धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्रावण महीने में आने वाली अमावस्या तिथि को श्रावण अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस बार श्रावण अमावस्या का दिन बेहद शुभ है, क्योंकि इस दिन सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा इस दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है। इसलिए इस दौरान किए गए कार्यों के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही देवी-देवताओं का भी पूरे परिवार पर आशीर्वाद बना रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में सूर्य शनि विष योग बनता है, उन जातकों को कई कष्टों का सामना करना पड़ता है, जैसे: रिश्तों में नकारात्मकता और खटास आने लगती है। इसके साथ ही कई तरह के विवाद भी उत्पन्न होने लगते है, जो बाद में विकाराल रूप धारण कर लेते हैं। इसके अलावा पिता-बेटे मे तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न एवं आत्मविश्वास में कमी आने लगती है। जहां एक तरफ सूर्य देव तेज का प्रतीक है। वहीं दूसरी तरफ शनि देव शीतलता के प्रतीक है। रिश्तें में पिता-पुत्र होने के बावजूद सूर्य और शनि को एक दूसरे का शत्रु माना जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव का विवाह दक्ष पुत्री संज्ञा से हुआ था। विवाह के बाद सूर्य देव को मनु, यमराज और यमुना नामक तीन संताने हुईं। संज्ञा सूर्यदेव के असहनीय तेज से परेशान थी। इस समस्या से बचने के लिए संज्ञा ने अपनी छाया रूप स्वर्णा का निर्माण किया। जिसके बारे में सूर्यदेव को नहीं पता था, स्वर्णा से सूर्यदेव को तपती, भद्रा और शनि नामक तीन और संतानें हुईं। शनिदेव में अपनी माता के छाया गुण आए थे, इसलिए सूर्य देव को लगा कि शनि उनके पुत्र नहीं हैं। महादेव ने जब तक सूर्य देव को सच्चाई बताई तब तक शनि व सूर्य के बीच संबंध खराब हो चुके थे, यही कारण है कि सूर्य और शनि मिलकर विष योग का निर्माण करते हैं। ज्योतिष विद्या के अनुसार इस अशुभ योग से निवारण पाने के लिए सूर्य-शनि विष योग निवारण पूजा को अत्यंत फलदायी माना गया है। हर देवता के लिए एक दिन निश्चित है, जिसमें रविवार सूर्यदेव को समर्पित है। वहीं पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव है, जिसके कारण इस नक्षत्र पर शनि की पूजा कर उनके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसलिए रविवार एवं पुष्य नक्षत्र के संयोग पर श्रावण अमावस्या पर सूर्य शनि विष योग पूजा कराना अत्यंत फलदायी साबित हो सकता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और इस विष योग के नकारात्मक प्रभावों से राहत का आशीष पाएं।