ऋण मुक्ति एवं धन की प्रचुरता के लिए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पूर्णिमा विशेष ऋण मुक्ति शिव हवन और रुद्राभिषेक
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ऋण मुक्ति एवं धन की प्रचुरता के लिए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पूर्णिमा विशेष ऋण मुक्ति शिव हवन और रुद्राभिषेक
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ऋण मुक्ति एवं धन की प्रचुरता के लिए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पूर्णिमा विशेष ऋण मुक्ति शिव हवन और रुद्राभिषेक
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पूर्णिमा विशेष

ऋण मुक्ति शिव हवन एवं रूद्राभिषेक

ऋण मुक्ति एवं धन की प्रचुरता के लिए
temple venue
श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर , खंडवा, मध्य प्रदेश
pooja date
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srimandir devotees
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अब तक2,00,000+भक्तोंश्री मंदिर द्वारा आयोजित पूजाओ में भाग ले चुके हैं

ऋण मुक्ति एवं धन की प्रचुरता के लिए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पूर्णिमा विशेष ऋण मुक्ति शिव हवन और रुद्राभिषेक

हिंदू धर्म में पूर्णिमा के दिन का विशेष महत्व होता है। इस दिन, भगवान विष्णु और भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा के दिन शिव वास योग भी बन रहा है, जिससे यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए और भी अधिक शुभ हो जाता है। भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है क्योंकि उन्हें प्रसन्न करना बहुत आसान होता है। इस दिन भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कई अनुष्ठान करते हैं, जिसमें से एक है रुद्राभिषेक। रुद्राभिषेक का अर्थ है रुद्र रूपी शिवलिंग का मंत्रोच्चार के साथ पवित्र जल, दूध, शहद और अन्य सामग्रियों से स्नान कराना। रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रुद्र हैं। माना जाता है कि रुद्र रुप में प्रतिष्ठित शिव मनुष्य के दुखों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त इस दिन रुद्राभिषेक करता है, भगवान शिव उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। वहीं यदि यह रुद्राभिषेक किसी ज्योतिर्लिंग में किया जाए तो यह कई गुना फलदायी हो जाता है। मान्यता है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में ऋण मुक्ति शिव हवन के साथ रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को धन-धान्य की प्राप्ति होती है और भगवान शिव कर्ज मुक्ति और धन संचय का आशीष देते हैं।

इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसमें बताया गया है कि, धन के देवता कुबेर भगवान शिव के परम भक्त थे। कुबेर ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस ज्योतिर्लिंग में कठोर तपस्या की थी। इसके लिए उन्होंने यहां एक शिवलिंग स्थापित किया था। भगवान शिव कुबेर की भक्ति से प्रसन्न हुए एवं कुबेर को देवताओं का धनपति बना दिया। वहीं शिव पुराण में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति कर्ज से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहा है, EMI चुकाने में सक्षम नहीं है तो पूर्णिमा के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना अत्यंत फलदायी साबित होता है। इसलिए, पूर्णिमा को ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में होने वाले ऋण मुक्ति शिव हवन एवं रुद्राभिषेक में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और भोलेनाथ से ऋण मुक्ति एवं धन की प्रचुरता का आशीष पाएं।

पूजा लाभ

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ऋण मुक्ति के आशीष के लिए
भगवान शिव अपने भक्तों की सभी परेशानियों को हरने वाले देवता है। यही कारण है कि पूर्णिमा के दिन ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में शिव हवन एवं रुद्राभिषेक करने से आर्थिक स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। वहीं इसके साथ ही सभी प्रकार के ऋणों से भी मुक्ति मिल सकती है।
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धन की प्रचुरता के लिए
पूर्णिमा के इस शुभ दिन पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में ऋण मुक्ति शिव हवन एवं रूद्राभिषेक कर भगवान शिव से धन की प्रचुरता का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। कहा जाता है कि इस पूजा को करने वाले भक्त के पास कभी भी धन की कमी नहीं होती है और उसका जीवन आनंदमय और तनावमुक्त रहता है।
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व्यापार में सफलता के लिए
मान्यताओं के अनुसार व्यापार में सफलता के लिए रुद्राभिषेक अत्यंत प्रभावकारी होता है। ऐसे में पूर्णिमा के दिन ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में इस विशेष पूजा के माध्यम से भगवान शिव द्वारा व्यापार में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। माना जाता है कि इस पवित्र अनुष्ठान के माध्यम से व्यवसाय में अपार सफलता के साथ-साथ नौकरी में पदोन्नति का वरदान भी मिलता है।

पूजा प्रक्रिया

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पूजा चयन करें

नीचे दिए गए पूजा के विकल्पों में से किसी एक का चुनाव करें।
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अर्पण जोड़ें

गौ सेवा, दीप दान, वस्त्र दान एवं अन्न दान जैसे अन्य सेवाओं के साथ अपने पूजा अनुभव को बेहतर बनाएं।
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पूजा के दिन अपडेट पाएं

हमारे अनुभवी पंडित पूरे विधि विधान से पूजा कराएंगे, पूजा के दिन श्री मंदिर भक्तों की पूजा सामूहिक रूप से की जाएगी। जिसका लाइव अपडेट्स आपके व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा।
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पूजा वीडियो एवं प्रसाद

3-4 दिनों के अंदर अपने व्हाट्सएप नंबर पर पूजा वीडियो पाएं एवं 8-10 दिनों में तीर्थ प्रसाद प्राप्त करें।

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर , खंडवा, मध्य प्रदेश

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर , खंडवा, मध्य प्रदेश
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग है श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, इन्हें स्वयंभू लिंग माना जाता है। यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नाम के द्वीप पर स्थित है। यहां ज्योतिर्लिंग दो स्वरूप में मौजूद है। जिनमें से एक को ममलेश्वर के नाम से और दूसरे को ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। ममलेश्वर नर्मदा के दक्षिण तट पर ओंकारेश्वर से थोड़ी दूर स्थित है। अलग होते हुए भी इनकी गणना एक ही की जाती है। ओमकार का उच्चारण सर्वप्रथम स्रष्टिकर्ता ब्रह्मा के मुख से हुआ था। वेद पाठ का प्रारंभ भी ॐ के बिना नहीं होता है। मान्यता है कि मां नर्मदा भी यहां स्वयं ॐ के आकार में बहती हैं। शास्त्रों के अनुसार ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। पुराणों में स्कन्द पुराण, शिवपुराण व वायुपुराण में ओम्कारेश्वर क्षेत्र की महिमा का उल्लेख है।

पौराणिक कथा के अनुसार भोलेनाथ तीनों लोकों के भ्रमण के बाद यहां रात्रि में शयन के लिए आते हैं। कहते हैं पृथ्वी पर ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शिव-पार्वती रोज चौसर पांसे खेलते हैं। रात्रि में शयन आरती के बाद यहां प्रतिदिन चौपड़ बिछाए जाते हैं और गर्भग्रह बंद कर दिया जाता है। आश्चर्य की बात है कि जिस मंदिर के भीतर रात के समय परिंदा भी पर नहीं मार पाता है वहां हर दिन चौपड़ बिखरे पाए जाते हैं। यह तथ्य इस मंदिर के धार्मिक महत्व को और बढा देता है यही कारण है कि सभी तीर्थों के दर्शन पश्चात ओंकारेश्वर के दर्शन व पूजन विशेष महत्व है। तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओमकारेश्वर में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं अन्यथा वे अधूरे ही माने जाते हैं।

कैसा रहा श्री मंदिर पूजा सेवा का अनुभव?

क्या कहते हैं श्रद्धालु?
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