भारत वर्ष में दो तरह के पंचांग का अनुसरण किया जाता है, जिसमें उत्तर भारत के पंचांग में पूर्णिमा के बाद महीने की शुरूआत होती है जबकि दक्षिण भारत के पंचांग में अमावस्या के बाद माह का आरंभ होता है, यही कारण है कि इन दोनों पंचांगों में 15 दिन का अंतर देखने को मिलता है। दक्षिण भारत के पंचांगानुसार श्रावण का पवित्र महीना अमावस्या के अगले दिन से शुरू होता है, जो इस वर्ष 5 अगस्त को है।
श्रावण के पहले सोमवार के 4 प्रहर काल, दुख, दरिद्रता और पीड़ा को दूर करने के लिए काफी शक्तिशाली माने जाते हैं। सनातन धर्म के अनुसार, ये चार प्रहर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के प्रतीक हैं। हिंदू धर्म में श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। इस माह में भगवान शिव की पूजा करने से वो अत्यंत शीघ्र प्रसन्न होते हैं। भगवान भोलेनाथ की पूजा कई प्रकार से की जाती है, जिनमें रुद्राभिषेक अत्यंत ही शुभ एवं फलदायी माना गया है। कहा जाता है कि रुद्राभिषेक से शिव को प्रसन्न करने से असंभव को भी संभव करने की शक्ति प्राप्त होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण माह में सोमवार को भगवान शिव का अभिषेक करने से जो पुण्य मिलता है, वह पूरे साल भगवान शिव की पूजा करने से मिलने वाले पुण्य के बराबर होता है। इस साल श्रावण माह में यह शुभ संयोग बन रहा है कि इसकी शुरुआत सोमवार से हो रही है और समापन भी सोमवार को ही हो रहा है। इसलिए श्रावण के पहले सोमवार पर चार प्रहर की पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इन चार प्रहर में भोलेनाथ का महाभिषेक करने से भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य, वैवाहिक सुख, आर्थिक समृद्धि और पापों से मुक्ति का आशीर्वाद मिलता है। ये चार प्रहर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के प्रतीक हैं।
👉पहला प्रहर, जिसे प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है। यह शाम 6:00 बजे शुरू होता है और रात 8:00 बजे खत्म होता है। इस दौरान भगवान शिव का भस्म और गंगाजल से विशेष अभिषेक किया जाएगा।
👉दूसरा प्रहर, रात 9:00 बजे शुरू होता है और रात 11:00 बजे तक है। जिस दौरान भगवान शिव का दूध और भांग से विशेष अभिषेक किया जाएगा।
👉तीसरा प्रहर, रात 1:00 बजे लेकर सुबह 3:00 बजे तक है, इस दौरान विशेष अभिषेक के लिए गन्ने के रस और शहद का इस्तेमाल किया जाएगा।
👉वहीं चौथे और अंतिम प्रहर की पूजा सुबह 3:30 बजे से सुबह 5:30 बजे तक है, हिंदू शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त का समय सबसे शुभ समय होता है, जिसमें भगवान शिव के महाभिषेक पूजा 11 फलों के रस और पंचामृत यानी दूध, दही, शहद, चीनी और घी के मिश्रण से षोडशोपचार अभिषेक के साथ पूरी कि जाएगी।
भगवान शिव की नगरी काशी में श्रावण के प्रथम सोमवार पर पहली बार यह 4 प्रहर महाभिषेक पूजा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और भगवान शिव की कृपा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का आशीष पाएं।