सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस अवधि में पड़ने वाली सभी तिथियों का अपना अलग महत्व होता है, जिसमें से एक है श्राद्ध चतुर्थी। शास्त्रों की मानें तो पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से खुश होकर आशीर्वाद देते हैं।गरुड़ पुराण के अनुसार, जिन लोगों का अंतिम संस्कार नहीं हो पाता, उनकी शांति के लिए नारायण बलि, नाग बलि एवं पितृ शांति महापूजा का विधान बताया गया है। और इस अनुष्ठान को पितृ पक्ष में करने से इसका लाभ कई गुना बढ़ सकता है। इस दोष के कारण जीवन में आर्थिक हानि, गृह क्लेश आदि जैसी कई तरह की समस्याओं का सिलसिला लगा ही रहता है। नारायण बलि पूजा पितृदोष निवारण के लिए की जाती है, वहीं नागबलि पूजा का मुख्य उद्देश्य सर्प या नाग की हत्या के दोष का निवारण करना है। शास्त्रों के अनुसार, यह दोनों पूजाएं एक साथ करने से ही सफल होती है। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु आगे बताते हैं कि यह विशेष पूजा गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों के तट पर अनुभवी पंडितों द्वारा किया जाना चाहिए। वहीं इस पूजा के साथ यम दंड पूजा एवं गंगा दूध अभिषेक कराना अत्यंत फलदायी हो सकता है।
शास्त्रों के अनुसार, यमुना देवी सूर्य देव की पुत्री और देव यमराज यानि पितरों के रक्षक की बहन है। पौराणिक कथानुसार, जब यमुना देवी ने एक नदी के रूप में पृथ्वी पर प्रवाह शुरू किया, तब उनके भाई यमराज को मृत्यु लोक का अधिपति बनाया गया। इस अवसर पर यमुना देवी ने अपने भाई यमराज के साथ भाई दूज का पर्व मनाया। यमराज, अपनी बहन की भक्ति और प्रेम से प्रसन्न होकर, उनसे वरदान मांगने का आग्रह किया। यमुना देवी की प्रार्थना सुनकर यमराज ने उन्हें वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति यमुना के पवित्र जल में स्नान करेगा या उनके तट पर श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा करेगा, उसे यमलोक का मार्ग नहीं देखना पड़ेगा। इसलिए, पितृ पक्ष के अवसर पर श्री यमुनोत्री धाम में नारायण बलि, नाग बलि यम दंड मुक्ति पूजा और श्री गंगोत्री धाम में गंगोत्री गंगा दूध अभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर द्वारा पहली बार एक साथ इन पवित्र स्थलों पर होने वाली इस पूजा में भाग लें और अपने पूर्वजों का आशीष पाएं। इसके अलावा, पितृपक्ष में पूर्वजों के लिए दान पुण्य करने का भी विधान है। मान्यता है कि इस समय दान करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है, जिनमें पितृ पक्ष विशेष पंच भोग, दीप दान भी शामिल है। इसलिए इस पूजा के साथ अतिरिक्त विकल्प के रूप में दिए गए जैसे पंच भोग, दीप दान एवं गंगा आरती का चुनाव करना आपके लिए फलदायी हो सकता है। इसलिए इस पूजा में इन विकल्पों को चुनकर अपनी पूजा को और भी अधिक प्रभावशाली बनाएं। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान विष्णु द्वारा अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति का आशीष प्राप्त करें।