नाग पंचमी - खोये हुए पुत्र और नागदेवता

नाग पंचमी - खोये हुए पुत्र और नागदेवता

रोचक कथा - नागदेवता ने लौटाए खोये हुए पुत्र


नागदेव ने लौटाए खोए हुए पुत्र



नाग पंचमी स्पेशल कथा (Naag Panchami Special Katha)


अगर आप नाग पंचमी से संबंधित एक रोचक कथा के बारे में जानना चाहते हैं तो इस कहानी को अंत तक अवश्य पढ़ें-

एक समय कि बात है, किसी गांव में एक बूढ़ी अम्मा अपने चार बेटों और चार बहुओं के साथ निवास किया करती थी। उनके चारों बेटे व्यापार के लिए शहर जाया करते थे। उनकी चारों बहुओं में से बड़ी तीन बहुएं काफी चालाक और चालबाज़ थीं, वहीं चौथी बहू अत्यंत शालीन और विनम्र थी।

बूढ़ी अम्मा की तीनों बहुएं न ही तो घर का कोई काम करती थीं और न ही उनका मन पूजा-पाठ में लगता था। उनकी चौथी बहु ही पूरे घर को संभालती थी, सबका ख्याल रखती थी और बचा हुआ समय भगवान की भक्ति में व्यतीत किया करती थी। वह भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थी, इसलिए वह हर सोमवार को व्रत रखते हुए पूजा-पाठ करती थी।

नागदेव ने लौटाए खोए हुए पुत्र (Naag Devta Ne Lotaye Khoye hue Putra)

कुछ दिनों के पश्चात् सावन का महीना आ गया, नाग पंचमी से कुछ दिन पहले अम्मा ने अपनी चारों बहुओं को नाग पंचमी की पूजा के बारे में बताने के लिए अपने पास बुलाया। अम्मा ने नाग पंचमी की पूजा के बारे में बताते हुए कहा कि, कल तुम लोग नाग पंचमी की पूजा विधि-विधान से करना और उसके पश्चात् शिव जी के दर्शन के लिए मंदिर जाना। दर्शन करने के बाद तुम लोग नाग देवता को दूध अवश्य अर्पित करना, हमारे परिवार में यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।

जब नाग पंचमी आई तो बड़ी तीन बहुओं ने घर में पूजा के बाद मंदिर जाने के लिए मना कर दिया। उन्होंने चौथी बहू को अपना दूध का पात्र दे दिया और कहा कि तुम हमारी तरफ से नाग देवता को दूध अर्पित कर देना, हमें और भी कई काम हैं।

नाग देवता ने दूर किए बूढ़ी अम्मा के कष्ट (Naag Devta Ne Door Kiye Boodhi Amma ke Kasht)

चौथी बहू उनकी बात मानकर शिव जी के मंदिर गई, वहां भगवान भोलेनाथ के दर्शन के बाद उसने नाग देवता के समक्ष दूध के चारों पात्र रख दिए। नाग देवता ने केवल सबसे छोटी बहू के पात्र से दूध पिया और फिर वह वहां से चले गए।

छोटी बहू ने घर वापिस आकर यह बात सबको बताई, तब उसकी सास ने कहा कि लगता है नाग देवता रुष्ट हो गए हैं और अब हमारे परिवार पर ज़रूर कोई बड़ा संकट आएगा। उसी रात बड़ी तीन बहुओं ने सपने में देखा कि उनके पतियों को नाग ने डस लिया है।

इस सपने से तीनों घबरा गईं और उन्होंने यह बात सुबह उठकर अपनी सास को बताई।

अगले दिन बूढ़ी अम्मा अपनी चारों बहुओं को लेकर शिव जी के मंदिर पहुंच गईं और वहां उन्होंने भगवान भोलेनाथ से अपने बेटों के प्राणों की रक्षा के लिए प्रार्थना की।

नागदेव की कृपा से घर लौटे पुत्र (Naag Dev Ki Kripa Se Ghar Laute Putra)

इस प्रकार कुछ दिन बीत जाने के बाद, घर की सबसे छोटी बहू का पति घर लौट आया और वापिस आकर उसने बताया कि उसके तीनों बड़े भाई व्यापार करने बड़े शहर गए थे, परंतु वापिस नहीं आए। मैंने उन्हें ढूंढने का भी काफी प्रयास किया लेकिन उनका कहीं पता नहीं चला, इसलिए मैं हारकर घर वापिस आ गया। मुझे लगा शायद वह लोग घर पर आ गए हों, लेकिन वह तो यहां पर भी नहीं हैं।

नागपंचमी पर इस कथा को अवश्य सुनें (Naag Panchami par is Katha ko avashya sunein)

यह सुनकर पूरे घर में मातम छा गया और सभी लोग विलाप करने लगे। इसके बाद पूरा परिवार दोबारा शिव जी के मंदिर गया और पूजारी जी से नाग देवता के बारे में पूछा। पूजारी जी ने बताया कि नाग देवता तो केवल नाग पंचमी के अवसर पर ही यहां दर्शन देते हैं। पूजारी जी ने कहा कि तुम्हारी बहुओं द्वारा नाग पंचमी पर की गई गलती के कारण नाग देवता रुष्ट हो गए हैं, अब तुम लोगों को अगले साल तक का इंतज़ार करना पड़ेगा। तब तक तुम्हारी चौथी बहू की तरह तुम्हारी तीनों बहुओं को प्रत्येक सोमवार को उपवास व भगवान शिव जी की आराधना करनी चाहिए। फिर अगले वर्ष नाग पंचमी के अवसर पर नाग देवता से क्षमा मांगनी चाहिए, तभी तुम्हारे कष्टों का निवारण हो पाएगा।

जानें कैसे नागदेव ने लौटाए खोए हुए पुत्र (Jaane kaise Naag Dev ne Lautaaye Khoye Huye Putra)

बूढ़ी अम्मा की बहुओं ने ऐसा ही किया, उन्होंने हर सोमवार को उपवास रखना औऱ भगवान शिव की पूजा करना शुरू कर दिया। आखिरकार एक वर्ष बाद नाग पंचमी के दिन चारों बहुएं मंदिर गईं, वहां उन्होंने पूजा की और नाग देवता से क्षमा मांगते हुए उन्हें दूध पिलाया।

घर वापिस पहुंचने पर उन्होंने देखा कि उनके पति वापिस आ चुके थे, यह देखकर उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।

इस प्रकार भगवान भोलेनाथ और नाग देवता की कृपा से पूरा परिवार एक हो गया और सुखपूर्वक रहने लगा। हम आशा करते हैं कि भगवान शिव की कृपा यह कथा सुनने वाले सभी धन्यवाद पर भी बनी रहे।


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