षटतिला एकादशी की कथा (Shattila Ekadashi Vrat Katha)
हमारे इस लेख में हम आपके लिए लेकर आए हैं षटतिला एकादशी की कथा। आप इस लेख को अंत तक पढ़ें और इस पावन और पुण्यदायी कथा का लाभ उठाएं।
बहुत पहले मृत्युलोक में एक ब्राह्मण महिला रहती थी। वह हमेशा व्रत-उपवास किया करती थी, और एक बार वो लगातार एक महीने तक उपवास करती रही। इससे वो शारीरिक रूप से काफ़ी कमज़ोर हो गई। हालांकि वो बहुत बुद्धिमान थी, लेकिन उसने कभी भी देवताओं तथा ब्राह्मणों को अनाज का दान नहीं किया। भगवान विष्णु ने सोचा कि इस ब्राह्मणी ने व्रत व पूजा से अपना शरीर तो पवित्र कर लिया है, इसको स्वर्ग लोक में स्थान भी मिल जाएगा, लेकिन इसने कभी अन्नदान नहीं किया है, जिससे इसे स्वर्ग में अन्न व धन आदि नहीं मिलेगा। ये सब सोचने के बाद विष्णु भगवान मृत्युलोक पहुंचे, और उस महिला से अन्न की भिक्षा मांगी। इस पर ब्राह्मणी ने कहा- हे बाबा! आप यहां क्यों आए हैं? विष्णु जी ने कहा- मुझे भिक्षा चाहिए। ये सुनकर महिला ने भगवान को एक मिट्टी का टुकड़ा दान में दे दिया। वो उस ढेले को लेकर वापस स्वर्ग लौट आए। कुछ समय बीता, और वो ब्राह्मणी अपना शरीर छोड़ स्वर्ग आ गई। मिट्टी के ढेले के दान के कारण उसे उस जगह एक आम के पेड़ सहित घर मिला, लेकिन उस घर में और कोई भी वस्तु नहीं थी। वह घबराई हुई विष्णु भगवान के पास आई और बोली - 'हे प्रभु! मैंने अनेक उपवास किए हैं, आपकी पूजा अर्चना की है, लेकिन फिर भी मेरे घर में कुछ नहीं है, इसका क्या कारण है?'
विष्णु जी ने कहा - ब्रह्माणी 'तुम अपने घर जाओ और जब देव-स्त्रियां तुमसे मिलने आएं, तब तुम उनसे षटतिला एकादशी व्रत का महत्व और उसका विधान पूछना। और जब तक वो न बताएं, तब तक द्वार नहीं खोलना।'
ये सुनकर महिला अपने घर गई, और जब देव-स्त्रियां आईं और द्वार खोलने के लिए कहने लगीं, तब उसने कहा - अगर आप मुझे देखने आई हैं, तो पहले मुझे षटतिला एकादशी व्रत की विधि व महत्व बताएं।'
तब उनमें से एक देव-स्त्री ने कहा - ' ठीक है, मैं तुम्हें इस उपवास के बारे में सब कुछ बताती हूं। तुम बस ध्यान से सुनो-
जव उस देव-स्त्री ने षटतिला एकादशी के बारे में बता दिया, तब उस ब्राह्मणी ने द्वार खोल दिया। देव-स्त्रियों ने देखा कि वो महिला स्वर्ग में आने के बाद भी मनुष्य जैसी ही है। उस ब्राह्मणी ने देव-स्त्रियों के कहे अनुसार षटतिला एकादशी का उपवास किया और इसके प्रभाव से वह बहुत ही सुंदर हो गई, साथ ही उसका घर धन्य-धान्य से भर गया।