बटुक भैरव कौन है (Who is Batuk Bhairava)
बटुक भैरव हिंदू धर्म में भगवान शिव का एक उग्र रूप माना जाता है। हालांकि, उनके उग्र रूप के बावजूद, उन्हें अत्यंत दयालु और भक्तों के रक्षक के रूप में भी पूजा जाता है। इसके साथ ही रुद्रयामल तंत्र में भैरव के सभी अवतारों का भी उल्लेख मिलता है, लेकिन ज्यादातर लोग काल भैरव और बटुक भैरव की ही पूजा करते हैं।
बटुक भैरव की उत्पत्ति
बटुक भैरव, भगवान शिव का एक उग्र और दयालु रूप हैं, जिन्हें आमतौर पर एक पांच वर्षीय बालक के रूप में दर्शाया जाता है। लेकिन, आखिर क्यों उन्हें एक बालक के रूप में दर्शाया जाता है? इस प्रश्न का उत्तर कई प्राचीन कथाओं में छिपा हुआ है। एक बार, देवी पार्वती भगवान शिव के क्रोधित रूप को देखकर बहुत व्यथित हुईं। उन्होंने भगवान शिव को शांत करने के लिए एक बालक का रूप धारण किया। इस बालक रूप को ही बटुक भैरव कहा जाता है।
बालक रूप का महत्व
देवी पार्वती के इस बाल रूप ने भगवान शिव को शांत किया और उनका क्रोध शांत हुआ। बालक रूप भगवान शिव के दयालु स्वभाव को दर्शाता है। एक बालक के रूप में, भक्त उन्हें आसानी से अपना आराध्य मान सकते हैं।
बटुक भैरव स्तोत्र (Batuk Bhairava Stotra)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु-केतु के प्रकोप से बचने के लिए बटुक भैरव की पूजा करना लाभकारी होता है। प्रतिदिन 108 बार मंत्र (ऊं ह्वीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकायें ह्रीं बटुकाये स्वाहा) का जाप करने से बटुक भैरव प्रसन्न होते हैं। यह स्तोत्र न केवल भक्तों के मन को शांत करता है बल्कि कई प्रकार की समस्याओं से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होता है।
बटुक भैरव स्तोत्र का महत्व (Importance of Batuk Bhairava Stotra)
बटुक भैरव को भक्तों का रक्षक माना जाता है। इस स्तोत्र का जाप करने से भक्तों को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र मन को शांत करता है और चिंता और तनाव को दूर करता है। इस स्तोत्र का नियमित जाप करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह स्तोत्र नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
बटुक भैरव स्तोत्र का जाप कैसे करें?
- स्तोत्र का जाप करने से पहले स्नान करके शुद्ध हो जाना चाहिए।
- स्तोत्र का उच्चारण ध्यानपूर्वक और एकाग्रचित होकर करना चाहिए।
- स्तोत्र का जाप सुबह या शाम के समय किया जा सकता है।
- स्तोत्र का जाप 108 बार या अपनी इच्छानुसार किया जा सकता है।
बटुक भैरव स्तोत्र का हिंदी अर्थ (Batuk Bhairava Stotra Hindi Meaning)
अधिकांश बटुक भैरव स्तोत्रों में भैरव के उग्र रूप, उनके निवास स्थान (श्मशान), उनके आभूषण (खप्पर) और उनकी शक्तियों का वर्णन होता है। इन स्तोत्रों में भक्त भैरव से रक्षा, मोक्ष और विभिन्न मनोकामनाओं की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।
स्तोत्र - श्मशान-वासी मांसाशी, खर्पराशी स्मरान्त-कृत्।इति बटुक भैरव स्तोत्रम् सम्पूर्णम्॥
इसका अर्थ है - श्मशान में रहने वाले, मांस खाने वाले, खप्पर धारण करने वाले, स्मरण करने वालों को मारने वाले। यह स्तोत्र भैरव के उग्र रूप का वर्णन करता है।
बटुक भैरव की पूजा (Batuk Bhairava Puja)
बटुक भैरव की पूजा विशेष रूप से कालाष्टमी के दिन की जाती है। मान्यता है कि उनकी पूजा करने से भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बटुक भैरव की पूजा गृहस्थों के लिए विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। बटुक भैरव के कई मंत्र हैं जिनका जाप किया जाता है। उन्हें भोग के रूप में मांस, शराब और अनाज चढ़ाया जाता है।
बटुक भैरव की महिमा (Batuk Bhairava Mahima)
बटुक भैरव को अपने भक्तों का रक्षक माना जाता है। उनकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। उनकी पूजा से भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।
बटुक भैरव की पूजा के लाभ (Benefits of Batuk Bhairava Puja)
- बटुक भैरव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। वे सभी प्रकार के संकटों से बचाते हैं, चाहे वे प्राकृतिक हों या मानव निर्मित।
- बटुक भैरव की पूजा मन को शांत करती है। यह चिंता, तनाव और भय को दूर करने में मदद करती है।
- बटुक भैरव की कृपा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वे भक्तों को धन, यश, स्वास्थ्य और सुख प्रदान करते हैं।
- बटुक भैरव नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी नजर से रक्षा करते हैं। वे भूत-प्रेत और अन्य अशुभ शक्तियों से बचाते हैं।
- बटुक भैरव की पूजा करने से आत्मविश्वास बढ़ता है। यह व्यक्ति को साहसी और निर्भीक बनाता है।
- कुछ मान्यताओं के अनुसार, बटुक भैरव की पूजा मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग भी प्रशस्त करती है।