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रथ सप्तमी 2025

रथ सप्तमी 2025: कब है और क्यों है यह दिन खास? जानिए सूर्य देव की पूजा से मिलने वाला पुण्य लाभ और शुभ मुहूर्त!

रथ सप्तमी के बारे में

रथ सप्तमी हिंदू धर्म में भगवान सूर्य नारायण को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। इसे माघ शुक्ल सप्तमी के दिन मनाया जाता है और इसे सूर्य जयंती भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान सूर्य के जन्मोत्सव के रूप में पूजा की जाती है।

रथ सप्तमी क्या है?

माघ के महीने में बसंत ऋतु की शुरूआत होती है और इसी माघ की सप्तमी को हिंदूओ का एक महत्वपूर्ण त्योहार भी मनाया जाता है। इस त्योहार का नाम है रथ सप्तमी। यह हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे रथसप्तमी या अचला सप्तमी भी कहते हैं। मगर क्या आप जानते हैं, कि रथ सप्तमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है? अगर नहीं, तो आज के इस लेख में हम इसी के बारे में आपको जानकारी देंगे।

रथ सप्तमी कब है, शुभ मुहूर्त?

साल 2025 में रथ सप्तमी 4 फरवरी को मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। सप्तमी तिथि 4 फरवरी से आरम्भ होकर 5 फरवरी को समाप्त होगी। आइये जानते हैं इस दिन की मुख्य तिथियां।

  • सप्तमी तिथि प्रारम्भ - 04 फरवरी, 2025 को 04:37 ए एम बजे से
  • सप्तमी तिथि समाप्त - 05 फरवरी, 2025 को 02:30 ए एम बजे तक
  • रथ सप्तमी के दिन स्नान मुहूर्त - 04:56 ए एम से 06:40 ए एम
  • अवधि - 01 घण्टा 43 मिनट्स
  • रथ सप्तमी के दिन अरुणोदय - 06:16 ए एम
  • रथ सप्तमी के दिन अवलोकनीय सूर्योदय - 06:40 ए एम

रथ सप्तमी कब और क्यों मनाते हैं

रथ सप्तमी का त्योहार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इसी कारण इस दिन को सूर्य जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है, कि इस दिन ऋषि कश्यप और माता अदिति को भगवान सूर्य पुत्र के रूप में प्राप्त हुए थे।

यह दिन सूर्य देव का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, इसी दिन भगवान सूर्य ने अपने रथ को सात घोड़ों द्वारा उत्तरी गोलार्द्ध की उत्तर पूर्वी दिशा की ओर घुमाया था।

रथ सप्तमी का महत्व और लाभ

रथ सप्तमी भगवान सूर्य का दिन माना जाता है, जिस कारण यह काफी बड़ा महत्व रखता है। रथ सप्तमी के दिन से बसंत ऋतु का महीना आरंभ होता है, जिस कारण यह ऋतु परिवर्तन में बहुत महत्व रखता है। यह त्योहार पूरे भारत में सूर्य देव को समर्पित मंदिरों में मनाया जाता है।

रथ सप्तमी के लाभ

  • रथ सप्तमी हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा के लिए काफी महत्वपूर्ण दिन है।
  • इस दिन भगवान सूर्य की पूजा आरोग्य और यश प्रदान करती है।
  • इतना ही नहीं, इस दिन सच्चे मन से भगवान सूर्य की पूजा और व्रत करने से मनुष्य को सुख व शांति से जीवन जीने की प्रेरणा भी मिलती है।
  • रथ सप्तमी का दिन सूर्य देव को समर्पित है, जिसका मतलब है कि जिस प्रकार सूर्य प्रकाशमान है उसी प्रकार सूर्य देव की पूजा करने पर जीवन भी प्रकाशमान होगा।

इस दिन पूजा कैसे करें

रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्यदेव की उपासना करने के लिए यह विधि अपनायें

  • रथ सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके सूर्य देव को नमस्कार करें।
  • फिर स्नान करने के बाद हाथ में जल लेकर आचमन करें।
  • इसके बाद, लाल रंग के कपड़े पहनकर तिल, चंदन और अक्षत को मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • इसके साथ ही, देसी घी का दिया जलायें और ‘ओम घृणि सूर्यायः नमः, ओम सूर्यायः नमः’ मंत्र का उच्चारण करें।
  • आखिर में आरती कर पूजा सम्पन्न करें।

पौराणिक कथा

सनातन धर्म के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शरीर की ताकत पर अधिक अहंकार होने लगा था। इसी अहंकार के चलते शाम्ब सभी लोगों का उपहास करता रहता था। एक बार श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब ने दुर्वासा ऋषि का उपहास किया और भरे दरबार में उन्हें बहुत अपमानित किया और दुर्वासा ऋषि की कमज़ोर स्थिति को देखकर ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा।

इस पर दुर्वासा ऋषि बहुत क्रोधित हो गए और उन्होंने शाम्ब को कुष्ठ रोग से ग्रसित होने का श्राप दे दिया। दुर्वासा ऋषि ने शाम्ब को श्राप देते हुए कहा, कि “तुम्हें जिस शारीरिक शक्ति और यौवन का बहुत अहंकार है। यही तुम्हारा रूप क्षणभर में कुरूप में बदल जाएगा।”

दुर्वासा ऋषि की बात सुन शाम्ब व्याकुल हो उठा। उसी वक्त वहां भगवान श्री कृष्ण पहुंचे और उन्होंने शाम्ब से कहा, कि “तुमने ऋषि दुर्वासा का अपमान किया है, तुम्हें इसका पश्चाताप करना होगा।” तब उन्होंने शाम्ब से दुर्वासा ऋषि के श्राप से मुक्त होने के लिए सूर्य देव की उपासना करने को कहा। इसके बाद, श्री कृष्ण के पुत्र शाम्ब ने कई सालों तक सूर्य देव की उपासना की। सूर्य देव ने उसके भक्ति भाव से प्रसन्न होकर उसे श्राप से मुक्त कर दिया।

तो इस प्रकार हमने रथ सप्तमी की सम्पूर्ण जानकारी आपको दी। ऐसी ही और रोचक जानकारियों के लिए जुड़े रहें श्री मंदिर साथ।

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Published by Sri Mandir·January 29, 2025

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