने वाला माना जाता है। इसका पाठ करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के कष्ट और बाधाएँ दूर होती हैं। सुंदरकांड का पाठ शरीर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है, जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  • सुंदरकांड का लगातार 100 दिन पाठ करने से परिवार में शांति, प्रेम और सौहार्द बढ़ता है। इसके पाठ से परिवार में धन, समृद्धि और सफलता आती है। साथ ही यह आपके परिवार के सदस्यों की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
  • सुंदरकांड का पाठ करने से मन शांत होता है, और चिंता, भय, और तनाव दूर होते हैं। इस पवित्र अध्याय का पाठ ध्यान और एकाग्रता बढ़ाने में सहायक है। विद्यार्थियों को यह पाठ जरूर करना चाहिए, क्योंकि इससे उनके आत्मविश्वास और समरण शक्ति में वृद्धि होती है।

सुंदरकांड पाठ की विधि

  • सुन्दरकांड का पाठ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। पाठ करने के लिए स्थान साफ़ और शांत होना चाहिए। पाठ से पहले घर में धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर घर की ऊर्जा को स्वच्छ करें।
  • यदि संभव हो तो सुबह के समय, ब्रह्म मुहूर्त में सुंदरकांड का पाठ करना अधिक लाभकारी होता है। हर दिन एक ही समय और स्थान पर पाठ करने से अधिक शुभ प्रभाव होता है।
  • आसन का ध्यान रखें। हर दिन पाठ करते समय एक साफ़ और पवित्र आसन पर बैठें।
  • रोजाना पाठ शुरू करने से पहले भगवान श्रीराम, माता सीता और हनुमानजी की पूजा करें, और उनका ध्यान करते हुए पाठ प्रारंभ करें।
  • पाठ समाप्त होने पर भगवान जी को प्रसाद चढ़ाएं और अपने घर के सभी सदस्यों में भी बाटें।

सुंदरकांड का पाठ करने के नियम

सुंदरकांड का पाठ बहुत धार्मिक महत्व है, लेकिन इसके लिए कुछ विशेष नियमों और सही विधि का पालन करना आवश्यक है। इन नियमों का पालन करने से पाठ का प्रभाव अधिक शुभ और फलदायक होता है।

  • सुंदरकांड के श्लोकों का शुद्ध उच्चारण करना आवश्यक है। यदि शुद्ध पाठ करने में कठिनाई हो, तो किसी अनुभवी व्यक्ति की मदद लें।
  • यदि संभव हो तो पाठ के दिन व्रत रखें या सात्विक भोजन करें। मांसाहार, तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से बचें।
  • पाठ समाप्त करने के तुरंत बाद न आसन न छोड़े। कुछ समय वहीं शांति से बैठकर भगवान का ध्यान करें और अपने परिवार के कल्याण की प्रार्थना करें।
  • यदि आपने सुंदरकांड का लगातार 100 दिन पाठ का संकल्प किसी विशेष उद्देश्य या मनोकामना पूर्ति के लिए किया है, तो उसे पूर्ण श्रद्धा और नियमित के साथ पूर्ण करें और बीच में न छोड़ें।
  • हनुमानजी को समर्पित दिन मंगलवार और शनिवार को पाठ का आरंभ करना विशेष रूप से फलदायक माना जाता है।

सुंदरकांड हमें सिखाता है कि यदि हमारे मन में भगवान के प्रति सच्चा विश्वास, भक्ति और साहस है तो हम जीवन में बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना कर सकते हैं। ऐसे ही अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए श्री मंदिर के साथ। जय हनुमान!

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Published by Sri Mandir·February 10, 2025

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