सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह समय पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए की सबसे शुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से खुश होकर आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष की हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है, जिसमें से तृतीया तिथि एक है। पितृ पक्ष का समय पितृ दोष के निवारण के लिए भी शुभ माना जाता है। हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार 'पितृ दोष' पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं और नकारात्मक कर्मों के कारण होता है। इस दोष से पीड़ित जातक के जीवन में आर्थिक परेशानियां, रिश्तों में तनाव एवं विवाद और स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का सिलसिला लगा ही रहता है। माना जाता है कि तृतीया तिथि पर बाल्यावस्था में मृत हुए पूर्वजों के लिए नारायण बलि, नाग बलि और पितृ शांति महापूजा करना लाभदायक होता है, क्योंकि इस अनुष्ठान से उनकी आत्माओं को शांति मिलती है और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्राप्त होती है।
हिंदू धर्म में काशी के अस्सी घाट, हरिद्वार के गंगा घाट और गया की धर्मारण्य वेदी पर नारायण बलि, नाग बलि, और पितृ शांति महापूजा जैसे अनुष्ठानों का गहन आध्यात्मिक महत्व माना जाता है। मान्यता है कि ये अनुष्ठान दिवंगत आत्माओं की शांति, पैतृक दोष से मुक्ति और जीवन में आ रही विभिन्न कठिनाइयों का निवारण करने में सहायक होते हैं। पवित्र नदियों के तट पर इन पूजाओं को करने से इन अनुष्ठानों का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि नदियों के पवित्र जल से कर्म ऋण समाप्त हो जाते हैं। इसलिए पितृ पक्ष की श्राद्ध तृतीया तिथि के शुभ अवसर पर काशी के अस्सी घाट हरिद्वार के गंगा घाट और धर्मारण्य वेदी पर नारायण बलि, नाग बलि और पितृ शांति महापूजा का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस संयुक्त पूजा में भाग लें और दिवंगत आत्माओं की शांति और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके अलावा, पितृपक्ष में पूर्वजों के लिए दान पुण्य करने का भी विधान है। मान्यता है कि इस समय दान करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है, जिनमें पितृ पक्ष विशेष पंच भोग, दीप दान भी शामिल है। इसलिए इस पूजा के साथ अतिरिक्त विकल्प के रूप में दिए गए जैसे पंच भोग, दीप दान एवं गंगा आरती का चुनाव करना आपके लिए फलदायी हो सकता है। इसलिए इस पूजा में इन विकल्पों को चुनकर अपनी पूजा को और भी अधिक प्रभावशाली बनाएं।