सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम्

सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम्

पढ़ें ये स्तोत्र मिलेगी शत्रु बाधा से मुक्ति


सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र (Saptashloki Durga Stotra)

शक्ति की देवी मां दुर्गा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। शेर पर सवार, हाथों में त्रिशूल, आंखों में तेज, पापियों का संहार और दुखियों के कष्ट हरने वाली आदिशक्ति मां दुर्गा को संसार की जननी माना गया है। मां के 9 रूप हैं, जिनकी पूजा अलग-अलग रूपों में की जाती है। हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। शुक्रवार का दिन मां दुर्गा का दिन माना जाता है। इस दिन भक्त मां दुर्गा की पूरे मन से पूजा-अर्चना व उपवास करते हैं ताकि मां दुर्गा की कृपा हमेशा बरकरार रहे। हिंदू धर्म में मां दुर्गा की उपासना को किसी भी अन्य देवता की तुलना में अति लाभकारी व फलदायी बताया गया है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त शुक्रवार के दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और उपवास भी रखते है।

सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का महत्व (Importance of Saptashloki Durga Stotra)

मां दुर्गा की आराधना के लिए दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती समेत कई स्तोत्र, मंत्र और श्लोक लिखे गए हैं, जिसमें दुर्गा सप्तशती के पाठ का विशेष महत्व होता है। दुर्गा सप्तशती में सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का वर्णन किया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा ने स्वयं भगवान शिव को सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र के पाठ की महिमा बताई थी। देवी ने भगवान शिव को बताया कि कैसे सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने और जीवन के सभी पहलुओं में महान ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद करेगा। वैसे तो भक्त सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का पाठ हर दिन कर सकते हैं, लेकिन कथाओं में इस स्तोत्र का पाठ करने का सबसे अनुकूल समय नवरात्रि के दौरान बताया गया है। विद्वानों और पंडितों के अनुसार सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का पाठ नवरात्रि के अलावा अन्य महीनों के मंगलवार, शुक्रवार या शनिवार किसी भी दिन किया जा सकता है। महीने के अष्टमी, नवमी व चतुर्दशी तिथियों को भी सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का पाठ शुरू करने के लिए उत्तम दिन माना जाता है।

सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र पढ़ने के फायदे (Benefits of reading Saptashloki Durga Stotra)

सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का पाठ करने से साधक को मानसिक और शारीरिक सुख मिलता है। साथ ही सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का पाठ शुक्रवार के दिन करने से कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों में विजय प्राप्ति का वरदान मिलता है और शत्रु बाधा भी दूर होती है। सप्तश्लोकी दुर्गा के पाठ से माँ दुर्गा सभी प्रकार के दु:ख, दरिद्रता और भय रोगों व परेशानियों से रक्षा एवं नष्ट कर देती है। ऐसी मान्यता है कि दुर्गा की आराधना करने से परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हैं। सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का पाठ नवरात्रि के नौ दिन करने से इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है।

सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का हिन्दी में अर्थ (Meaning of Saptashloki Durga Stotra)

शिव उवाच

देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी । कलौ हि कार्यसिद्धयर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः॥

शिव जी बोले :- हे देवि! तुम भक्तों के लिये सुलभ (सरल, सहज) हो और समस्त कर्मों का विधान करने वाली हो। कलयुग में कामनाओं की प्राप्ति के लिए यदि कोई उपाय हो तो उसे अपनी वाणी द्वारा उचित तरीके से व्यक्त करो।

देव्युवाच

श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्ट साधनम्। मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥

देवी ने कहा :- हे देव! आपका मेरे ऊपर बहुत स्नेह है। कलयुग में समस्त कामनाओं को सिद्ध करने वाला जो साधन है वह बतलाऊँगी, सुनो! उसका नाम है ‘ अम्बा स्तुति ‘।

विनियोग :-

ॐ अस्य श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मंत्र​स्य नारायण ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः,श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यै देवताः, श्री दुर्गा प्रीत्यर्थं सप्तश्लोकी दुर्गा पाठे विनियोगः।

विनियोग का अर्थ :- ॐ इस दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मंत्र के नारायण ऋषि हैं, अनुष्टुप् छन्द है, श्री महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती देवता हैं, श्री दुर्गा की प्रसन्नता के लिये सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ में इसका विनियोग किया जाता है।

ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥

अर्थ :- वे भगवती महामाया देवी ज्ञानियों के भी चित्त को बलपूर्वक खींचकर मोह में डाल देती हैं ॥ १ ॥

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्र चित्ता ॥2॥

अर्थ :- हे माँ दुर्गे! आप सभी प्राणियों के कष्ट हर लेती हैं और भय का नाश करती हैं और पुरुषों को सद्बुद्धि प्रदान करती हैं। दुःख, दरिद्रता और भय को हरने वाली देवी आपके सिवा दूसरी कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार करने के लिये सदा ही दयार्द्र रहता है ॥ २ ॥

सर्व मङ्गल मङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥3॥

अर्थ :- हे मां नारायणी तुम अपने भक्तों की रक्षा करती हो, तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो। सब पुरुषार्थों को सिद्ध करने वाली, शरणागतवत्सला हो, तीन नेत्रों वाली मां गौरी हो। तुम्हें नमस्कार है ॥ ३ ॥

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥4॥

अर्थ :- अपने शरण में आये हुए दीनों एवं पीड़ितों की रक्षा करने वाली और सबकी पीड़ा दूर करने वाली नारायणी देवी ! आपको नमस्कार है ॥ ४ ॥ सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।

भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवी नमोऽस्तु ते ॥5॥

अर्थ :- हे मां सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी और सब प्रकार की शक्तियों से सम्पन्न दिव्यरूपा दुर्गा देवी आप सब भयों से हमारी रक्षा करो, आपको नमस्कार है।

रोगान शेषा नपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्। त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ॥6॥

अर्थ :- हे मां तुम अपने भक्तों के सभी कष्टों को खत्म करती हो सभी की मनोकामनाओं को पूरा करती हो। जो व्यक्ति तुम्हारी शरण में जाता उस पर कभी कोई विपत्ति नहीं आती। तुम्हारी शरण में गये हुए मनुष्य दूसरों को शरण देने वाले हो जाते हैं ॥ ६ ॥

सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरि विनाशनम् ॥7॥

अर्थ :- हे मां सर्वेश्वरी, आप इसी प्रकार तीनों लोकों की समस्त बाधाओं को शांत करें और हमारे शत्रुओं का नाश करती रहें ॥ ७ ॥

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