image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

कजरी तीज व्रत कथा

कजरी तीज व्रत करने से मिलता है सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद! जानें व्रत की कथा, पूजन विधि और महत्व।

कजरी तीज व्रत कथा के बारे में

कजरी तीज सभी सुहागिनों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व होता है, लेकिन क्या आप कजरी तीज की व्रत कथा के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो, आइए आज पढ़ते हैं कजरी तीज की व्रत कथा।

कजरी तीज की व्रत कथा

प्राचीन समय की बात है, किसी गांव में एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ निवास किया करता था। ब्राह्मण अत्यंत निर्धन था और उन दोनों के लिए दो वक्त की रोटी जुटा पाना भी काफी मुश्किल होता था। इस गरीबी के बीच जैसे-तैसे दोनों अपना गुज़र-बसर कर रहे थे।

ब्राह्मण की पत्नी भगवान की भक्ति में बहुत विश्वास रखती थी। इसलिए भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को उसने अपने मन में कजरी तीज का व्रत रखने का संकल्प ले लिया।

उसने अपने पति को बताया कि वह कजरी तीज पर व्रत का पालन करना चाहती हैं। जिसके लिए उसे सत्तू की आवश्यकता होगी। ब्राह्मण की पत्नी ने आगे कहा कि, आप मेरे लिए कहीं से सातू ले आएं, ताकि मेरा व्रत संपूर्ण हो सके। पत्नी की बात सुनकर ब्राह्मण काफी चिंतित हो गया क्योंकि उसके पास सातू खरीदने के लिए धन नहीं था। लेकिन इसके बावजूद वह अपनी पत्नी की इच्छा को पूरा करना चाहता था, इसलिए उसने किसी तरह सातू का प्रबंध करने का निश्चय किया।

इसके बाद ब्राह्मण साहूकार की दुकान पर पहुंच गया और वहां उसने देखा कि साहूकार सो रहा है। ऐसे में ब्राह्मण दुकान में गया और वहां पर उसने चने की दाल, घी और शक्कर को सवा किलो तौल लिया और उसे चक्की में पीसकर सातू बना लिया। जब वह सातू लेकर वहां से जाने लगा तब साहूकार की नींद खुल गई और वह चोर-चोर चिल्लाने लगा।

यह सुनकर ब्राह्मण ने उसे बताया कि “मैं चोर नहीं हूँ। मेरी पत्नी ने आज कजरी तीज का व्रत रखा है, जिसके लिए उसे सातू की आवश्यकता थी, इसलिए मैं सिर्फ यहां से सवा किलो का सातू बना कर ले जा रहा था। इसके अलावा मैंने तुम्हारी दुकान से और कुछ भी नहीं लिया है।”

ब्राह्मण की बात सुनकर साहूकार ने उसकी तलाशी ली, जिसमें उसे ब्राह्मण के पास सातू के अलावा कुछ नहीं मिला। यह देखकर साहूकार को बहुत पश्चाताप हुआ और उसने ब्राह्मण से माफी मांगते हुए कहा कि आज से मैं तुम्हारी पत्नी को अपनी बहन मानता हूँ। इसके बाद साहूकार ने ब्राह्मण को धन और घर का कुछ सामान देकर विदा कर दिया। इस प्रकार भगवान शंकर और माता पार्वती के आशीष से ब्राह्मण की पत्नी का व्रत पूर्ण हुआ।

हम आशा करते हैं, भगवान शंकर और माता पार्वती इसी प्रकार आप पर भी अपनी कृपा बनाए रखें, इसी के साथ यह कथा समाप्त होती है।

divider
Published by Sri Mandir·February 19, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

Address:

Firstprinciple AppsForBharat Private Limited 435, 1st Floor 17th Cross, 19th Main Rd, above Axis Bank, Sector 4, HSR Layout, Bengaluru, Karnataka 560102

Play StoreApp Store

हमे फॉलो करें

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2025 SriMandir, Inc. All rights reserved.