भगवान विष्णु के अवतारों के बारे में जानकारी और उनका धार्मिक महत्व।
जब-जब धरती पर अत्याचार बढ़े, या फिर धर्म की हानि हुई, तब-तब भगवान विष्णु ने अवतरित होकर इस संसार की रक्षा की। भगवान विष्णु ने इस दुनिया को बचाने के लिए कई बार अवतार लिए, जिसे आज हम इस आर्टिकल में डिटेल में जानेंगे।
त्रिदेवों में शामिल श्री हरि विष्णु की लीलाएं अद्भुत है। जब कभी पृथ्वी पर असुरों का आतंक बढ़ा हैं इन्होंने धर्म और न्याय की रक्षा के लिए अवतार लिए है। कई धर्मग्रंथों में ऐसा कहा गया है कि नारायण के कुल 24 अवतार है लेकिन 10 प्रमुख अवतार है। आज हम इनके इन्हीं 10 प्रमुख दशावतर के बारे में बात करेंगे।
श्री हरि के सभी अवतारों में सर्वप्रथम उन्होंने मतस्य अवतार धारण किया था। जिसे उन्होंने सतयुग के समय धारण किया था। सृष्टि में जब महाप्रलय की स्तिथि उत्पन्न हुई तब मानवता, ऋषि-मुनियों, और जीव-जंतुओं को प्रलय से बचाने के लिए उन्होंने इस अवतार को धारण किया था। इस अवतार में उन्होंने राजा सत्यव्रत की मदद से वेदों की रक्षा की, जो सृष्टि के ज्ञान और धर्म का आधार हैं।
कूर्म अवतार श्री हरि का दूसरा अवतार है। समुद्र मंथन के समय जब सभी देवता और असुर क्षीरसागर में अमृत प्राप्त करने के लिए नागराज वासुकी को रस्सी बनाकर मंदराचल पर्वत को मथ रहे थे। उस समय मंदराचल पर्वत धीरे धीरे समुद्र में डूबने लगा। तब भगवान विष्णु ने कछुए का अवतार लिया और मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर धारण किय। उन्हीं की कृपा से समुद्र मंथन संभव हो पाया।
ये अवतार भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में तीसरा अवतार है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा के वरदान के कारण हिरण्याक्ष नाम का राक्षस बहुत शक्तिशाली हो गया था। उसने अपने इसी घमंड में पूरी पृथ्वी को समुद्र में डुबो दिया था।
जिसके बाद पृथ्वी को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया। उन्होंने समुद्र में डुबोई गई पृथ्वी को अपनी नथुने में उठाया और समग्र सृष्टि को पुनः जीवन दिया। इस घटना के बाद भगवान और हिरण्याक्ष में भयंकर युद्ध हुआ और श्री हरि में हिरण्याक्ष का वध किया।
ये भगवान विष्णु का चौथा अवतार है जिसमें उन्होंने नरसिंह का अवतार ले हिरण्यकश्यप नामक राक्षस का वध किया था। जिसने अपने अहंकार और शक्ति के बल पर भगवान विष्णु का अपमान किया और अपने पुत्र प्रह्लाद को भी मारने की कोशिश की। इस अवतार में प्रभु सिंह और मनुष्य दोनों का मिश्रित रूप थे।
इस अवतार में भगवान विष्णु ने बौने ब्राह्मण के रूप में अवतार लिया था। वामन अवतार का उद्देश्य राक्षसों के राजा बली का घमंड तोड़ना था, जो ब्रह्मा द्वारा प्राप्त वरदान के कारण पृथ्वी और स्वर्ग पर अपना अत्याचार फैला रहा था। इस अवतार में भगवान ने सिर्फ दो पग में धरती और आकाश नाप दिया था और तीसरे में बली का सिर मांग लिया था।
परशुराम अवतार भगवान विष्णु का छठा अवतार था। इस अवतार का मुख्य उद्देश्य कृष्ण वंश और अत्याचारी राक्षसों का नाश करना था, जो ब्राह्मणों और साधुओं पर अत्याचार कर रहे थे। यह अवतार धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए था।
राम अवतार भगवान विष्णु का सातवां अवतार है। राम का अवतार एक धार्मिक और कर्तव्यनिष्ठ जीवन जीने के सीख देता है। राम के जीवन में धर्म, न्याय, सत्य, और आदर्श का पालन सबसे अधिक महत्वपूर्ण था। इस अवतार का उद्देश्य अधर्म का नाश और धर्म की स्थापना करना था।
कृष्ण अवतार भगवान विष्णु का आठवां अवतार है। उनका जीवन धर्म, भक्ति, और कर्म के आदर्शों को व्यक्त करता है। कृष्ण भगवान का दिया हुआ भगवद गीता उपदेश आज भी संसारभर में प्रसिद्ध है। भगवान कृष्ण ने अपने अवतार के माध्यम से अधर्म का नाश, धर्म की स्थापना, और भक्ति का मार्ग सिखाया था।
भगवान वेंकटेश्वर का जन्म का उद्देश्य दुनिया से अत्याचार और असंतुलन को समाप्त करना था। उन्होंने धर्म की पुनःस्थापना और भक्तों की कष्टों से मुक्ति के लिए अवतार लिया था।
कल्कि अवतार भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना जाता है, जो अभी भविष्य में आने वाला है। कलियुग में जब अत्याचार, अधर्म और पाप बहुत ज्यादा बढ़ जाएंगे। तब भगवान विष्णु कल्कि का अवतार लेंगे और समाज में धर्म की पुनःस्थापना करेंगे और अधर्म का नाश करेंगे।
हालांकि भगवान विष्णु के 24 अवतार कहे जाते हैं, मगर उनमें से 10 अवतारों को ही मुख्य माना जाता था, जिनके नाम हमने आपको यहां पर बता दिए हैं।
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