तुलसीदास व हनुमान जी का संबंध

तुलसीदास व हनुमान जी का संबंध

तुलसीदास व हनुमान जी से जुड़ी रोचक कथा


क्या आपको पता है तुलसीदास और हनुमान जी की ये कहानी?



रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी भगवान राम के अनन्य भक्त माने जाते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों में ऐसा कहा जाता है कि जब तुलसीदास जी का जन्म हुआ, तब उन्होंने रोने की बजाय "राम" का उच्चारण किया। इसी कारण उनका नाम "रामबोला" पड़ गया। पौराणिक कथाओं में तुलसीदास जी के जीवन से जुड़े कई रोचक और प्रेरणादायक प्रसंग देखने को मिलते हैं। ऐसी ही एक कथा है जिसमें प्रेत द्वारा तुलसीदास जी को हनुमान जी का पता बताए जाने का वर्णन मिलता है।

राम में कैसे रमे तुलसीदास


तुलसीदास जी का विवाह रत्नावली नाम की महिला से हुआ था। विवाह के बाद वे अपनी पत्नी के प्रेम में इतने मग्न हो गए कि अपनी अन्य सांसारिक जिम्मेदारियों व धर्म कर्म से विमुख हो गए। तुलसीदास जी की इस दशा से परेशान होकर उनकी पत्नी एक दिन अपने मायके चली गईं। परंतु तुलसीदास जी भी उनके पीछे-पीछे वहां पहुँच गए। तब रत्नावली ने उनसे ऐसे वचन बोले जिससे उनका वैराग्य जाग उठा और वे भगवान श्रीराम की खोज में निकल पड़े।

प्रेत ने बताया हनुमान जी का पता


तुलसीदास जी ने अपना घर छोड़कर 14 वर्षों तक तीर्थ यात्रा की। इस दौरान भी उन्हें भगवान श्रीराम के दर्शन नहीं हुए। एक दिन उन्होंने तीर्थयात्रा के दौरान इकट्ठा किए गए जल को सूखे पेड़ की जड़ों में डाल दिया। उस पेड़ में एक आत्मा का वास था जो तुलसीदास जी से प्रसन्न हुई और उन्हें कुछ मांगने को कहा। तुलसीदास जी ने रामदर्शन की इच्छा व्यक्त की। इसपर उस प्रेतात्मा ने उन्हें हनुमान मंदिर जाने का सुझाव दिया, जहां रामायण का पाठ होता था। आत्मा ने बताया कि हनुमान जी वहां कोढ़ी के वेश में आते हैं, उनसे विनती करने पर आपको भगवान श्रीराम के दर्शन हो सकते हैं।

हनुमान जी से कैसे मिले तुलसीदास


तुलसीदास जी ने आत्मा के बताए अनुसार हनुमान मंदिर का रुख किया और रामायण का पाठ सुनने लगे। तभी उन्होंने देखा कि वहाँ बैठा एक कोढ़ी व्यक्ति रामायण कथा सुनने में अत्यंत मग्न है। तुलसीदास जी समझ गए कि वही हनुमान जी हैं। उन्होंने हनुमान जी के पास जाकर उनके चरणों में गिरकर स्तुति की और सहायता मांगी।

हनुमान जी के आशीर्वाद से मिला श्रीराम का दर्शन


तुलसीदास जी की प्रार्थना से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उन्हें वास्तविक रूप में दर्शन दिए और शीघ्र ही भगवान श्रीराम का दर्शन प्राप्त होने का वरदान दिया। इसके कुछ समय पश्चात एक बार जब तुलसीदास जी चित्रकूट के घाट पर चंदन कूट रहे थे, तभी भगवान श्रीराम ने उन्हें दर्शन दिए। इस तरह भगवान के आशीर्वाद से तुलसीदास जी को ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने रामचरितमानस की रचना की जो आज भी असंख्य लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत है।


श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?

Download Sri Mandir app now !!

Connect to your beloved God, anytime, anywhere!

Play StoreApp Store
srimandir devotees
digital Indiastartup Indiaazadi

© 2024 SriMandir, Inc. All rights reserved.