नवग्रह स्तोत्र (Navgrah Stotra)
सनातन धर्म में नव ग्रहों का बहुत महत्व है। नव ग्रह व्यक्ति की कुंडली में विद्यमान होकर उसके जीवन में अच्छे-बुरे प्रभाव दर्शाते हैं। इन नव ग्रहों का असर व्यक्ति के जन्म से लेकर शिक्षा विवाह, करियर, स्वास्थ्य, परिवार, आर्थिक स्थिति, प्रेम, वित्त आदि सभी पर देखने को मिलता है। ज्योतिषों के अनुसार, ग्रहों का शुभ या अशुभ होना उनकी दिशा एवं दशा के ऊपर निर्भर करता है। जन्म समय के ग्रहों की अवस्था के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को सुख या दु:ख मिलता है। व्यक्ति की जन्म कुंडली में अशुभ ग्रह की स्थिति होने पर उसे कई पर कष्टों का सामना करना पड़ता है। अशुभ ग्रहों की दशा-अंतर्दशा चलने पर नवग्रहों की शांति के लिये हमारे शास्त्रों में कई प्रकार के पूजन विधान और स्तोत्र दिये गये हैं, जिनसे हम अपनी ग्रह-दशा के उपाय कर सकते हैं और ग्रहों को शांत कर सकते हैं।
नवग्रह स्तोत्र का महत्व (Importance of Navagraha Stotra)
नवग्रह स्तोत्र को व्यास ऋषि ने लिखा है। व्यास जी द्वारा लिखित नवग्रह स्तोत्र में नौ ग्रहों से जुड़े नौ मंत्र शामिल हैं। इन स्तोत्रों का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन से जुड़ीं सभी परेशानियां, कठिनाइयां दूर हो जाती हैं। साथ ही व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के दुखों का भी अंत होता है। व्यक्ति को यश और वैभव की प्राप्ति होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, नवग्रह स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इसीलिए व्यक्ति को प्रतिदिन इस स्तोत्र का पाठ श्रद्धा, भक्ति और एकाग्रता के साथ करना चाहिए। नव ग्रहों के अशुभ परिणामों को शुभ में बदलने के लिए ही नव ग्रह पूजा की जाती है ताकि ग्रहों का आशीर्वाद मिल सके। हालांकि जो लोग नव ग्रह की पूजा किसी भी कारण से नहीं कर पाते हैं उनके लिए सरल माग है नव ग्रह मंत्रों का जाप।
नवग्रह स्तोत्र पढ़ने के फायदे (Benefits of reading Navagraha Stotra)
- नवग्रह स्तोत्र के जाप से जीवन की हर बाधा, सभी प्रकार के कष्टों का अंत होता है।
- नवग्रह स्तोत्र के जाप से ग्रह दोष का दुष्प्रभाव दूर होते हैं।
- नवग्रह स्तोत्र के जाप से जीवन के संघर्षों में कमी और खुशियों में बढ़ोतरी होती है।
- नवग्रह स्तोत्र के जाप से घर में सुख, समृद्धि, संपन्नता और स्वास्थ्य का वास बना रहता है।
- नवग्रह स्तोत्र के जाप से वास्तु दोष भी दूर होता है।
- नवग्रह स्तोत्र का जाप करने से विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं।
श्री नवग्रह स्तोत्र का हिन्दी अर्थ (Benefits of reading Navagraha Stotra)
॥अथ श्री नवग्रह स्तोत्र प्रारंभ॥ ॥ ऊं श्री गणेशाय नमः॥
सूर्य देव जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महदद्युतिम् । तमोरिंसर्वपापघ्नं प्रणतोSस्मि दिवाकरम् ॥ १ ॥
हिंदी अर्थ — हे सूर्य देव जपा के फूल की तरह आपकी कान्ति है, कश्यप से आप उत्पन्न हुए हैं, अन्धकार आपका शत्रु है, आप सब पापों को नष्ट कर देते हैं, आपको मैं प्रणाम करता हूं।
चन्द्रमा देव दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम् । नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम् ॥ २ ॥
हिंदी अर्थ — हे चंद्र देव दही, शंख व हिम के समान आपकी दीप्ति है, आपकी उत्पत्ति क्षीर-समुद्र से है, आप हमेशा शिवजी के मुकुट पर अलंकार की तरह विराजमान रहते हैं, मैं आपको प्रणाम करता हूं।
मंगल देव धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांति समप्रभम् । कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणाम्यहम् ॥ ३ ॥
हिंदी अर्थ — मंगल देव आपकी उत्पत्ति पृथ्वी के उदर से हुई है, विद्युत्पुंज के समान आपकी प्रभा है, आप अपने हाथों में शक्ति धारण किये रहते हैं, आपको मैं प्रणाम करता हूं।
बुध देव प्रियंगु कलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम् । सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ॥ ४ ॥
हिंदी अर्थ — हे बुध देव प्रियंगु की कली की तरह आपका श्याम वर्ण है, आपके रूप की कोई उपमा नहीं है। उन सौम्य और गुणों से युक्त बुध को मैं प्रणाम करता हूं।
बृहस्पति देव देवानांच ऋषीनांच गुरुं कांचन सन्निभम् । बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् ॥ ५
हिंदी अर्थ — हे बृहस्पति देव आप देवताओं और ऋषियों के गुरु हैं, कंचन के समान आपकी प्रभा है, जो बुद्धि के अखण्ड भण्डार और तीनों लोकों के प्रभु हैं, मैं आपको प्रणाम करता हूं।
शुक्र देव हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् । सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ॥ ६ ॥
हिंदी अर्थ — हे शुक्र देव तुषार, कुन्द और मृणाल के समान आपकी आभा है, आप ज्ञान के भंडार हैं, दैत्यों के परम गुरु हैं, आप सब शास्त्रों के अद्वितीय वक्ता हैं। मैं आपको प्रणाम करता हूं।
शनि देव नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् । छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम् ॥ ७ ॥
हिंदी अर्थ — हे शनि देव नीले अंजन (स्याही) के समान आपकी दीप्ति है, आप सूर्य भगवान् के पुत्र और यमराज के बड़े भाई हैं, सूर्य की छाया से आपकी उत्पत्ति हुई है, मैं आपको प्रणाम करता हूं।
राहु देव अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनम् । सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् ॥ ८ ॥
हिंदी अर्थ — हे राहु देव आप आधे शरीर वाले हैं, सिंहिका के गर्भ से आपकी उत्पत्ति हुई है, आपको मैं प्रणाम करता हूं।
केतु देव पलाश पुष्प संकाशं तारकाग्रह मस्तकम् । रौद्रंरौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् ॥ ९ ॥
हिंदी अर्थ — हे केतु देव पलाश के फूल की तरह आपकी लाल दीप्ति है, आप समस्त तारकाओं में श्रेष्ठ हैं, जो स्वयं रौद्र रूप और रौद्रात्मक हैं, मैं आपको प्रणाम करता हूं।